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Home Loan EMI: रेपो रेट कट के बाद EMI और टेन्योर में कितना होगा फायदा, समझिए पूरा कैलकुलेशन

Home Loan EMI: आरबीआई ने जून MPC में रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की बड़ी कटौती की है। इसके बाद होम लोन की EMI में बचत और टेन्योर में कमी होने की उम्मीद है। जानिए कैसे ₹20 लाख से ₹1 करोड़ तक के लोन पर पड़ेगा असर और आपकी जेब को कितना होगा फायदा।

अपडेटेड Jun 07, 2025 पर 3:35 PM
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रेपो रेट वह दर है, जिस पर RBI बैंकों को लोन देता है।

Home Loan EMI: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने जून 2025 की मौद्रिक नीति समिति (MPC) बैठक में बड़ा फैसला लिया है। केंद्रीय बैंक रेपो रेट में 0.50% (50 बेसिस प्वाइंट) की कटौती कर इसे 6.00% से घटाकर 5.50% कर दिया गया है।

यह नीतिगत ब्याज दर में लगातार तीसरी कटौती है। पहले दो बार 25-25 बेसिस प्वाइंट और इस बार 50 बेसिस प्वाइंट। यह फैसला आम जनता, खासकर होम लोन लेने वालों के लिए राहत लेकर आया है। क्योंकि रेपो रेट घटने से बैंकों की फंडिंग लागत कम होती है, जिसका सीधा असर लोन की ब्याज दरों पर पड़ता है।

अब अगर आप 20 साल के लिए होम लोन लेना चाहते हैं, चाहे वह ₹20 लाख हो या ₹1 करोड़, तो अब EMI और टेन्योर में अच्छी खासी बचत हो सकती है। आइए समझते हैं रेपो रेट में कटौती से EMI और टेन्योर पर कितना फर्क पड़ेगा।


रेपो रेट में कटौती का असर क्या होता है?

रेपो रेट वह दर है, जिस पर RBI बैंकों को लोन देता है। जब RBI इस दर को घटाता है, तो बैंकों के पास भी अपने कर्ज को सस्ता करने की गुंजाइश रहती है। यही कारण है कि रेपो रेट में कटौती से होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन जैसे लोन की EMI घट जाती है। इस घटाने का मकसद जनता को राहत देना, खपत बढ़ाना और अर्थव्यवस्था की रफ्तार को तेज करना रहता है।

EMI कैलकुलेशन: कितनी होगी बचत

अभी SBI, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और केनरा बैंक जैसे अधिकतर सरकारी बैंक 8% के आसपास की ब्याज पर होम लोन दे रहे हैं। उन्होंने पिछले कुछ रेपो रेट कट का पूरा फायदा ग्राहकों को ट्रांसफर दिया है। ऐसे में उम्मीद है कि इस बार के रेट कट के बाद ब्याज दर 8% से घटकर 7.5% पर आ जाएगी। आइए समझते हैं कि इस स्थिति में 20 लाख से 1 करोड़ रुपये का होम लोन लेने पर EMI में कितनी बचत होगी। इसमें लोन अवधि 20 साल (240 महीने) रखी गई है।

लोन अमाउंट पुरानी EMI (8%) नई EMI (7.5%) मासिक बचत
कुल बचत
₹20 लाख ₹16,728 ₹16,113 ₹615 ₹1,47,600
₹30 लाख ₹25,092 ₹24,170 ₹922 ₹2,21,280
₹50 लाख ₹41,820 ₹40,283 ₹1,537 ₹3,68,880
₹1 करोड़ ₹83,640 ₹80,566 ₹3,074 ₹7,37,760

नोट: यह कैलकुलेशन एन्युटी फॉर्मूले से किया गया है। इसमें प्रोसेसिंग फीस, इंश्योरेंस या अन्य चार्जेज शामिल नहीं हैं। यह सिर्फ अनुमानित EMI है। असल EMI बैंक की शर्तों, क्रेडिट स्कोर और प्रोसेसिंग फीस जैसे फैक्टर पर निर्भर करेगी।

लोन टेन्योर घटाने पर कितना होगा फायदा?

बैंक अमूमन रेपो रेट कट के बाद EMI की जगह टेन्योर यानी लोन चुकाने की अवधि कम करते हैं। इससे आपका लोन जल्दी खत्म होगा और ब्याज में बचत होगी। हालांकि, अगर आपको EMI कम करानी है, तो उसके लिए बैंक से संपर्क करना होगा।

आइए यह भी समझ लेते हैं कि RBI के जून MPC में 50 बेसिक प्वाइंट की कटौती के बाद 20 लाख से 1 करोड़ रुपये तक के होम लोन में टेन्योर कितना कम होगा।

लोन अमाउंट EMI (पुरानी ₹8%) नई ब्याज दर (7.5%) पहले टेन्योर नया टेन्योर टेन्योर में बचत
₹20 लाख ₹16,728 7.50% 20 साल 18 साल 9 महीने 1 साल 3 महीने
₹30 लाख ₹25,092 7.50% 20 साल 18 साल 9 महीने 1 साल 3 महीने
₹50 लाख ₹41,820 7.50% 20 साल 18 साल 9 महीने 1 साल 3 महीने
₹1 करोड़ ₹83,640 7.50% 20 साल 18 साल 9 महीने 1 साल 3 महीने

नोट: इसमें माना गया है कि आप EMI में कोई बदलाव नहीं करते और घटे हुए ब्याज दर पर उसी EMI को जारी रखते हैं।

क्या पुराने लोन धारकों को भी फायदा होगा?

