आपकी सैलरी 17 लाख है तो भी नहीं लगेगा टैक्स, आपको करने होंगे सिर्फ ये उपाय

Income tax: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट कई तरह के अलाउन्स पर टैक्स-बेनेफिट देता है। इन अलाउन्सेज का फायदा उठाने के लिए आपको अपने सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव करने होंगे। इस बारे में आप अपने एंप्लॉयर के एचआर डिपार्टमेंट से बात कर सकते हैं

अपडेटेड Feb 26, 2025 पर 2:17 PM
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इनकम टैक्स की नई रीजीम में कुछ खास अलाउन्स को टैक्स से छूट हासिल है। इसके लिए कुछ शर्तें तय हैं।

सरकार ने इनकम टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत दी है। यूनियन बजट 2025 में वित्तमंत्री ने सालाना 12 लाख रुपये तक की इनकम को टैक्स-फ्री करने का ऐलान किया। अगर आप प्राइवेट नौकरी करते हैं तो 17 लाख रुपये तक की सैलरी पर आपको टैक्स चुकाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके लिए आपको कुछ खास अलाउन्स का इस्तेमाल करना होगा, जिसकी इजाजत इनकम टैक्स डिपार्टमेंट देता है। इसके लिए आपके सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव करना होगा।

इनकम टैक्स की नई रीजीम में कुछ खास अलाउन्स को टैक्स से छूट हासिल है। इसके लिए कुछ शर्तें तय हैं। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, टैक्स कंसल्टिंग फर्म भुटा शाह एंड कंपनी के पार्टनर हर्ष भुटा का कहना है कि नई रीजीम में कुछ अलाउन्सेज हैं, जो टैक्स के दायरे में नहीं आते हैं। इनसे जुड़ी शर्तों को पूरा कर इनका लाभ उठाया जा सकता है। हालांकि, इसके लिए आपके सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव करना होगा। इस बारे में आप अपने एंप्लॉयर के HR डिपार्टमेंट से बात कर सकते हैं।

टेलीफोन और मोबाइल बिल

कोई व्यक्ति एंप्लॉयर की तरफ से मिलने वाले टेलीफोन और मोबाइल बिल खर्च पर एग्जेम्प्शन का दावा कर सकता है। इसके लिए कोई लिमिट तय नहीं है। ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, नांगिया एंडरसन एलएलपी के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर योगेश काले का कहन है कि दोनों ही रीजीम में टेलीफोन और मोबाइल बिल पर एग्जेम्पशन के लिए कोई लिमिट नहीं है। हालांकि, यह अमाउंट व्यावहारिक होना चाहिए। यह एंप्लॉयी के पद और जिम्मेदारियों के हिसाब से होना चाहिए। अगर आपके सैलरी स्ट्रक्चर में मोबाइल या इंटरनेट बिल नहीं है तो आप उसे शामिल करा सकते हैं।


दिव्यांग एंप्लॉयीज को ट्रांसपोर्ट अलाउन्सेज

दिव्यांग एंप्लॉयीज को कंपनियां ट्रांसपोर्ट अलाउन्सेज देती हैं। यह टैक्स के दायरे में नहीं आता है। यह अलाउन्स घर से ऑफिस और ऑफिस से घर जाने के लिए मिलता है। ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, दिव्यांग एंप्लॉयीज को हर महीने 3,200 रुपये यानी सालाना 38,4000 रुपये ट्रांसपोर्ट अलाउन्स मिलता है, जो टैक्स के दायरे में नहीं आता।

कनवेंस रिइम्बर्समेंट

यह सुविधा एंप्लॉयर की तरफ से एंप्लॉयी को अपने काम आसानी से करने के लिए मिलता है। यह ट्रांसपोर्ट अलाउन्स से अलग है। इस अलाउन्स का फायदा उठाने के लिए एंप्लॉयी को अपने ऑफिस के फाइनेंस डिपार्टमेंट को बिल सब्मिट करना पड़ता है। अगर आप इस फैसिलिटी का फायदा उठाना चाहते हैं तो आपको अपने एंप्लॉयर के एचआर डिपार्टमेंट से बात करनी होगी।

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एंप्लॉयर की कार लीज पॉलिसी

कई एंप्लॉयर एंप्लॉजी को कार लीज फैसिलिटी ऑफर करते हैं। हालांकि, इनकम टैक्स के नियमों के तहत इसे पर्क्विजिट माना जाता है, लेकिन इसकी वैल्यू काफी कम है। ईटी की रिपोर्ट में एक्सपर्ट का कहना है कि एप्लॉयर की तरफ से एंप्लॉयी के पर्सनल और ऑफिशियल इस्तेमाल के लिए दी गई कार की पर्क्विजिट वैल्यू काफी कम होती है। इसके लिए वैल्यूएशन का फॉर्मूला नई और पुरानी रीजीम में एक जैसा है। अगर इंजन कैपेसिटी 1.6 लीटर से कम है तो इस पर्क्विजिट की टैक्सेबल वैल्यू हर महीने 1,800 रुपये होगी। इससे ज्यादा पावर का इंजन होने पर पर्क्विजिट की टैक्सेबल वैल्यू 2,400 रुपये होगी।

tax new table

इनकम टैक्स की नई रीजीम में 75,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलता है। इसके अलावा एंप्लाॉयर का एनपीएस में 14 फीसदी तक का कंट्रिब्यूशन टैक्स के दायरे में नहीं आता है। इसी तरह ईपीएफ में एंप्लॉयी का 12 फीसदी कंट्रिब्यूशन टैक्स के दायरे में नहीं आता है। इस तरह अगर आप इन सभी एग्जेम्प्शन और डिडक्शन का इस्तेमाल करते हैं तो आपकी करीब 17 लाख रुपये तक की सैलरी टैक्स-फ्री हो जाएगी।

MoneyControl News

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First Published: Feb 26, 2025 1:44 PM

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