बीमा धारकों के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय अपनी पूरी स्वास्थ्य जानकारी और पुरानी बीमारियों का सही-सही उल्लेख करना अनिवार्य होता है। अगर कोई बीमारी छिपाई जाती है या गलत जानकारी दी जाती है, तो बाद में अस्पताल में इलाज के दौरान या क्लेम करने पर इंश्योरेंस कंपनी क्लेम अस्वीकार कर सकती है। बीमा कंपनियां अपने जोखिम का सही आकलन करने के लिए पूरी मेडिकल हिस्ट्री की जांच करती हैं, और छुपाई गई जानकारी मिलने पर भुगतान से इंकार कर देती हैं।
स्वास्थ्य बीमा क्लेम रिजेक्शन के सामान्य कारणों में बीमारी छिपाना, गलत जानकारी देना, पॉलिसी की समाप्ति, प्रतीक्षा अवधि के दौरान क्लेम करना, और नेटवर्क हॉस्पिटल का उपयोग न करना शामिल हैं। खासकर डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर जैसी पुरानी बीमारियों को छुपाना सबसे बड़ी गलती साबित हो सकती है। पॉलिसी में प्रिवेंटिव डिस्क्लोजर और वारंटी क्लॉज का उल्लंघन होने पर क्लेम तुरंत रिजेक्ट हो सकता है क्योंकि बीमा कंपनियां धोखाधड़ी को गंभीर अपराध मानती हैं।
इसलिए हेल्थ इंश्योरेंस लेने से पहले मेडिकल हिस्ट्री पूरी ईमानदारी से साझा करना ही सबसे सुरक्षित और समझदारी भरा कदम है। सही जानकारी देने से न सिर्फ भविष्य में क्लेम विवाद से बचा जा सकता है, बल्कि सही कवरेज का लाभ भी मिलता है। पॉलिसीधारक को चाहिए कि वे अपने पॉलिसी डॉक्युमेंट्स को ध्यान से पढ़ें और किसी भी शंका या बीमारी के बारे में पहले से ही कंपनी को सूचित करें। यही पारदर्शिता और ईमानदारी स्वास्थ्य बीमा का वास्तविक लाभ दिलाती है।
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में छिपी कोई भी जानकारी बाद में भारी पड़ सकती है। इसलिए क्लेम करते समय सही और पूरी जानकारी देना सबसे अहम है ताकि बीमा कवर का फायदा सुनिश्चित किया जा सके।