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Income Tax Return: कंपनी ने मुझे एक साल के लिए विदेश भेजा था अब मैं इंडिया लौट आया हूं, क्या मुझे इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना होगा?

अगर कोई व्यक्ति विदेश में काम करने के बाद इंडिया लौट आया है तो उसे इंडिया में आईटीआर फाइल करना होगा या टैक्स देना होगा या नहीं, यह दो बातों से तय होता है: फाइनेंशियल ईयर में उसका इंडिया में रेसिडेंशियल स्टेट्स क्या था और दूसरा यह कि उसकी इनकम विदेश में हुई या इंडिया में हुई

अपडेटेड Aug 22, 2025 पर 4:55 PM
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रेजिडेंशियल स्टेटस इस बात से तय होता है कि कोई व्यक्ति संबंधित वित्त वर्ष में कितने दिन इंडिया में रहा।

कई कंपनियां अपने एंप्लॉयीज को काम के सिलसिले में कुछ समय के लिए विदेश भेजती हैं। विदेश में हुई इनकम पर उस टैक्स में टैक्स लगता है। लेकिन, अगर कोई व्यक्ति कुछ समय विदेश में रहने के बाद इंडिया वापस लौट आता है तो उसके लिए टैक्स के नियम क्या है? क्या उसे विदेश और इंडिया दोनों जगह टैक्स देना होगा? मनीकंट्रोल ने इस सवाल का जवाब टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन से पूछा।

जैन ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति विदेश में काम करने के बाद इंडिया लौट आया है तो उसे इंडिया में आईटीआर फाइल करना होगा या टैक्स देना होगा या नहीं, यह दो बातों से तय होता है: फाइनेंशियल ईयर में उसका इंडिया में रेसिडेंशियल स्टेट्स (Residential Status) क्या था और दूसरा यह कि उसकी इनकम विदेश में हुई या इंडिया में हुई।

रेजिडेंशियल स्टेटस इस बात से तय होता है कि कोई व्यक्ति संबंधित वित्त वर्ष में कितने दिन इंडिया में रहा। व्यक्ति रेजिडेंट माना जाएगा अगर वह निम्नलिखित दो बेसिक शर्तों में से किसी एक को पूरी करता है:


1. संबंधित वित्त वर्ष में व्यक्ति 182 या इससे ज्यादा दिन इंडिया में रहा है या

2. व्यक्ति संबंधित फाइनेंशियल ईयर में 60 दिन या इससे ज्यादा दिन इंडिया में रहा है और संबंधित वित्त वर्ष से पहले के 4 सालों में 365 दिन इंडिया में रहा है।

जैन ने कहा कि अगर व्यक्ति नौकरी के लिए विदेश (या भारतीय जहाज में बतौर क्रू) जाता है तो 60 दिन की शर्त बढ़कर 182 दिन में बदल जाती है। इसी तरह भारतीय नागरिक या भारतीय मूल का व्यक्ति इंडिया आता है तो उससे इंडिया में कम से कम 182 दिन बिताना होगा तभी उसे इंडियन रेजिडेंट माना जाएगा। किसी भारतीय नागरिक जिसे विदेश में टैक्स चुकाने की जरूरत नहीं है, उसे तब रेजिडेंट माना जाएगा जब पिछले फाइनेंशियल ईयर में उसकी कुल इनकम (विदेश में हुई इनकम छोड़कर) 15 लाख रुपये से ज्यादा होगी।

जैन ने कहा कि दो अतिरिक्त स्थितियां भी हैं:

1. व्यक्ति संबंधित वित्त वर्ष से पहले के 10 वित्त वर्षों में से कम से कम 2 साल इंडिया में रेजिडेंट था और

2. संबंधित वित्त वर्ष से पहले के 7 सालों में से 730 दिन या इससे ज्यादा वह इंडिया में रहा था।

अगर दोनों बेसिक शर्तों में से कोई एक पूरी होती है और दोनों अतिरिक्त स्थितियां पूरी होती है तो व्यक्ति को टैक्स के लिहाज से रेजिडेंट माना जाता है और विदेश में हुई उसकी इनकम इंडिया में टैक्सेबल हो जाती है। इसके लिए उस देश के साथ इंडिया डबल टैक्सेशन ट्रीटी (DTT) होनी चाहिए। अगर कोई व्यक्ति बेसिक शर्तों में से कोई एक पूरी करता है और अतिरिक्त शर्तों को पूरी नहीं करता है तो उसे रेजिडेंट बट नॉट ऑर्डिनरी रेजिडेंट (RNOR) माना जाएगा।

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जैन ने कहा कि इस मामले में व्यक्ति की सिर्फ इंडिया में हुई इनकम और इंडियन सोर्सेज से हुई विदेशी इनकम पर इंडिया में टैक्स लगेगा। ज्यादातर ग्लोबल कंपनियां इंडिया में नॉन-टैक्सेबल बनी रहती हैं। अगर व्यक्ति बेसिक शर्तों में से किसी एक को भी पूरी नहीं करता है तो उसे नॉन-रेजिडेंट (NRI) माना जाएगा और सिर्फ उसकी इंडियन इनकम पर इंडिया में टैक्स लगेगा। यह ध्यान में रखना जरूरी है कि हर फाइनेंशियल ईयर के लिए रेजिडेंशियल स्टेटस तय होना जरूरी है।

MoneyControl News

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First Published: Aug 22, 2025 4:48 PM

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