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Green Deposits के लिए नया फ्रेमवर्क 1 जून से लागू, जानिए क्यों है यह खास

Green Deposits निवेशकों के लिए फिक्स्ड टर्म डिपॉजिट है। इसमें वे निवेशक निवेश कर सकते हैं जो इको-फ्रेंडली प्रोजेक्ट्स में अपने सरप्लस फंड को निवेश करना चाहते हैं। ग्रीन डिपॉजिट खास मकसद के लिए उपलब्ध हैं, जो अन्य डिपॉजिट के मामले में नहीं है

अपडेटेड Jun 01, 2023 पर 4:55 PM
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में बैंकों और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFC) के लिये ग्रीन डिपॉजिट स्वीकार करने को लेकर फ्रेमवर्क जारी किया था।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में बैंकों और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFC) के लिये ग्रीन डिपॉजिट स्वीकार करने को लेकर फ्रेमवर्क जारी किया था। इसके तहत, आज यानी 1 जून से फाइनेंशियल कंपनियां ग्रीन डिपॉजिट स्वीकार करने के साथ-साथ ऑफर करना भी शुरू कर देंगी। इस तरह के फंड का इस्तेमाल रिन्यूएबल एनर्जी, ग्रीन ट्रांसपोर्ट और ग्रीन बिल्डिंग के निर्माण जैसे कार्यों में किया जा सकता है। बता दें कि कुछ रेगुलेटेड एंटिटी (RE) जैसे कि HDFC, इंडसइंड बैंक, डीबीएस बैंक, फेडरल बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया पहले से ही ग्रीन एक्टिविटी और प्रोजेक्ट्स की फाइनेंसिंग के लिए ग्रीन डिपॉजिट ऑफर कर रही हैं।

ग्रीन डिपॉजिट क्या है?

ग्रीन डिपॉजिट निवेशकों के लिए फिक्स्ड टर्म डिपॉजिट है। इसमें वे निवेशक निवेश कर सकते हैं जो इको-फ्रेंडली प्रोजेक्ट्स में अपने सरप्लस फंड को निवेश करना चाहते हैं। ग्रीन डिपॉजिट खास मकसद के लिए उपलब्ध हैं, जो अन्य डिपॉजिट के मामले में नहीं है। इसके अलावा दोनों के लिए मैच्योरिटी या रिडेम्पशन समेत सभी नियम समान हैं।


RBI के मुताबिक फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर सहित नौ सेक्टर्स में ग्रीन डिपॉजिट की सुविधा का विस्तार करेंगे। अन्य आठ सेक्टर्स में शामिल हैं- एनर्जी एफिशिएंसी, ग्रीन बिल्डिंग, क्लीन ट्रांसपोर्टेशन, सस्टेनेबल वाटर और वेस्ट मैनेजमेंट, पॉल्युशन प्रीवेंशन और कंट्रोल, लिविंग नेचुरल रिसोर्सेज का सस्टेनेबल मैनेजमेंट, स्थलीय और जलीय जैव विविधता संरक्षण और भूमि उपयोग।

क्यों है इसकी जरूरत

दुनियाभर के कई देशों में जलवायु परिवर्तन को सबसे गंभीर चुनौतियों के रूप में देखा जा रहा है और वैश्विक स्तर पर उत्सर्जन को कम करने के साथ इको-फ्रेंडली एक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिये कई कदम उठाये जा रहे हैं। इसे ध्यान में रखते हुए RBI ने बैंकों के लिए ग्रीन डिपॉजिट को एक्सेप्ट करने और प्रमोट करने के लिए 11 अप्रैल को फ्रेमवर्क जारी किया था।

आरबीआई ने अपने फ्रेमवर्क में कहा, "फाइनेंशियल सेक्टर ग्रीन एक्टिविटी और प्रोजेक्ट्स के लिए संसाधन जुटाने और आवंटन करने में अहम भूमिका निभा सकता है। इस फ्रेमवर्क का मकसद RE को कस्टमर्स को ग्रीन डिपॉजिट ऑफर करने के लिए बढ़ावा देना और डिपॉजिटर्स के हितों की रक्षा करना है।"

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