अगर आपका लोन फ्लोटिंग रेट पर है, तो रेट कट का फायदा आपको ब्याज दर घटने के रूप में मिल जाएगा। इससे आपकी EMI घटेगी या फिर लोन अवधि कम हो सकती है। यह बैंक की रीसेट पॉलिसी पर निर्भर करता है।

फ्लोटिंग रेट आरबीआई के जो रेपो रेट से लिंक होता है। इसके चलते आरबीआई जब भी रेपो रेट घटाएगा या बढ़ाएगा, तो उसका सीधा असर आपके होम लोन की ब्याज दर पर पड़ेगा। हालांकि, अगर आपने फिक्स्ड रेट लोन लिया है, तो इस कटौती का तुरंत कोई असर नहीं होगा।

नए होम बायर्स के लिए शानदार मौका

जो लोग पहली बार घर खरीदना चाहते हैं, उनके लिए यह बेहतरीन समय है। ब्याज दरें पहले से कम हैं। कई रियल एस्टेट कंपनियां भी डिस्काउंट्स ऑफर कर रही हैं। ऐसे में कम EMI और रियायती प्रॉपर्टी कीमतों का फायदा उठाया जा सकता है।

बेसिक होम लोन के को-फाउंडर और सीईओ अतुल मोंगा का कहना है, 'होम लोन लेने वालों के लिए RBI का रेट कट का फैसला बड़ी राहत लेकर आया है। जो लोग अब तक कर्ज लेने को लेकर हिचक रहे थे, उनके लिए यह एक अच्छा मौका हो सकता है। हालांकि, मैं कर्ज लेने को इस फेवरबल माहौल का पूरा लाभ उठाने से पहले अलग-अलग विकल्पों की तुलना करनी चाहिए और सोच समझकर फैसला लेना चाहिए।'

उन्होंने कहा, 'पहले से फ्लोटिंग रेट लोन ले चुके ग्राहकों की EMI घटने की उम्मीद है, खासकर अगर उनका लोन रेपो रेट से लिंक्ड है। पब्लिक सेक्टर बैंक आमतौर पर ऐसी कटौतियों को जल्दी पास ऑन करते हैं, इसलिए उनके द्वारा नए आकर्षक लोन ऑफर आने की संभावना है। इससे ग्राहकों को अच्छी बचत हो सकती है।'

क्या रेपो रेट में आगे और कटौती संभव है?

अतुल मोंगा का कहना है कि आरबीआई ने पॉलिसी स्टांस ‘अकोमोडेटिव’ से ‘न्यूट्रल’ करने का फैसला बताता है कि RBI अब आगे सतर्क रुख अपनाना चाहता है। अकोमोडेटिव स्टांस का मतलब होता है कि आरबीआई का इरादा आगे भी रेट कट करने का है। वहीं, न्यूट्रल स्टांस का मतलब है कि केंद्रीय बैंक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों पर गौर करेगा। फिर उसके हिसाब से रेपो रेट घटाने, बढ़ाने या फिर स्थिर रखने का फैसला लेगा।

हालांकि, एक्सपर्ट का मानना है कि अगर महंगाई नियंत्रण में रही और वैश्विक हालात स्थिर रहे, तो RBI आगे और कटौती कर सकता है। इसका मतलब है कि लोन और सस्ते हो सकते हैं, जिससे निवेश और खपत को और बढ़ावा मिलेगा।

रियल एस्टेट सेक्टर की क्या राय है?

रियल एस्टेट सेक्टर का मानना है कि रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की बड़ी कटौती और कैश रिजर्व रेशियो (CRR) को 100 बेसिस पॉइंट घटाकर 3 प्रतिशत करने से रियल एस्टेट सेक्टर को काफी बूस्ट मिलेगा।

कृष्णा ग्रुप और क्रिसुमी कॉर्पोरेशन के चेयरमैन अशोक कपूर का कहना है, 'अब रेपो रेट पिछले साल के मुकाबले कुल 100 बेसिस पॉइंट तक घट चुका है। इससे घर खरीदने वालों को प्रॉपर्टी में निवेश के लिए प्रोत्साहित करेंगे। आगे चलकर इस फैसले का असर घरों के अलग-अलग सेगमेंट्स में मांग के रूप में दिखेगा। इससे रियल एस्टेट बाजार में लगातार ग्रोथ और ग्राहकों का भरोसा दोनों बढ़ेंगे।'

अनंत राज लिमिटेड के डायरेक्टर और सीईओ अमन सरीन का भी मानना है कि रेपो रेट कट से डिमांड बढ़ेगी। उन्होंने कहा, 'नए और मौजूदा दोनों तरह के कर्जदारों के लिए यह कुल 100 बेसिस पॉइंट की राहत ब्याज के बोझ को काफी हद तक कम करेगी। इसके साथ ही यह कदम सिस्टम में और अधिक लिक्विडिटी लाने में मदद करेगा, जिससे आर्थिक रफ्तार को और बल मिलेगा।'

सरीन ने कहा, 'हम मानते हैं कि इसका सकारात्मक असर खास तौर पर मिड और हाई-एंड रियल एस्टेट सेगमेंट पर पड़ेगा, क्योंकि सस्ती ब्याज दरें ईएमआई घटाने के साथ-साथ लोन एलिजिबिलिटी भी बेहतर बनाएंगी।'

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