हर साल कई टैक्सपेयर्स को रिफंड के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। कई टैक्सपेयर्स के लिए यह पैसा काफी मायने रखता है। सवाल है कि आखिर रिफंड आपके बैंक अकाउंट में क्यों नहीं आ रहा है? आपको रिफंड के लिए कब तक इंतजार करना चाहिए? टैक्सपेयर के रूप में आपके क्या अधिकार हैं?
आईटीआर की प्रोसेसिंग के लिए नियम
टैक्सबडी के फाउंडर सुजीत बांगर ने कहा, "इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 143(1) के प्रावधान के हिसाब से चलता है। यह प्रावधान इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को जिस वित्त वर्ष के लिए रिटर्न फाइल किया जाता है, उसके खत्म होने के 9 महीनों के अंदर उसे प्रोसेस करने का समय देता है। कई टैक्सपेयर्स को इस प्रावधान के बारे में पता नहीं होता। इसलिए वे रिटर्न फाइल करने के कुछ ही समय बाद रिफंड का इंतजार करने लगते हैं।"
डिपार्टमेंट के पास 31 दिसंबर तक का समय
उन्होंने कहा कि रिटर्न की प्रोसेसिंग पूरी तरह ऑटोमेटेड सिस्टम से होती है। इसमें कोई मानवीय हस्तक्षेप नहीं होता। कुछ मामलों में रिफंड जल्द आ जाता है। लेकिन, डिपार्टमेंट के पास तय डेडलाइन में इसे प्रोसेस करने का अधिकार है। इसका मतलब है कि सितंबर 2025 में फाइल किए गए रिटर्न को प्रोसेस करने और रिफंड इश्यू करने के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास 31 दिसंबर, 2025 तक का समय है।
अगले महीन रिफंड आ जाने की उम्मीद
सीबीडीटी के चेयरमैन रवि अग्रवाल ने हाल में स्पष्ट किया था कि कई आईटीआर असामान्य दिख रहे हैं। डिपार्टमेंट उन्हें ध्यान से देख रहा है और यह जानने की कोशिश कर रहा है कि क्या उनकी फाइलिंग में कोई गलती हुई है। उन्होंने यह भी बताया था कि इस साल 40 फीसदी ज्यादा अपील सेटल हुए हैं। बाकी रिफंड इस महीने या दिसंबर तक इश्यू हो जाने की उम्मीद है।
कोर्ट के पास जाने का विकल्प
मुंबई के टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन ने कहा, "आईटीआर की प्रोसेसिंग के लिए 9 महीने की लिमिट है। लेकिन रिफंड इश्यू करने के लिए कोई टाइम लिमिट नहीं है। कानून के तहत कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि बगैर पर्याप्त कारण के इसे असीमित समय तक रोककर नहीं रखा जा सकता। अगर आपको रिफंड नहीं मिलता है तो हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकते है। उसमें आप कोर्ट से डिपार्टमेंट को रिफंड जारी करने का आदेश देने का अनुरोध कर सकते हैं।"
रिफंड देर से आने पर टैक्सपेयर्स को मुआवजा मिलता है। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 244ए में इस बारे में बताया गया है। इसमें कहा गया है कि रिफंड में देर होने पर हर महीने 0.5 फीसदी (सालाना 6 फीसदी) इंटरेस्ट टैक्सपेयर को देना होगा। अगर इनकम टैक्स रिटर्न डेडलाइन तक फाइल किया गया है तो इंटरेस्ट फाइनेंशियल ईयर की शुरुआत से मिलेगा। अगर रिटर्न देर से फाइल किया गया है तो इंटरेस्ट उसके फाइल होने के महीने से लेकर रिफंड मिलने के महीने के बीच के लिए मिलेगा।