म्यूचुअल फंड्स खासकर इसकी इक्विटी स्कीमों में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है। वे इक्विटी फंड्स में निवेश से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। अगर आपको भी म्यूचुअल फंड्स की यूनिट्स बेचने से फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में मुनाफा हुआ है तो उस पर आपको टैक्स चुकाना पड़ सकता है। इस बारे में टैक्स के नियमों को जान लेना जरूरी है। टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने वाले लोगों को इसके प्रॉफिट पर टैक्स के नियमों को जान लेना चाहिए।
1.25 लाख रुपये तक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर टैक्स नहीं
म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) की इक्विटी स्कीम से हुए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर अब 12.5 फीसदी टैक्स लगता है। हालांकि, यह ध्यान में रखना जरूरी है कि एक वित्त वर्ष में शेयरों और म्यूचुअल फंड की इक्विटी स्कीम से 1.25 लाख रुपये तक का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स-फ्री है। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस इस लिमिट से ज्यादा होने पर ही टैक्स लगता है। 1.25 लाख रुपये तक के कैपिटल गेंस पर यह छूट सिर्फ इक्विटी फंड के लिए है। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस को टैक्स से किसी तरह की छूट नहीं मिलती है। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस पर 15 फीसदी टैक्स लगता है।
डेट म्यूचुअल फंड्स के गेंस पर टैक्स के नियम में बदलाव
डेट म्यूचुअल फंड्स के कैपिटल गेंस के नियमों में बदलाव हुआ है। यह बदलाव 1 अप्रैल, 2023 के बाद खरीदे गए फंड्स पर लागू है। नए नियम के मुताबिक, डेट म्यूचुअल फंड्स से हुए कैपिटल गेंस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस की तरह टैक्स लगता है। इस पर टैक्सपेयर के स्लैब के हिसाब से इस पर टैक्स लगता है। इसका मतलब है कि डेट फंड में निवेश कितने समय तक रहा है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। लेकिन, डेट फंड्स में 1 अप्रैल, 2023 से पहले किए गए निवेश पर पुराने नियम के हिसाब से टैक्स लगता है।
डेट फंड्स के गेंस पर टैक्स का पुराना नियम
डेट फंड में निवेश का पुराना नियम यह कहता है कि अगर निवेश की अवधि 2 साल से ज्यादा है तो गेंस को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस माना जाएगा। इस पर बगैर इंडेक्सेशन 12.5 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा। 2 साल से पहले यूनिट्स बेचने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस का नियम लागू होगा। इसका मतलब है कि गेंस पर टैक्सपेयर के स्लैब के हिसाब से टैक्स लेगगा। म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले कई टैक्सपेयर्स टैक्स के नियमों को ठीक तरह से नहीं समझते हैं। वे इनकम टैक्स रिटर्न में इसके बारे में बताना जरूरी नहीं समझते। इससे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का नोटिस आ सकता है।