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मशहूर इकोनॉमिस्ट गोविंदा राव ने जीएसटी सिस्टम को आसान बनाने की जरूरत बताई, कहा-जीएसटी में टैक्स के रेट्स घटने चाहिए

इकोनॉमिस्ट और 14वें वित्त आयोग के पूर्व सदस्य एम गोविंदा राव ने कहा कि टैक्स और जीडीपी रेशियो को बढ़ाने की जरूरत है। जीएसटी रेट्स को कम कर और सिस्टम को आसान बनाकर ऐसा किया जा सकता है। इसके लिए डिजिटाइजेशन और AI का भी इस्तेमाल किया जा सकता है

अपडेटेड Nov 30, 2024 पर 5:16 PM
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इंडिया का जीएसटी सिस्टम दुनिया के उन कुछ चुनिंदा जीएसटी सिस्टम वाले देशों में शामिल है, जहां टैक्स के कई रेट्स हैं।

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) को आसान बनाने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। टैक्स रेट्स की संख्या घटाई जा सकती है। जीएसटी का बेस बढ़ाया जा सकता है। डिजिटल टूल्स का ज्यादा इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे जीएसटी सिस्टम की कमियां दूर होंगी। इकोनॉमिस्ट और 14वें वित्त आयोग के पूर्व सदस्य एम गोविंदा राव ने ये बातें कही हैं। उन्होंने टैक्स और जीडीपी रेशियो को बढ़ाने के लिए फिस्कल रिफॉर्म्स की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि इंडिया में अभी टैक्स और जीडीपी का रेशियो 16.5 फीसदी है, जो विकसित देशों में 19-20 फीसदी के रेशियो के मुकाबले काफी कम है।

टैक्स-जीडीपी रेशियो बढ़ाने की जरूरत

राव ने कहा कि टैक्स और जीडीपी रेशियो (Tax GDP Ratio) को बढ़ाने की जरूरत है। जीएसटी रेट्स (GST Rates) को कम कर और सिस्टम को आसान बनाकर ऐसा किया जा सकता है। इसके लिए डिजिटाइजेशन और AI का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि टैक्स चोरी और टैक्स के विवाद के मामलों को बढ़ने से रोकने के लिए जीएसटी सिस्टम में रिफॉर्म्स जरूरी है। इनक्लूसिव ग्रोथ विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने ये बातें कहीं।


इंडिया जीएसटी के कई रेट्स वाले देशों में शामिल

इंडिया का जीएसटी सिस्टम दुनिया के उन कुछ चुनिंदा जीएसटी सिस्टम वाले देशों में शामिल है, जहां टैक्स के कई रेट्स हैं। राव ने कहा कि टैक्स के रेट्स ज्यादा होने से जटिलताएं बढ़ती हैं। साथ ही मिसक्लासिफिकेशन और बेईमानी के मामले भी बढ़ते हैं। उन्होंने कहा, "दुनियाभर में जीएसटी को नोट छापने वाली मशीन समझा जाता है। जीएसटी का बेस बड़ा होना चाहिए। रेट्स कम होने चाहिए और पूरा सिस्टम पारदर्शी होना चाहिए। राजनीतिक वजहों से जीएसटी का सिंगल रेट नहीं हो सकता। लेकिन, रेट्स की संख्या घटाई जा सकती है। इससे सिस्टम में स्पष्टता आएगी और उसकी क्षमता बढ़ेगी।"

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जीएसटी के गलत क्लासिफिकेशन की भी प्रॉब्लम

उन्होंने जीएसटी सिस्टम की कमियों के बारे में बताते हुए कहा कि सीमेंट जैसे आइटम पर जीएसटी का 28 फीसदी रेट लागू है, जबकि सीमेंट ऐसा आइटम है जिसका इस्तेमाल बढ़ने पर मजदूरों को काम मिलता है। स्टील पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है। दूसरी तरफ नॉन-स्टार होटल रेस्टॉरेंट्स पर 5 फीसदी जीएसटी लगता है। अगर रेस्टॉरेंट्स कैटरिंग सर्विस ऑफर करता है तो मिसक्लासिफिकेशन का डर बढ़ जाता है। इससे टैक्स से जुड़े विवाद के मामले और बेइमानी भी बढ़ती है।

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