टैक्सपेयर्स को जिन शब्दों से सबसे ज्यादा पाला पड़ता है, उनमें टैक्स रिबेट, डिडक्शन और एग्जेम्प्शन शामिल हैं। खास बात यह है कि इन तीनों से आपका टैक्स कम हो जाता है। लेकिन, इन तीनों के मतलब अलग-अलग हैं। अगर आप इन तीनों का मतलब या इनके बीच का फर्क ठीक तरह से नहीं समझते हैं तो रिटर्न फाइल करने में गलती हो सकती है।
Tax Rebate फाइनल टैक्स के अमाउंट पर मिलता है न कि आपकी इनकम पर। इसका सबसे अच्छा उदाहरण इनकम टैक्स एक्ट का सेक्शन 87ए है। इसके तहत पहले नई रीजीम में 7 लाख रुपये तक की इनकम पर 25,000 का रुपये का रिबेट मिलता था। इस साल पेश यूनियन बजट में इसे बढ़ाया गया है, जिससे सालाना 12 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स फ्री हो गई है। हालांकि, यह बदलाव अगले एसेसमेंट ईयर से लागू होगा।
एग्जेम्प्शन का मतलब यह है कि किसी खास अर्निंग्स को आंशिक या पूरी तरह से टैक्स से छूट मिलेगी। सेक्शन 10(1) के तहत एग्रीकल्चरल इनकम को टैक्स से मिलने वाली छूट इसका उदाहरण है। एचआरए या एलटीए को मिलने वाला एग्जेम्प्शन भी इसका उदाहरण है। हालांकि, इन पर आंशिक एग्जेम्प्शन मिलता है। एग्जेम्प्शन से आपकी टैक्सेबल इनकम घट जाती है।
डिडक्शन का मतलब है कि आपकी इनकम से कुछ अमाउंट घटा दिया जाएगा। इनकम टैक्स का सेक्शन 80सी इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। इस सेक्शन के तहत पीपीएफ, लाइफ इंश्योरेंस स्कीम, दो बच्चों की ट्यूशन फीस, सुकन्या समृद्धि सहित करीब एक दर्जन इनवेस्टमेंट के ऑप्शंस पर डिडक्शन की इजाजता है। इनमें निवेश किया गया अमाउंट आपकी ग्रॉस सैलरी से घटा दिया जाता है।
पुरानी रीजीम में डिडक्शन का ज्यादा इस्तेमाल
एक्सपर्ट्स का कहना है कि इनकम टैक्स की पुरानी रीजीम में डिडक्शन का काफी ज्यादा इस्तेमाल होता है। नई रीजीम में डिडक्शन का बहुत सीमित इस्तेमाल है। नई रीजीम को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने उन टैक्सपेयर्स के लिए शुरू किया था, जो डिडक्शन का फायदा नहीं लेते हैं। इसलिए नई रीजीम में टैक्स के रेट्स कम हैं। डिडक्शन क्लेम करने के लिए टैक्सपेयर्स को इनवेस्टमेंट का प्रूफ अपने पास रखना पड़ता है।