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HDFC Bank ने करोड़ों ग्राहकों को दिया तोहफा! घटाया MCLR, कार-होम लोन की EMI हो जाएगी कम

HDFC Bank MCLR: देश के सबसे बड़े प्राइवेट सेक्टर बैंक HDFC ने करोड़ों ग्राहकों को तोहफा दिया है। HDFC Bank ने MCLR घटा दिया है। सभी पीरियड पर MCLR में 0.10 फीसदी की कटौती कर दी है। MCLR घटने से होम, कार और पर्सनल लोन की EMI कम होती है

अपडेटेड Jun 07, 2025 पर 4:20 PM
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HDFC Bank: देश के सबसे बड़े प्राइवेट सेक्टर बैक HDFC Bank ने अपने करोड़ों ग्राहकों को तोहफा दिया है।

HDFC Bank MCLR: देश के सबसे बड़े प्राइवेट सेक्टर बैंक HDFC ने करोड़ों ग्राहकों को तोहफा दिया है। HDFC Bank ने MCLR घटा दिया है। सभी पीरियड पर MCLR में 0.10 फीसदी की कटौती कर दी है। MCLR घटने से होम, कार और पर्सनल लोन की EMI कम होती है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के रेपो रेट में 0.50 फीसदी की कटौती करने के बाद HDFC ने एमसीएलआर में कटौती कर दी है।

HDFC Bank ने घटाया MCLR

MCLR के आधार पर ही होम, कार और पर्सनल लोन का इंटरेस्ट तय होता है। HDFC ने सभी पीरियड पर MCLR को 0.10 फीसदी तक MCLR घटा दिया है। HDFC Bank का नया MCLR रेट आज 7 जून 2025 से लागू हो गया है।


HDFC Bank MCLR

पीरयड नया MCLR (7 जून 2025) पुराना MCLR
ओवनाइट 8.90% 9.00%
एक महीना 8.90% 9.00%
तीन महीना 8.95% 9.05%
छह महीना 9.05% 9.15%
1 साल 9.05% 9.15%
2 साल 9.10% 9.20%
3 साल 9.10% 9.20%

(सोर्स - HDFC Bank Website)

एचडीएफसी बैंक की नई MCLR दरें - 7 जून 2025 से लागू

एचडीएफसी बैंक की ओवरनाइट एमसीएलआर 9.00  फीसदी  से 8.90 फीसदी कर दी गई है। एक महीने का एमसीएलआर कम होकर 9.00 फीसदी से घटाकर 8.90 फीसदी हो गया है। तीन महीने का का रेट कम होकर 8.95 फीसदी हो गया है। ये पहले 9.05 फीसदी था। छह महीना और एक साल का रेट 9.15 फीसदी से कम होकर 9.05 फीसदी हो गया है। तीस साल का एमसीएलआर 9.20 फीसदी से 9.10 फीसदी हो गया है।

MCLR बढ़ने या घटने का असर

जब भी कोई बैंक अपने MCLR (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट) में बदलाव करता है, तो उसका सीधा असर उन लोन पर पड़ता है जिनकी ब्याज दर फ्लोटिंग होती है, जैसे कि होम लोन, पर्सनल लोन और कार लोन। अगर बैंक MCLR बढ़ाता है, तो आपकी EMI भी बढ़ जाती है क्योंकि ब्याज दर ज्यादा हो जाती है। वहीं अगर MCLR घटता है, तो EMI कम हो जाती है और नए लोन भी सस्ते मिलते हैं।

कैसे तय होता है MCLR?

MCLR को तय करने के लिए बैंक कई चीज़ों को ध्यान में रखते हैं, जैसे कि डिपॉजिट पर ब्याज दरें, रेपो रेट, ऑपरेशनल कॉस्ट और CRR (कैश रिजर्व रेशो) की लागत। जब RBI रेपो रेट में बदलाव करता है, तो उसका असर MCLR पर भी होता है। अगर रेपो रेट घटता है, तो बैंक MCLR कम कर सकते हैं जिससे लोन सस्ता हो जाता है। लेकिन अगर रेपो रेट बढ़ता है, तो MCLR भी बढ़ जाता है और लोन महंगे हो जाते हैं।

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