Income tax new rules: जानिए 1 अप्रैल से इनकम टैक्स के कौन-कौन से नए नियम लागू हो गए हैं

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी, 2025 को यूनियन बजट में इनकम टैक्स के कई नियमों में बदलाव का प्रस्ताव पेश किया था। ये सभी बदलाव 1 अप्रैल से लागू हो गए हैं। इससे टैक्सपेयर्स पर टैक्स का बोझ घटेगा। उनके हाथ में खर्च के लिए ज्यादा पैसे बचेंगे

अपडेटेड Apr 01, 2025 पर 5:06 PM
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सीनियर सिटीजंस को इस वित्त वर्ष से एफडी के मामले में राहत मिलेगी।

आज से नया वित्त वर्ष शुरू हो गया है। अब सालाना 12 लाख रुपये तक की इनकम वाले टैक्सपेयर्स को टैक्स देने की जरूरत नहीं है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इसका ऐलान 1 फरवरी, 2025 को यूनियन बजट में किया था। यह नियम आज से लागू हो गया है। लेकिन, यह सिर्फ इनकम टैक्स की नई रीजीम का इस्तेमाल करने वाले लोगों के लिए है। वित्तमंत्री ने यूनियन बजट 2025 में इनकम टैक्स की नई रीजीम के टैक्स स्लैब में भी बदलाव का ऐलान किया था। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

नई रीजीम में नए टैक्स स्लैब्स

इनकम टैक्स की नई रीजीम (Income tax new regime) ऐसे टैक्सपेयर्स के लिए फायदेमंद है, जो डिडक्शन क्लेम नहीं करते हैं। नई रीजीम में टैक्स के रेट्स कम हैं, लेकिन ज्यादातर डिडक्शन नहीं मिलते हैं। पुरानी रीजीम में टैक्स-सेविंग्स इनवेस्टमेंट पर डिडक्शन मिलता है। सरकार नई रीजीम को लगातार अट्रैक्टिव बनाने की कोशिश कर रही है। इसके लिए सरकार ने 1 फरवरी, 2025 को पेश यूनियन बजट में नई रीजीम के लिए कई बड़े ऐलान किए थे। पहला, सरकार ने कहा था कि सालाना 12 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स नहीं देना होगा। दूसरा, नई रीजीम में टैक्स स्लैब्स में भी बदलाव किया था।

ऑडिट और कंसल्टिंग फर्म Deloitte India के कैलकुलेशन के मुताबिक, अगर किसी व्यक्ति की सालाना इनकम 12 लाख रुपये है तो उसका टैक्स करीब 83,200 रुपये घट जाएगा। अगर किसी टैक्सपेयर की इनकम सालाना 16 लाख रुपये है तो उसका टैक्स 52,000 रुपये घट जाएगा। इसका मतलब है कि कई टैक्सपेयर्स के लिए अब नई रीजीम फायदेमंद हो गई है।


क्या आपको नई रीजीम में स्विच करना चाहिए?

अगर किसी टैक्सपेयर ने होम लोन नहीं लिया है और एचआरए क्लेम नहीं करता है तो इस वित्त वर्ष से उसे नई रीजीम का इस्तेमाल करना फायदेमंद साबित हो सकता है। डेलॉयट का कहना है कि अगर 24 लाख रुपये से ज्यादा इनकम वाला कोई टैक्सपेयर 8 लाख रुपये या इससे ज्यादा डिडक्शन क्लेम करता है तभी ओल्ड रीजीम में उसे फायदा होगा। इसका मतलब है कि पुरानी रीजीम में सेक्शन 80सी, सेक्शन 80डी और सेक्शन 24बी के तहत डिडक्शन क्लेम करने के बावजूद टैक्सपेयर्स को नई रीजीम के मुकाबले ज्यादा टैक्स देना होगा।

सीनियर सिटीजंस को FD के मामले में टीडीएस से राहत

सीनियर सिटीजंस को इस वित्त वर्ष से एफडी के मामले में राहत मिलेगी। अब फिक्स्ड डिपॉजिट से मिलने वाला एक लाख रुपये तक का इंटरेस्ट टीडीएस के दायरे में नहीं आएगा। इससे पहले 50,000 रुपये की इंटरेस्ट इनकम टीडीएस के दायरे में नहीं आती थी। अगर किसी सीनियर सिटीजंस को एफडी पर एक लाख रुपये से ज्यादा इंटरेस्ट मिलता है तभी उस पर बैंक 10 फीसदी टीडीएस काटेगा।

नए वित्त वर्ष में किराएदार को भी राहत मिलना शुरू हो जाएगा। अगर किराएदार सालाना 6 लाख रुपये तक घर का किराया चुकाता है तो उसे टीडीएस काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सालाना किराया 6 लाख रुपये से ज्यादा होने पर ही उसे टीडीएस काटकर किराया का पैसा मकानमालिक को देना होगा। पहले सालाना 2.40 लाख रुपये तक के किराए को ही टीडीएस से छूट हासिल थी।

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स्टूडेंट्स और ट्रैवलर्स को राहत

अब लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत विदेश 10 लाख रुपये से ज्यादा भेजने पर ही टीसीएस लागू होगा। पहले 7 लाख रुपये से ज्यादा भेजने पर टीसीएस लागू होता था। विदेश में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स के मातापिता अपने बच्चे को 7 लाख रुपये से ज्यादा भेजते हैं तो वह टीसीएस के दायरे में नहीं आएगा। पहले इस पर 0.5 फीसदी टीसीएस लगता था। लेकिन, शर्त यह है कि यह पैसा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन से लिए गए लोन से भेजा जाना चाहिए।

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First Published: Apr 01, 2025 3:14 PM

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