सेबी (SEBI) ने सभी तरह के निवेशकों को रुची सोया के FPO से अपनी बोली वापस लेने की इजाजत दी है। सिर्फ एंकर इनवेस्टर्स (Anchor Investors) को इसकी इजाजत नहीं दी गई है। लेकिन, कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (Institutional investors) और एचएनआई (HNI) को इसकी इजाजत नहीं मिलनी चाहिए थी। स्टेकहोल्डर्स इम्पावरमेंट सर्विसेज के संस्थापक और सेबी के पूर्व एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर जे एन गुप्ता सेबी को एचएनआई और संस्थागत खरीदारों को इसकी इजाजत नहीं देनी चाहिए थी।
संस्थागत निवेशक किसी दबाव में नहीं लेते फैसला
गुप्ता ने सीएनबीसी-टीवी18 को बताया, "मेरा मानना है कि संस्थागत निवेशक और एचएनआई एक एसएमएस के आधार पर इनवेस्टमेंट के फैसले नहीं लेते होंगे। सिर्फ भोलेभाले निवेशक या कंपनी के कुछ कर्मचारियों पर एफपीओ में बोली लगाने का किसी तरह का दबाव हो सकता है।"
सेबी ने 28 मार्च को दिया है आदेश
सेबी ने 28 मार्च को रुचि सोया के एफपीओ से इनवेस्टर्स को अपनी बोली वापस लेने का ऑप्शन दिया है। रुचि सोया इस एफपीओ से 4,300 करोड़ रुपये जुटाने जा रही है। उसने इस इश्यू का प्रचार करने वाले एक एसएमएस के सामने आने के बाद यह फैसला लिया। यह मैसेज पतंजलि आयुर्वेद के यूजर्स को भेजा गया था। इसमें उन्हें कंपनी के ऑफर में इनवेस्ट करने को कहा गया था।
एसएमएस में क्या कहा गया है?
इस मैसेज में यह भी कहा गया कि यह इश्यू कंपनी के शेयर को 615 से 650 रुपये के बीच शेयर खरीदने का मौका देता है। यह कंपनी के शेयर के मार्केट प्राइस के मुकाबले 30 फीसदी सस्ता है। हालांकि, गुप्ता का मानना है कि फ्लोटिंग सेयरों की संख्या कम होने से रुचि सोया के शेयर का भाव सही तरह से निर्धारित नहीं है।
30 मार्च तक बोली वापस ले सकते हैं इनवेस्टर्स
सेबी के निर्देश के बाद इनवेस्टर्स इस ऑफर से 30 मार्च तक अपनी बोली वापस ले सकते हैं। गुप्ता का मानना है कि 3 दिन का यह विंडो 29 से लेकर 31 मार्च होना चाहिए। इसकी वजह यह है कि इनवेस्टर्स को 28 मार्च को इस मैसेज के बारे में किसी तरह की जनकारी नहीं थी। उधर, जेरोधा के को-फाउंडर निखिल कामत का कहना है कि प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के मुकाबले रुचि सोया का शेयर भाव कम दिख रहा है।