Tax Saving: प्राइवेट जॉब वालों की बढ़ जाएगी इनहैंड सैलरी, एक्सपर्ट ने बताया टैक्स बचाने का स्मार्ट तरीका
Tax Saving: अगर आप प्राइवेट जॉब में हैं और टैक्स के चलते इनहैंड सैलरी कम मिलती है, तो डिजिटल टैक्स बेनिफिट्स और स्मार्ट सैलरी स्ट्रक्चर से बड़ी राहत मिल सकती है। एक्सपर्ट से जानिए टैक्स बचाने की पूरी रणनीति।
Tax Saving Tips: जागरूकता की कमी के कारण कई कर्मचारी लचीले सैलरी स्ट्रक्चर का लाभ नहीं उठाते।
Tax Saving: कई सैलरीड एंप्लॉयीज ऐसे होते हैं, जो अधिक टैक्स चुका देते हैं। क्योंकि वे उन डिजिटल टैक्स बेनिफिट्स का इस्तेमाल नहीं कर पाते, जिनसे उनकी टैक्स देनदारी काफी हद तक घट सकती है। TaxSpanner (Zaggle ग्रुप) के Co-Founder और CEO सुधीर कौशिक के अनुसार, अगर कर्मचारी डिजिटल टूल्स और टैक्स सेविंग विकल्पों की सही जानकारी लें, तो न केवल टैक्स बचाया जा सकता है, बल्कि इनहैंड सैलरी भी बढ़ाई जा सकती है।
क्या हैं डिजिटल टैक्स बेनिफिट्स?
डिजिटल टैक्स बेनिफिट्स दरअसल पारंपरिक टैक्स छूटों का आधुनिक रूप हैं। इन्हें कंपनियां प्रीपेड कार्ड, ऑनलाइन क्लेम पोर्टल या लीजिंग प्लेटफॉर्म के जरिए देती हैं। उदाहरण के लिए, कंपनियां टैक्सेबल अलाउंस देने के बजाय फ्यूल या मील कार्ड जारी करती हैं। इन पर तय सीमा तक खर्च टैक्स फ्री रहता है।
इसी तरह, इंटरनेट, फोन, किताबों या यूनिफॉर्म जैसे खर्चों की रसीदें डिजिटल पोर्टल पर अपलोड करके टैक्स-फ्री क्लेम किया जा सकता है। इन क्लेम्स को वेरिफाई करने के बाद इनकम टैक्स एक्ट की अलग-अलग धाराओं के तहत टैक्सेबल इनकम से घटाया जाता है।
गैजेट लीजिंग से कैसे घटेगा टैक्स?
कई कंपनियां अब गैजेट लीजिंग की सुविधा भी दे रही हैं, जिसमें कर्मचारी लैपटॉप या फोन जैसी महंगी चीजें खरीदने की बजाय लीज पर लेते हैं। सुधीर कौशिक बताते हैं कि ऐसे मामलों में लीज रेंटल टैक्स से पहले कटता है, जिससे कुल टैक्सेबल इनकम कम हो जाती है। लीज अवधि पूरी होने पर कर्मचारी नाममात्र कीमत पर डिवाइस खरीद भी सकते हैं।
वर्क फ्रॉम होम खर्चों पर भी मिलती है छूट
कोविड के बाद वर्क फ्रॉम होम अलाउंस में भी बदलाव हुआ है। अब अगर कर्मचारी ऑफिस फर्नीचर, UPS या वाई-फाई जैसी सुविधाओं पर खर्च करते हैं और रसीदें दिखाते हैं, तो ये भी टैक्स फ्री क्लेम किए जा सकते हैं। इससे उनकी टैक्स देनदारी कम हो जाती है।
कई कर्मचारी कर रहे ये बड़ी गलतियां
सुधीर कौशिक का कहना है कि जागरूकता की कमी के कारण कई कर्मचारी लचीले सैलरी स्ट्रक्चर का लाभ नहीं उठाते। कुछ लोग तो कार्ड्स या टैक्स फ्री क्लेम्स की पूरी लिमिट तक खर्च ही नहीं करते। वहीं क्लब मेंबरशिप जैसे कुछ पर्क्स को टैक्सेबल मानने में भी चूक हो जाती है।
इसके अलावा, बिना तुलना किए नए टैक्स रिजीम को चुनना भी एक आम गलती है। नए टैक्स सिस्टम में टैक्स रेट कम हैं लेकिन कोई डिडक्शन नहीं मिलती। वहीं, पुराने सिस्टम में लचीली सैलरी और अलग-अळग छूटों से ज्यादा बचत संभव होती है।
टेक-होम सैलरी बढ़ाने के स्मार्ट उपाय
एक्सपर्ट की सलाह है कि टैक्स-ऑप्टिमाइज्ड सैलरी स्ट्रक्चर से शुरुआत करें। इसके लिए HR से संपर्क कर LTA, मील कार्ड, गैजेट लीज और प्रोफेशनल कोर्स जैसे रिइंबर्समेंट्स को सैलरी स्ट्रक्चर में शामिल करवाएं। साथ ही, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का सही इस्तेमाल करें। इनमें क्लेम टाइम पर जमा करना, लिमिट ट्रैक करना और बिल्स को डिजिटल फॉर्म में सुरक्षित रखना शामिल है।
इसके अलावा, सेक्शन 80C और 80D के तहत ELSS, NPS और हेल्थ इंश्योरेंस में निवेश कर अतिरिक्त डिडक्शन प्राप्त किया जा सकता है। सुधीर कौशिक याद दिलाते हैं कि एजुकेशन लोन पर ब्याज (धारा 80E) जैसी छूटों का भी लोग अक्सर ध्यान नहीं रखते।
ITR समय पर फाइल करना क्यों जरूरी?
चाहे आपकी इनकम टैक्सेबल लिमिट से कम हो, फिर भी समय पर ITR भरना फायदेमंद होता है। जल्दी रिटर्न फाइल करने से रिफंड जल्दी मिलता है और एक मजबूत फाइनेंशियल रिकॉर्ड बनता है, जो होम लोन या वीजा जैसी जरूरतों में काम आता है।
साथ ही, Form 16, Form 26AS और AIS का मिलान भी जरूरी है। अगर इन दस्तावेजों में गड़बड़ी रह जाए तो एडवांस टैक्स की शॉर्टफॉल पर ब्याज देना पड़ सकता है। कौशिक के अनुसार, ऐसे मिसमैच से गैरजरूरी पेनल्टी का खतरा रहता है।