इनकम बढ़ने से टैक्स भी बढ़ता है। सबसे ज्यादा टैक्स स्लैब में आने वाले लोगों को काफी टैक्स चुकाना पड़ता है। गाजियाबाद के मोहन लाल शर्मा ने एक सवाल पूछा है। वह सबसे ज्यादा टैक्स स्लैब में आते हैं। वह सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन भी क्लेम करते हैं। वह जानना चाहते हैं कि क्या होम लोन लेकर घर खरीदने से उनका टैक्स कम हो जाएगा? मनीकंट्रोल ने इस सवाल का जवाब टैक्स एक्सपर्ट, सीए और सीएफपी बलवंत जैन से पूछा।
इनकम टैक्स की दोनों रीजीम में से किसमें ज्यादा फायदा
जैन ने कहा कि सबसे पहले टैक्सपेयर्स को यह चेक करने की जरूरत है कि उसके लिए इनकम टैक्स की नई रीजीम और पुरानी रीजीम में से कौन सी फायदेमंद है। कई टैक्सपेयर्स के लिए इनकम टैक्स की नई रीजीम फायदेमंद हो गई है। मोहन लाल शर्मा को अगर पुरानी रीजीम फायदेमंद लगती है तो वह सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये का डिडक्शन क्लेम करने के साथ ही NPS में निवेश कर सेक्शन 80CCD(1B) के तहत अतिरिक्त 50,000 रुपये का डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं।
होम लोन लेकर खरीदे गए घर पर टैक्स डिडक्शन
उन्होंने कहा कि जहां तक होम लोन लेकर टैक्स बचाने का सवाल है तो शर्मा के लिए यह जान लेना जरूरी है कि अगर घर किराए पर दिया जाता है तो उससे होने वाली कमाई पर 'इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी' हेड के तहत टैक्स लगता है। रेंटल इनकम पर 30 फीसदी स्टैंडर्ड डिडक्शन की इजाजत है। अगर शर्मा होम लोन लेकर घर खरीदते हैं और उसे किराए पर देते हैं तो वह सेक्शन 24 के तहत होम लोन पर पूरे इंटरेस्ट पर डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। इसके लिए कोई लिमिट नहीं है।
नई रीजीम में इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी को सेट-ऑफ करने की इजाजत नहीं
जैन ने कहा कि शर्मा को यह भी ध्यान में रखने की जरूरत है कि अगर वह नई टैक्स रीजीम का इस्तेमाल करते हैं तो वह 'इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी' से हुए लॉस को किसी दूसरी इनकम के साथ सेट-ऑफ नहीं कर सकेंगे। ओल्ड टैक्स रीजीम में भी हाउस प्रॉपर्टी से हुए लॉस को दूसरी इनकम के साथ सेट-ऑफ करने के लिए एक साल में 2 लाख रुपये की लिमिट तय है। बाकी लॉस को अगले 8 एसेसमेंट ईयर तक कैरी-फॉरवर्ड किया जा सकता है। उसे सिर्फ हाउस प्रॉपर्टी से होने वाली इनकम के साथ सेट-ऑफ किया जा सकता है।
कमर्शियल प्रॉपर्टी के सिर्फ इंटरेस्ट पर डिडक्शन क्लेम करने की इजाजत
जैन ने कहा कि ओल्ड रीजीम में घर खरीदने के वास्ते लिए गए होम लोन के प्रिंसिपल अमाउंट पर सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। इसकी लिमिट 1.5 लाख रुपये है। लेकिन, यह डिडक्शन कमर्शियल प्रॉपर्टी खरीदने पर क्लेम नहीं किया जा सकता। तब सिर्फ इंटरेस्ट पर डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। हालांकि, प्रॉपर्टी खरीदने के लिए लोन लेने से टैक्स लायबिलिटी घट जाती है और एक एसेट भी क्रिएट होता है। हालांकि, टैक्सपेयर्स को सिर्फ टैक्स बचाने के लिए रियल एस्टेट में इनवेस्ट नहीं करना चाहिए। होम लोन एक लंबी अवधि की फाइनेंशियल लायबिलिटी है। इसका असर टैक्सेपयर के कैश फ्लो पर पड़ता है।