क्या आप इनकम टैक्स रिफंड का इंतजार कर रहे हैं? अगर हां तो आपको सावधानी बरतने की जरूरत है। इनकम टैक्स रिफंड के नाम पर टैक्सपेयर्स के साथ फ्रॉड हो रहा है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई थी। इसलिए रिटर्न फाइल करने वाले टैक्सपेयर्स अब रिफंड का इंतजार कर रहे हैं। फ्रॉड करने वाले इसी का फायदा उठा रहे हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इस बारे में टैक्सपेयर्स को आगाह किया है। टैक्सपेयर्स को कैसे फ्रॉड बताया जा रहा हैं, उन्हें कॉल पर क्या बताया जा रहा है? आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) ने इस बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट किया है। इसमें कहा गया है कि टैक्सपेयर्स को सावधान रहना चाहिए। अगर उन्हें रिफंड के बारे में किसी तरह का कम्युनिकेशन मिलता है तो उसे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के ऑफिशियल चैनल से उसे वेरिफाइ करना चाहिए। इसका मतलब है कि अगर आपको ईमेल के जरिए या फोन कॉल के जरिए रिफंड के बारे में मैसेज आता है और आपसे क्रेडिट कार्ड नबर या बैंक अकाउंट नंबर का डिटेल मांगा जाता है तो आपको देने की जरूरत नहीं है।
एक टैक्सपेयर्स के साथ 1.5 लाख रुपये का फ्रॉड
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास टैक्सपेयर्स का ईमेल होता है। वह टैक्सपेयर्स को ईमेल के जरिए रिफंड के बारे में जानकारी देता है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने यह भी कहा है कि रिफंड से जुड़े एक मैसेज पर क्लिक करने से एक व्यक्ति को 1.5 लाख रुपये का लाॉस हुआ है। यह मैसेज फर्जी था। मैसेज के जरिए उसे एक ऐप डाउनलोड करने को कहा गया। इसके डाउनलोड होने के बाद उसका फोन हैक हो गया। फिर उसके बैंक अकाउंट से पैसे निकल गए।
यह तरीका अपना रहे फ्रॉड करने वाले
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने यह भी कहा है कि वह टैक्सपेयर्स से कभी पॉप-अप विंडोज के जरिए संपर्क नहीं करता है। फ्रॉड करने वाले फर्जी मैसेज में टैक्सपेयर्स को यह बताते हैं कि उनका 15,000 रुपये का रिफंड एप्रूव्ड हो गया है। यह पैसा जल्द उनके अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। फिर टैक्सपेयर्स को बैंक अकाउंट नंबर वेरिफाइ करने को कहा जाता है। एक नंबर दिया जाता है और कहा जाता है कि अगर यह नंबर सही नहीं है तो उसे इस लिंक पर अपने बैंक अकाउंट नंबर को अपडेट करना होगा।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास होता है टैक्सपेयर्स का ईमेल आईडी
एक्सपर्ट्स का कहना है कि टैक्सपेयर्स को रिफंड से जुड़े हर मैसेज को ध्यान से देखने की जरूरत है। अगर उन्हें अपने बैंक अकाउंट को वेरिफाय करने को कहा जाता है तो समझ जाना चाहिए कि यह फर्जी मैसेज है। इसकी वजह यह है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास पहले से टैक्सपेयर्स के बैंक अकाउंट की जानकारी होती है। इसलिए वह इस तरह का मैसेज टैक्सपेयर्स को नहीं भेजता है।