इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने अपने इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) में फॉरेन एसेट्स और इनकम डिसक्लोज नहीं करने वाले कई टैक्सपेयर्स को मेल भेजा है। विदेशी कंपनियों के शेयर, एंप्लॉयी स्टॉक ऑप्शन (ईसॉप्स) या विदेश में बैंक अकाउंट रखने वाले टैक्सपेयर्स को भी ऐसे मेल आ रहे हैं। टैक्स एक्सपर्ट का कहना है कि ये सिस्टम- जेनरेटेड इंटिमेशंस हैं ये पेनाल्टी नोटिस या एनफोर्समेंट एक्शंस नहीं हैं। इसके बावजूद मेल मिलने से टैक्सपेयर्स चिंतित हैं।
ऐसे मेल या इंटिमेशंस से घबराने की जरूरत नहीं
एसबीएचएस एंड एसोसिएट्स के फाउंडिंग पार्टनर हिमांक सिंगला ने कहा, "सबसे पहले तो इस मेल से घबराने की कोई जरूरत नहीं है। ये छापा (raids) या पेनाल्टी नोटिस नहीं हैं। Income Tax Department ने सिर्फ फॉरेन डेटा मैचिंग के आधार पर सिस्टम जेनरेटेड इंटिमेशंस भेजना शुरू किया है। टैक्सपेयर्स के पास इसे ठीक करने के लिए पूरा समय है, क्योंकि रिवाइज्ड आईटीआर फाइल करने की डेडलाइन 31 दिसंबर है।"
आईटी डिपार्टमेंट ने फॉरेन डेटा मैंचिंग पर फोकस बढ़ाया है
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने फॉरेन डेटा मैचिंग और इंफॉर्मेशन एक्सचेंज मैकेनिज्म पर फोकस बढ़ाया है। उसे ओवरसीज ज्यूरिडिक्शंस, ग्लोबल कस्टोडियंस और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस से जानकारियां मिल रही हैं। सिंगला ने कहा, "हमने देखा है कि ज्यादातर ऐसे मामलों में गलती से ऐसा हुआ है, जानकारी छुपाई नहीं गई है। ज्यादातर सैलरीड इंडिविजुअल्स यह नहीं समझते कि एमएनसी एंप्लॉयर्स से मिले शेयर्स, रिस्ट्रेक्टेड स्टॉक यूनिट्स (RSUs), ESOP या बोनस शेयरों के बारे में शिड्यूल एफ में अलग से बताना जरूरी है। अगर सैलरी के जरिए टैक्स चुका दिया गया है तो भी इसे बताना होगा।"
विदेशी शेयर्स या ईटीएफ के निवेशकों को भी आ रहे मेल
यह मसला अब आम हो गया है, क्योंकि इंडियन प्रोफेशनल्स बड़ी संख्या में मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करते हैं या उन्हें विदेशी पेरेंट कंपनी या ग्रुप एनटिटी की तरफ से स्टॉक-बेस्ड कंपनसेशन मिलता है। इंडियन प्लेटफॉर्म्स के जरिए विदेशी कंपनियों के शेयरों और ईटीएफ में निवेश करने वाले इंडिविजुअल्स को भी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के इंटिमेशंस मिल रहे हैं। सिंगल ने कहा, "कई टैक्सपेयर्स INDmoney जैसे प्लेटफॉर्म्स या दूसरे ब्रोकर्स के जरिए विदेशी स्टॉक्स या ईटीएफ में इनवेस्ट करते हैं।"
फॉरेन एसेट्स होल्डिंग के बारे में आईटीआर में बताना होगा
उन्होंने कहा कि ये इंडिविजुअल्स सोचते हैं कि चूंकि यह निवेश इंडियन ऐप या बैंक के जरिए हुआ है, जिससे अलग से इसके बारे में जानकारी देना जरूरी नहीं है। ऐसा सोचना गलत है क्योंकि इस तरह की फॉरेन होल्डिंग्स के बारे में भी आईटीआर में बताना जरूर है। टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि एसेट कहां (loacation) है यह ज्यादा मायने रखता है न कि ऐप या ब्रोकर का लोकेशन का क्या है।
ऐसे मेल या इंटिमेंशन मिलने पर टैक्सेपयर्स को क्या करना है?
टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से मिले इंटिमेशंस की अनदेखी नहीं करें। सिंगला ने कहा, "टैक्सपेयर्स के लिए यह सलाह है कि उन्हें ऐसे मेल की अनदेखी नहीं करनी चाहिए और डरने की भी जरूरत नहीं है। आपको अपने सीए से बातचीत करनी है। आपको यह देखना है कि क्या आपके पास फॉरेन शेयर्स, RSUs, ESOPs, विदेश में बैंक अकाउंट् या फॉरेन इनवेस्टमेंट है। अगर है तो आपको उसकी जानकारी जुटानी होगी और जरूरी होने पर रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करना होगा। "