Income Tax Return: नई टैक्स रीजीम में भी क्लेम कर सकते हैं डिडक्शंस और एग्जेम्प्शंस, यहां जानिए कैसे

इनकम टैक्स की नई रीजीम में पुरानी रीजीम की तरह डिडक्शंस और एग्जेम्प्शंस उबलब्ध नहीं हैं। लेकिन, कुछ डिडक्शन और टैक्स बेनेफिट नई रीजीम में उपलब्ध हैं। पुरानी रीजीम से नई रीजीम में स्विच करने वाले टैक्सपेयर्स इनका फायदा उठा सकते हैं

अपडेटेड Aug 01, 2025 पर 1:09 PM
Story continues below Advertisement
इनकम टैक्स की नई रीजीम में भी किराए पर दिए घर के होम लोन के इंटरेस्ट पर टैक्स बेनेफिट लिया जा सकता है।

इस फाइनेंशियल ईयर (2025-26) में कई सैलरीड टैक्सपेयर्स और पेंशनर्स के नई टैक्स रीजीम में स्विच करने की उम्मीद है। इनकम टैक्स की नई रीजीम में टैक्स स्लैब्स ज्यादा हैं, टैक्स के रेट्स कम हैं और सालाना 12 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स-फ्री है। हालांकि, नई रीजीम में ओल्ड रीजीम की तरह डिडक्शंस और एग्जेम्प्शंस के फायदे नहीं हैं। हालांकि, कुछ डिडक्शंस और बेनेफिट्स नई रीजीम में भी हैं।

कॉर्पोरेट एनपीएस कंट्रिब्यूशन

यह ऐसा टैक्स बेनेफिट है, जिसका इस्तेमाल कम होता है। हालांकि, यह बेनेफिट Income Tax की नई और पुरानी दोनों रीजीम में उपलब्ध है। पुरानी रीजीम में एनपीएस में सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख तक का डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। इसके अलावा सेक्शन 80CCD (1बी) के तहत 50,000 रुपये का डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। नई रीजीम में ये बेनेफिट्स उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन, एंप्लॉयी के एनपीएस अकाउंट में एंप्लॉयर के कंट्रिब्यूशन पर डिडक्शन की सुविधा नई रीजीम में उपलब्ध है।

एंप्लॉयर के एंप्लॉयी के एनपीएस अकाउंट में 14 फीसदी (बेसिक पे प्लस डीए) तक के कंट्रिब्यूशन पर सेक्शन 80CCD(2) के तहत डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। यह ध्यान में रखना होगा कि एंप्लॉयर की तरफ से कुल क्युमुलेटिव बेनेफिट्स के लिए एक साल में 7.5 लाख रुपये की टैक्स-फ्री लिमिट है। टोटल बेनेफिट्स के इस सीमा तक पहुंच जाने पर एंप्लॉयर के इससे ऊपर के कंट्रिब्यूशन पर टैक्स लगेगा।


किराए पर दिए घर के होम लोन इंटरेस्ट पर टैक्स बेनेफिट

इनकम टैक्स की नई रीजीम में भी किराए पर दिए घर के होम लोन के इंटरेस्ट पर टैक्स बेनेफिट लिया जा सकता है। हालांकि, सेक्शन 24(B) के तहत सेल्फ ऑक्युपायड प्रॉपर्टी के होम लोन के इंटरेस्ट पर एक साल में 2 लाख रुपये तक के डिडक्शन की इजाजत नई रीजीम में नहीं है।

इनकम टैक्स की ओल्ड रीजीम में हाउस प्रॉप्रटी से इनकम के कैलकुलेशन के लिए इंटेरेस्ट पर हुए खर्च को किराए से मिले पैसे (प्रॉपर्टी टैक्स और 30 फीसदी स्टैंडर्ड डिडक्शन के बाद) में से घटा दिया जाता है। इससे टैक्सेबल प्रॉपर्टी इनकम घट जाती है। इससे आपका कुल टैक्स भी कम हो जाता है। अगर इस कैलकुलेशन से आपको हाउस प्रॉपर्टी से इनकम की जगह नुकसान होता है और वह 2 लाख रुपये से ज्यादा नहीं है तो उसे दूसरी इनकम के साथ सेट-ऑफ किया जा सकता है। इसे टैक्स लायबिलिटी कम कम करने के लिए सेम (same) फाइनेंशियल ईयर में सेट-ऑफ किया जा सकता है। अगर रेंटेड प्रॉपर्टी से लॉस 2 लाख रुपये से ज्यादा है तो उसे कैरी फॉरवर्ड किया जा सकता है और अगले 8 फाइनेंशियल ईयर के दौरान क्लेम किया जा सकता है।

हालंकि, नई टैक्स रीजीम में इस टैक्स बेनेफिट के नियम थोड़े अलग हैं। हाउस प्रॉपर्टी से लॉस को सिर्फ हाउस प्रॉपर्टी से इनकम के साथ सेट-ऑफ किया जा सकता है। इसे किसी दूसरी इनकम के साथ सेट-ऑफ नहीं किया जा सकता।

ईपीएफ में एंप्लॉयर्स का बेसिक सैलरी का 12 फीसदी तक कंट्रिब्यूशन

आपका एंप्लॉयर आपके ईपीएफ अकाउंट में बेसिक सैलरी का 12 फीसदी कंट्रिब्यूट करता है। एनपीएस अकाउंट में एंप्लॉयर के कंट्रिब्यूशन की तरह यह अमाउंट भी टैक्स के दायरे से तब तक बाहर है जब तक एंप्लॉयर की तरफ से मिलने वाला एग्रीकेट रिटायरमेंट बेनेफिट एक साल में 7.5 लाख रुपये की सीमा को पार नहीं कर जाता।

यह भी पढ़ें: Income Tax Return: अपडेटेड रिटर्न फाइल करने के लिए विंडो खुला, जानिए कौन फाइल कर सकता है ITR-U

इसके अलावा, ग्रेच्युटी पेआउट, लीव इनकैशमेंट और इंश्योरेंस पॉलिसी की मैच्योरिटी पर मिलने वाला पैसे को भी टैक्स से एग्जेम्प्शन हासिल है, लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें तय हैं।

MoneyControl News

MoneyControl News

First Published: Aug 01, 2025 1:03 PM

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।