सोने में निवेश के लिहाज से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) अच्छा विकल्प रहा है। सरकार ने इसकी शुरुआत 2015 में की थी। इसमें निवेश 8 साल में मैच्योर हो जाता है। इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स से छूट हासिल है। चंडीगढ़ के रहने वाले अमन शर्मा ने 2016-17 में एसजीबी में निवेश किया था। 2024-25 में उनका इनवेस्टमेंट मैच्योर कर गया। उनका सवाल है कि क्या इससे हुए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस को उन्हें इनकम टैक्स रिटर्न में डिक्लेयर करना होगा? मनीकंट्रोल ने टैक्स एक्सपर्ट और चार्टर्ड अकाउंटेंट बलवंत जैन से यह सवाल पूछा।
जैन ने कहा कि SGB गोल्ड में निवेश के सबसे अच्छे ऑप्शंस में से एक है। इसमें निवेश पर इश्यू प्राइस पर सालाना 2.50 फीसदी इंटरेस्ट मिलता है। मैच्योरिटी अमाउंट को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस से छूट हासिल है। इनवेस्टमेंट 8 साल में मैच्योर हो जाता है। हालांकि, अगर कोई इनवेस्टर मैच्योरिटी से पहले पैसे निकालना चाहता है तो इसकी इजाजत है। पांच साल के बाद पैसे निकाले जा सकते हैं। रिडेम्प्शन के लिए सरेंडर किए गए सभी एसजीबी को कैपिटल गेंस से छूट हासिल है चाहे आपने इसे इश्यू में सब्सक्राइब किया है या सेकेंडरी मार्केट से खरीदा है।
उन्होंने कहा कि इनवेस्टर के एसजीबी को भुनाने (रिडेम्प्शन) को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 47(VIIIC) के तहत ट्रांसफर नहीं माना जाता है। कैपिटल गेंस के नियम तभी लागू होते हैं जब किसी कैपिटल एसेट का ट्रांसफर होता है। चूंकि रिडेम्प्शन को टैक्स के नियमों के तहत ट्रांसफर नहीं माना जाता है, जिससे इनवेस्टर को कैपिटल गेंस होने का सवाल पैदा नहीं होता है। लेकिन, अगर एसजीबी को स्टॉक एक्सचेंज के प्लेटफॉर्म के जरिए बेचा जाता है या इसे प्राइवेट रूप से ट्रांसफर किया जाता है तो इससे हुए प्रॉफिट को कैपिटल गेंस माना जाएगा। एक साल से पहले बेचने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस माना जाएगा और एक साल के बाद बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस माना जाएगा।
जैन ने कहा कि 23 जुलाई, 2024 से पहले रिडेम्प्शन हुआ है तो बगैर इंडेक्सेशन 10 फीसदी का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लागू होगा, जबकि इंडेक्सेशन के साथ 20 फीसदी टैक्स लागू होगा। 23 जुलाई, 2024 के बाद रिडेम्प्शन हुआ है तो बगैर इंडेक्सेशन लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर 12.5 फीसदी टैक्स लागू होगा। पहले हम चर्चा कर चुके हैं कि एसजीबी के रिडेम्प्शन पर हुए प्रॉफिट को इनकम नहीं माना जाता है, क्योंकि इसे ट्रांसफर नहीं माना जाता है। इसलिए अमन शर्मा को इस ट्रांसफर के बारे में अपने इनकम टैक्स रिटर्न में बताने की जरूरत नहीं है। अगर वह ज्यादा सावधानी बरतना चाहते हैं तो वह रिडेम्प्शन से मिले पैसे को ITR के 'एग्जेम्प्ट इनकम' (EI) शिड्यूल में डिसक्लोज कर सकते हैं।
डिसक्लेमर: मनीकंट्रोल पर व्यक्त विचार एक्सपर्ट्स के अपने विचार होते हैं। ये वेबसाइट या मैनेजमेंट के विचार नहीं होते। मनीकंट्रोल निवेशकों को इनवेस्टमेंट का फैसला लेने से पहले सर्टिफायड एक्सपर्ट्स की राय लेने की सलाह देता है।