Income Tax: अगर मकान मालिक का कुल रेंट 50,000 रुपये से ज्यादा है तो उस पर टीडीएस डिडक्ट करना होगा?

इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 194आईबी के मुताबिक, इंडिविजुअल्स और हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) को रेंट पर 2 फीसदी टीडीएस काटना जरूरी है, अगर घर का मंथली रेंट 50,000 रुपये से ज्यादा है

अपडेटेड Dec 11, 2025 पर 2:50 PM
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अगर रेंट का पेमेंट कैश या किसी बैंकिंग चैनल के जरिए होता है तो टैक्स रेंट के पेमेंट के वक्त डिडक्ट करना जरूरी है।

इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 194आईबी में घर के रेंट पेमेंट पर टीडीएस के नियमों का उल्लेख है। कई मकान मालिक को लगता है कि टीडीएस प्रॉपर्टी से मिले कुल रेंट पर लगता है। लेकिन, सेक्शन 194आईबी इस तरह से काम नहीं करता है। इस बारे में मोहित जैन का एक सवाल है। उन्होंने बताया है कि उन्हें उनके अपार्टमेंट से हर महीने 80,000 रुपये रेंट मिलता है। यह रेंट दो किरायादारों से मिलता है। प्रत्येक किरायादार 40,000 रुपये रेंट देता है। यह प्रति किरायदार 50,000 रुपये के रेंट से कम है।

उनका कहना है कि क्या इस पर टीडीएस डिडक्ट होगा? अगर डिडक्ट होगा तो क्या यह मार्च में फाइनेंशियल ईयर के कुल रेंट पर डिडक्ट होगा और टीडीएस का रेट 2 फीसदी होगा? मनीकंट्रोल ने यह सवाल मशहूर टैक्स एक्सपर्ट और सीए बलवंत जैन से पूछा।

सेक्शन 194आईबी में रेंट पर टीडीएस के नियम


जैन ने बताया कि इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 194आईबी के मुताबिक, इंडिविजुअल्स और हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) को रेंट पर 2 फीसदी टीडीएस काटना जरूरी है, अगर घर का मंथली रेंट 50,000 रुपये से ज्यादा है। टीडीएस फाइनेंशियल ईयर के मार्च महीने में डिडक्ट करना होता है या उस महीने में जिसमें किरायेदार घर छोड़ रहा होता है। अगर किरायादार मार्च से पहले घर छोड़ रहा होता है तो किराया जिस महीने मकान मालिक के बैंक अकाउंट में क्रेडिट होता है, उस महीने टीडीएस काटना होता है।

 किरायेदार के लिए टैक्स डिडक्शन अकाउंट नंबर जरूरी नहीं

उन्होंने कहा कि अगर रेंट का पेमेंट कैश या किसी बैंकिंग चैनल के जरिए होता है तो टैक्स रेंट के पेमेंट के वक्त डिडक्ट करना जरूरी है। तब फाइनेंशियल ईयर के मार्च तक इंतजार नहीं करना होता है। रेंट पर टीडीएस काटने के लिए किरायेदार को टैक्स डिडक्शन अकाउंट नंबर लेने की जरूरत नहीं होती है। वह काटे गए टैक्स के पेमेंट के लिए फॉर्म 26QC (चालान-कम-रेंट पर टीडीएस स्टेटमेंट) का इस्तेमाल करता है। यह सिंगल फॉर्म डिडक्शन की रिपोर्टिंग के लिए पेमेंट के लिए चालान और स्टेटमें दोनों का काम करता है।

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50000 रुपये की लिमिट प्रति किरायेदार के लिए

जैन ने कहा कि रेंट की 50,000 रुपये की लिमिट प्रति किराएदार के लिए है न कि प्रति प्रॉपर्टी के लिए। चूंकि, मोहित जैन को प्रत्येक किरायेदार से मिलने वाला रेंट 50,000 रुपये की लिमिट से कम है तो किरायेदारों को रेंट के पेमेंट के वक्त टीडीएस डिडक्ट करने की जरूरत नहीं है।

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