मोदी सरकार अब 21 बैंकों को एक करेगी। केंद्र सरकार बैंकों की सर्विस को बेहतर बनाने और लागत को कम करने के लिए बैंकों को जोड़ रही है। अब सरकार बैंकिंग सर्विस को बेहतर बनाने और कॉस्ट कम करने के लिए रीजनल रूरल बैंक (RRB) का चौथा विलय शुरू कर चुकी है। सरकार 43 ग्रामीण बैंकों को संख्य घटाकर 28 पर लाएगी। यानी, 21 बैंक बाकी बैंकों को साथ जुड़ जाएंगे और 43 की संख्या घटकर 28 हो जाएगी। ऐसा होने पर जो बैंक एक होंगे उन बैंकों के ग्राहकों के अकाउंट दूसरे बैंक शिफ्ट हो जाएंगे।
किन राज्यों में होगा RRB का विलय?
वित्त मंत्रालय ने बताया कि 15 RRB का विलय किया जाएगा। इस योजना में एक राज्य-एक RRB का सिद्धांत अपनाया गया है, जिससे सर्विस बेहतर और किफायती हो सकेंगी। जिन राज्यों में RRB का विलय होगा, उनमें आंध्र प्रदेश (4 RRB), उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल (3-3 RRB) और बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान (2-2 RRB) शामिल हैं।
तेलंगाना: आंध्र प्रदेश ग्रामीण विकास बैंक (APGVB) के एसेट्स और दायित्वों को तेलंगाना ग्रामीण बैंक और APGVB के बीच बांटने के बाद तेलंगाना में RRB का विलय किया जाएगा।
वित्त मंत्रालय का कहना है कि RRBs ग्रामीण इलाकों में समुदायों से निकटता बनाए रखते हुए काम करते हैं। इसीलिए, एक राज्य-एक RRB की नीति से उनकी कार्यक्षमता बढ़ेगी और संचालन में लागत कम होगी।राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) के साथ मिलकर एक रोडमैप तैयार किया गया है, जिसके तहत RRBs की संख्या 43 से घटाकर 28 की जाएगी। इसके लिए फाइनेंशियल सर्विस विभाग ने सभी RRBs के प्रायोजक बैंकों से सुझाव भी मांगे हैं, जिसकी अंतिम तिथि 20 नवंबर है।
RRBs के विलय का पहला कदम 2004-05 में उठाया गया था। इसके बाद से RRBs की संख्या 196 से घटाकर 43 की गई थी। इस प्रक्रिया के तीन चरण पहले ही पूरे हो चुके हैं, और अब चौथा चरण चल रहा है।
1976 के RRB अधिनियम के तहत बने ये बैंक छोटे किसानों, मजदूरों और ग्रामीण इलाकों के शिल्पकारों को कर्ज और अन्य सर्विस देते हैं। 2015 में इस अधिनियम में रिवीजन कर दिया गया, जिससे इन बैंकों को केंद्र और राज्य सरकारों के अलावा अन्य स्रोतों से भी पूंजी जुटाने की अनुमति मिल गई। अभी RRB में केंद्र की 50% हिस्सेदारी, बैंकों की 35% और राज्य सरकारों की 15% हिस्सेदारी है। रिवाइज अधिनियम के अनुसार केंद्र और प्रायोजक बैंकों की ज्वाइंट हिस्सेदारी 51% से कम नहीं होनी चाहिए।
कुछ बैंक यूनियनों जैसे AIBOC और AIBEA ने RRB का उनके प्रायोजक बैंकों के साथ विलय करने की मांग की थी। उनका मानना है कि इससे ग्रामीण बैंकिंग सिस्टम की कार्यक्षमता बढ़ेगी।