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US Inflation: इंडिया और अमेरिका में इनफ्लेशन में बड़ी गिरावट, जानिए यह क्यों आपके लिए है बड़ी खबर

इनफ्लेशन बढ़ने का सीधा असर इकोनॉमी पर पड़ता है। गुड्स और सर्विसेज की कीमतें बढ़ने का मतलब है कि आप पहसे कम गुड्स और सर्विसेज खरीद पाएंगे। दूसरा, इनफ्लेशन बढ़ने की वजह से आपके पैसे की वैल्यू घटने लगती है। अगर आपने अपने पास कैश रखा है तो कुछ महीनों में उसकी वैल्यू काफी घट सकती है

अपडेटेड Mar 13, 2025 पर 12:46 PM
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आम बोलचाल में इनफ्लेशन की जगह महंगाई शब्द का इस्तेमाल होता है। महंगाई ज्यादा बढ़ जाने पर सरकारें तक गिर जाती हैं।

अमेरिका में इनफ्लेशन फरवरी में उम्मीद से ज्यादा घटा है। ब्यूरो ऑफ लेबर स्टैटिस्टिक्स (बीएलएस) ने 12 मार्च को फरवरी में इनफ्लेशन का डेटा जारी किया। पिछले महीने अमेरिका में इनफ्लेशन घटकर 2.8 फीसदी पर आ गया। जनवरी में यह 3 फीसदी था। इनफ्लेशन वह रेट है, जो बताता है कि गुड्स और सर्विसेज की कीमतों में किसी अवधि में कितना इजाफा हुआ है। इनफ्लेशन की वजह से किसी निश्चित अवधि में पैसे का मूल्य घटता है। अमेरिका में इनफ्लेशन बढ़ने के कई कारण हैं। इनमें सप्लाई चेन से जुड़े मसले, हाउसिंग क्राइसिस और कोविड के बाद आर्थिक पैकेज का ऐलान शामिल हैं। इधर, इंडिया में भी इनफ्लेशन फरवरी में घटा है। यह 3.61% पर आ गया है।

क्यों बढ़ता है इनफ्लेशन?

इनफ्लेशन बढ़ने में कॉस्ट में इजाफा और डिमांड में वृद्धि का हाथ भी हो सकता है। अमेरिका में इनफ्लेशन के कैलकुलेशन के लिए बीएलएस कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) का इस्तेमाल करता है। इसके लिए हर महीने हर कैटेगरी के गुड्स और सर्विसेज की कीमतों में बदलाव को मापा जाता है। इसकी कुल 8 कैटगेरी हैं, जिनमें फूड, हाउसिंग, अपैरल, मेडिकल केयर, रिक्रिएशन, ट्रांसपोर्टेशन, एजुकेशन और कम्युनिकेशन शामिल हैं। इनफ्लेशन को दो तरह-हेडलाइन इनफ्लेशन और कोर इनफ्लेशन के रूप में देखा जाता है।


हेडलाइन और कोर इनफ्लेशन में क्या है अंतर?

हेडलाइन इनफ्लेशन का मतलब किसी खास अवधि में टोटल इनफ्लेशन होता है। कोर इनफ्लेशन में फूड और एनर्जी की कीमतें शामिल नहीं होती हैं। अगर अमेरिका में 1989 से 2019 की 30 साल की अवधि को देखें तो इस दौरान औसत इनफ्लेशन रेट 2.5 फीसदी रहा है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने अभी इनफ्लेशन के लिए 2 फीसदी का टारगेट रखा है। दरअसल, कोविड शुरू होने के बाद अमेरिकी सरकार ने इकोनॉमी को सहारा देने के लिए आर्थिक पैकेज दिए थे। इसके तहत लोगों को सरकार की तरफ से पैसे दिए गए। इससे इकोनॉमी में डिमांड काफी बढ़ गई। ज्यादा डिमांड की वजह से इनफ्लेशन बढ़ने लगा। जून 2022 में अमेरिका में इनफ्लेशन बढ़कर 9.1 फीसदी पर पहुंच गया था।

इनफ्लेशन बढ़ने का क्या असर होता है?

इनफ्लेशन बढ़ने का सीधा असर इकोनॉमी पर पड़ता है। गुड्स और सर्विसेज की कीमतें बढ़ने का मतलब है कि आप पहसे कम गुड्स और सर्विसेज खरीद पाएंगे। दूसरा, इनफ्लेशन बढ़ने की वजह से आपके पैसे की वैल्यू घटने लगेगी। अगर आप चाहते हैं कि इनफ्लेशन की वजह से आपके पैसे की वैल्यू नहीं घटे तो आपको अपने पैसे को इनवेस्ट करना होगा। इसमें यह ध्यान रखना होगा कि इनवेस्टमेंट पर मिलने वाला रिटर्न इनफ्लेशन रेट से ज्यादा होना चाहिए।

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आपके लिए क्यों ठीक नहीं है हाई इनफ्लेशन?

आम लोग इनफ्लेशन को लेकर बहुत संवेदनशील होते हैं। आम बोलचाल में इनफ्लेशन की जगह महंगाई शब्द का इस्तेमाल होता है। महंगाई ज्यादा बढ़ जाने पर सरकारें तक गिर जाती हैं। आम लोग इसलिए महंगाई बढ़ने पर सरकार से शिकायत करने लगते हैं, क्योंकि इसका सीधा असर उनके लाइफ स्टाइल पर पड़ता है। उधर, कंपनियां कच्चे माल की कीमतें बढ़ने से बेचैन हो जाती हैं। इसकी वजह यह है कि कच्चे माल महंगा होने पर उनका मार्जिन घट जाता है। मार्जिन घटने से उनका प्रॉफिट गिरने लगता है।

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