क्या सालभर बर्फ से ढके हिमालय पर बैठा कोई व्यक्ति इंडिया का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज चला सकता है? हम किसी काल्पनिक कहानी या नॉवेल के प्लॉट की चर्चा नहीं कर रहे हैं। हम सेबी (SEBI) की जांच के नतीजों का जिक्र कर रहे हैं। सेबी, जो इंडिया में स्टॉक और कमोडिटी मार्केट्स का रेगुलेटर है। जिस पर इंडिया के करीब 8 करोड़ इन्वेस्टर्स के हितों की रक्षा करने की जिम्मेदारी है।
सेबी ने अपने आदेश में कहा है, "ज्यादातर हिमालय पर रहने वाले एक सिद्ध पुरुष या योगी ने चित्रा रामकृष्ण (Chitra Ramkrishna) का 20 साल तक मार्गदर्शन किया।" चित्रा रामकृष्णा देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की पूर्व एमडी और सीईओ हैं। सेबी की जांच में यह भी मिला है कि इस गुमनाम योगी का हाथ आनंद सुब्रमण्यन (Anand Subramanian) के हाई प्रोफाइल अप्वाइंटमेंट में भी था। सुब्रमण्यन को एनएसई ग्रुप का ऑपरेटिंग अफसर और चित्रा रामकृष्णा का एडवाइजर नियुक्त किया गया था। मजेदार बात यह है कि सुब्रमण्यन को इन्वेस्टमेंट की दुनिया में कोई नहीं जानता।
सेबी ने आनंद सुब्रमण्यन के अप्वॉइंमेंट मामले में शुक्रवार को बड़ी कार्रवाई की है। उसने चित्रा रामककृष्ण और रवि नारायण सहित कुछ लोगों को सिक्योरिटी कॉन्ट्रैक्ट रूल्स के उल्लंघन का दोषी पाया है। रामकृष्णा पर 3 करोड़, 2-2 करोड़ रुपये एनएसई, नारायण और सुब्रमण्न पर और 6 लाख रुपये का जुर्माना वी आर नरसिम्हन पर लगाया गया है। नरसिम्हन एनएसई के चीफ रेगुलेटरी ऑफिर और चीफ कंप्लायंस अफसर थे।
सेबी ने अपने आदेश में कहा है, "रामकृष्ण के मुताबिक, यह गुमनाम व्यक्ति एक आध्यात्मिक ताकत था। वह जहां चाहे प्रकट हो सकता था। उसका कोई निश्चित पता और ठिकाना नहीं था। वह ज्यादातर हिमालय के पहाड़ों पर रहता था।"
सेबी ने यह भी कहा है कि सुब्रमण्यन इस योगी का साथी था, जो अहम फैसले लेने में रामकृष्णा पर असर डालता था। इस वजह से उसके लिए ग्रुप ऑपरेटिंग अफसर और एमडी के एडवाइजर का पद पूरी तरह से मुफीद था। सेबी के इस ऑर्डर पर उसके होल-टाइम मेंबर अनंत बरुआ का हस्ताक्षर है। आदेश में यह भी कहा गया है कि योगी के आदेश पर सुब्रमण्यन को मोटी रकम का पेमेंट हर साल होता था।
उधर, सुब्रमण्यन ने 12 सितंबर, 2018 के अपने बयान में कबूल किया था कि वह उस गुमनाम योगी को पिछले 22 साल से जानता है। सेबी ने कहा है कि सुब्रमण्यन के लिए एनएसई की तिजारी से हर साल कम से कम 5 करोड़ रुपये निकल जाते थे। रामकृष्ण पूरी तरह सुब्रमण्यन पर निर्भर थी और उसके बगैर कोई बड़ा फैसला नहीं लेती थीं।
सेबी के आदेश के मुताबिक, रामकृष्ण ने सेबी से जुड़ी अहम जानकारियां, फैसले, कर्मचारियों से जुड़ी पॉलिसी और संस्था के ढांचे की जानकारी उस योगी को लीक की थी। यह जानकारियां साल 2014 से 2016 के दौरान लीक गई थीं। इसके लिए जिस ईमेल का इस्तेमाल किया गया था, सेबी ने उसका भी खुलासा किया है।
सेबी ने अपनी जांच में यह नहीं बताया है कि इस स्कैम से एनएसई को कितना नुकसान पहुंचा। उसने यह भी नहीं बताया है कि इस स्कैम से कुछ खास लोगों ने देश के सबसे बड़े एक्सचेंज पर शेयरों की खरीद-फरोख्त में हिस्सा लेकर पैसे बनाए थे या नहीं। क्या इस घाटोले का असर देश के करोड़ों इन्वेस्टर्स पर पड़ा था? तथाकथित योगी से जु़ा ईमेल अकाउंट किसका था। अगर सेबी इन सवालों का जवाब भी अपनी जांच रिपोर्ट में देता तो लोगों को उसकी जांच और देश के सबसे बड़े एक्सचेंज के कामकाज के तरीके पर भरोसा बना रहता।