UPI ऐप्स अब कैशबैक और पॉइंट्स प्रोग्राम को तेजी से बढ़ा रहे हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि ये रिवार्ड कैसे काम करते हैं, ताकि यूजर्स हर ट्रांजैक्शन का अधिक फायदा ले सकें। एक्सपर्ट बताते हैं कि रिवार्ड का असली मूल्य कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है और यूजर्स को किन बदलावों पर नजर रखनी चाहिए।
सिर्फ कैशबैक प्रतिशत पर भरोसा न करें
LIGHT - Credit for UPI की CEO और को-फाउंडर विधि अशोक भट्ट कहती हैं कि ऐप्स 1-2% कैशबैक जैसे बड़े नंबर दिखाते हैं, लेकिन असली बात कॉइन या पॉइंट की वैल्यू तय करती है। कुछ प्लेटफॉर्म 1 कॉइन = ₹1 देते हैं, जबकि कुछ में इसकी वैल्यू 40 पैसे तक होती है।
इसी वजह से रिवॉर्ड पर्सेंटेज और कॉइन-टू-कैश वैल्यू दोनों देखना खास महत्वपूर्ण है, खासकर जब खर्च बड़ा हो।
किस कैटेगरी पर ज्यादा रिवार्ड मिलता है
भट्ट के मुताबिक, सभी ट्रांजैक्शंस पर एक जैसा रिवॉर्ड नहीं मिलता। ट्रैवल, शॉपिंग, डायनिंग और मूवी जैसी कैटेगरी में आमतौर पर ज्यादा रिवॉर्ड होते हैं। क्योंकि इन पर ब्रांड पार्टनरशिप और प्रमोशन चलते रहते हैं। कई ऐप्स सब्सक्रिप्शन, इलेक्ट्रॉनिक्स, फैशन और फूड डिलीवरी पर भी अच्छी रिवॉर्ड दरें देते हैं।
वहीं बिल पेमेंट और रिचार्ज जैसे जरूरी खर्चों पर आमतौर पर कम रिवॉर्ड मिलते हैं। जो यूजर्स रिटर्न बढ़ाना चाहते हैं, उन्हें डिस्क्रेश्नरी खर्च सही ऐप के जरिए करना चाहिए।
रिवॉर्ड लेते समय प्राइवेसी कैसे बचाएं
भट्ट का कहना है कि रिवार्ड फीचर्स सुरक्षित तरीके से इस्तेमाल किए जा सकते हैं, बस कुछ सरल सावधानियां जरूरी हैं। यूजर्स को भरोसेमंद ऐप्स चुनने चाहिए, केवल जरूरी परमिशन देनी चाहिए।
किसी भी ऐसे ऑफर से बचना चाहिए जो मैसेज या पर्सनल फाइल्स जैसी संवेदनशील जानकारी मांगता हो। इसके साथ UPI PIN गोपनीय रखना, फोन में डिवाइस सिक्योरिटी ऑन रखना और ऐप अपडेट करते रहना भी जरूरी है।
रिवार्ड स्ट्रक्चर में किन बदलावों पर नजर रखें
क्योंकि UPI ऐप्स की रिवार्ड पॉलिसी अक्सर बदलती रहती है, एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि यूजर्स कुछ प्रमुख मेट्रिक्स पर ध्यान दें। इनमें कैशबैक प्रतिशत में बदलाव, कॉइन-टू-कैश वैल्यू में उतार-चढ़ाव, कैटेगरी-आधारित बोनस और ऐप्स में चल रहे शॉर्ट-टर्म प्रमोशनल ऑफर शामिल हैं।
एक्सपर्ट का कहना है कि इन्हीं फैक्टर पर नजर रखना काफी है। इससे यूजर्स को यह समझने में आसानी होती है कि किस ऐप में असली वैल्यू कहां मिल रही है।