हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पर जीएसटी हटाने से सरकार के रेवेन्यू को सालाना 3,500 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। सरकार के एक सीनियर अधिकारी ने यह जानकारी दी। यह अधिकारी उस फिटमेंट कमेटी का हिस्सा हैं, जो 9 सितंबर को हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को जीएसटी से छूट देने के प्रस्ताव पर विचार करेगी। जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक 9 सितंबर को होने वाली है।
9 सितंबर को जीएसटी काउंसिल लेगी फैसला
उन्होंने कहा, "अगर हम हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी (Health Policy) को पूरी तरह से जीएसटी (GST) से छूट देते हैं तो सरकार को सालाना 3,500 करोड़ रुपये के रेवेन्यू का लॉस होगा। अगर इस प्रस्ताव को 9 सितंबर की बैठक में मंजूरी मिल जाती है तो इससे रेवेन्यू पर काफी असर पड़ेगा।" अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर यह जानकारी दी। अभी इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम पर 18 फीसदी GST लगता है। इससे पॉलिसी महंगी हो जाती है।
फिटमेंट कमेटी को रिपोर्ट देने को कहा गया था
फिटमेंट कमेटी में राज्य और केंद्र सरकार के रेवेन्यू डिपार्टमेंट के अधिकारी होते हैं। इस कमेटी को कंज्यूमर्स पर वित्तीय बोझ कम करने से सरकार के रेवेन्यू को होने वाले लॉस का आंकलन करने और इस बारे में काउंसिल को सलाह देने का काम सौंपा गया था। जीएसटी काउंसिल की प्रमुख वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण हैं। इस काउंसिल में राज्यों के वित्तमंत्री भी शामिल होते हैं। किसी आइटम पर जीएसटी के रेट घटाने, बढ़ाने या उसे जीएसटी से छूट देने के प्रस्ताव पर काउंसिल फैसला लेती है।
सरकारी खजाने को बड़े नुकसान का अनुमान
टैक्स कंसल्टेंसी फर्म मूरे सिंघी के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर रजत मोहन ने कहा, "अगर हेल्थ इंश्योरेंस को जीएसटी से छूट देने का प्रस्ताव लागू हो जाता है तो इससे सरकारी खजाने को सालाना बड़ा नुकसान होगा। इसके अलावा इस छूट से इंश्योरेंस सेक्टर इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम नहीं कर सकेगा। इससे इंश्योरेंस पॉलिसी से जुड़ी सेवाएं देने की लागत तुरंत बढ़ जाएगी। हालांकि, इसके फायदे और नुकसान के बारे में अभी ठीक तरह से बताना मुश्किल है।"
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हेल्थ पॉलिसी से जुड़ी सेवाओं की कॉस्ट बढ़ सकती है
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को जीएसटी से छूट देने के फायदों पर भी चर्चा हो रही है। कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे हेल्थ इंश्योरेंस सस्ते होंगे। इससे लोगों में हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने की दिलचस्पी बढ़ सकती है। लेकिन, इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा खत्म हो जाने से हेल्थ पॉलिसी से जुड़ी सेवाओं की कॉस्ट बढ़ जाएगी। इसका असर ग्राहकों पर पड़ेगा।