नए साल में निवेशकों को बेहद सावधानी से आगे बढ़ने की जरूरत, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
हम नए साल की तरफ बढ़ रहे है और इस समय भारतीय निवेशक अनिश्चितता से भरे हुए हैं। कई तरह के सवाल पैदा हो रहे हैं और उनके जवाब आसान नहीं हैं। मसलन अमेरिका में ट्रंप के सत्ता संभालने का भारत पर क्या असर होगा? ट्रंप ने कॉरपोरेट टैक्स में कई तरह की कटौतियों का प्रस्ताव किया है और टैरिफ को बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं। क्या इससे फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (FII) भारत से पैसा निकालकर अमेरिकी शेयर बाजार में लगाएंगे? अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी का निश्चित तौर पर दिखेगा
कोरोना की वजह से 2020 में निफ्टी में तेज गिरावट के बाद अगले 54 महीनों (4.5 साल) में इसमें 200 पर्सेंट की बढ़ोतरी देखने को मिली।
हम नए साल की तरफ बढ़ रहे है और इस समय भारतीय निवेशक अनिश्चितता से भरे हुए हैं। कई तरह के सवाल पैदा हो रहे हैं और उनके जवाब आसान नहीं हैं। मसलन अमेरिका में ट्रंप के सत्ता संभालने का भारत पर क्या असर होगा? ट्रंप ने कॉरपोरेट टैक्स में कई तरह की कटौतियों का प्रस्ताव किया है और टैरिफ को बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं। क्या इससे फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (FII) भारत से पैसा निकालकर अमेरिकी शेयर बाजार में लगाएंगे? अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी का निश्चित तौर पर दिखेगा। भूराजनीतिक स्तर पर बात करें, तो भारत और चीन के बीच तनाव कम होने के आसार हैं, जबकि मिडिल ईस्ट में चुनौती कायम है।
निकट भविष्य में भारत की इकोनॉमिक और कॉरपोरेट परफॉर्मेंस कैसी रहेगी? क्या भारत का कंजम्प्शन स्लोडाउन अस्थायी है या इसकी वजह ढांचागत समस्या है? क्या आगामी बजट में टैक्स में बढ़ोतरी की जाएगी? जब हमने इस सिलसिले में व्हाइट ओक कैपिटल एएमसी (White Oak Capital AMC) के सीईओ के पास इन मसलों को सामने रखा, तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि ये वास्तविक चिंताएं हैं, लेकिन इसका कोई ठीक-ठीक जवाब नहीं है। इनके बारे में सिर्फ भविष्यवाणी की जा सकती है और तमाम भविष्यवाणियां अनुमान पर आधारित होती हैं।
सवाल यह है कि ऐसे में हमें क्या करना चाहिए और किस तरह की उम्मीद रखनी चाहिए?
2025 में तेज करेक्शन का अनुमान
पिछले कुछ साल में शेयर बाजार में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है और इसे आने वाले समय के लिए कसौटी के तौर पर नहीं देखा जा सकता। मार्च कोरोना की वजह से 2020 में निफ्टी में तेज गिरावट के बाद अगले 54 महीनों (4.5 साल) में इसमें 200 पर्सेंट की बढ़ोतरी देखने को मिली। इस साल भी बाजार में तेज गिरावट देखने को मिली। पिछले 3 महीनों में शेयर बाजार में 10 पर्सेंट की गिरावट देखने को मिली है। गिरावट की कई वजहें हो सकती हैं-अर्निंग में सुस्ती, FIIs की बिकवाली, ओवरवैल्यूएशन की वजह से बाजार में प्रॉफिट बुकिंग।
सैपिएंट वेल्थ में एसोसिएट पार्टनर श्यामली बसु ने बताया, ' इक्विटी में निवेश बिजनेस शुरू करने जैसा है, जहां अच्छा और बुरा साइकल होगा। अच्छे समय में आपका रिटर्न आपकी मेहनत से ज्यादा होगा, जबकि खराब दौर में तमाम कोशिशों के बावजूद शायद नतीजे बेहतर नहीं रहें। बाजार को देखने का व्यावहारिक तरीका नॉमिनल रेट ऑफ ग्रोथ (इनफ्लेशन और जीडीपी) की तरह ग्रोथ की उम्मीद रखना है। हालांकि, बाजार का रिटर्न कभी भी एक जैसा नहीं रहता है। हमें तनाव और जश्न की अवधि देखनी पड़ती है।'
सही मौके पर निवेश करना
2018-20 के दौरान मिडकैप और स्मॉलकैप को नजरअंदाज किया जा रहा था। हालांकि, उनकी वैल्यूएशंस काफी शानदार थी। आज ये शेयर काफी महंगे हो गए, लेकिन निवेशक इनका पीछा कर रहे हैं। आशीष ने बताया, ' पिछले 3 साल में निवेशक मिडकैप और स्मॉलकैप में काफी घुस चुके हैं और वहां उनका पोर्टफोलियो ओवरवेट हो सकता है। दरअसल, जोखिम बाजार में नहीं, बल्कि आपके पोर्टफोलियो में है। अपने पोर्टफोलियो को बाजार के केंद्र में लाकर जोखिम घटाया जा सकता है।'
श्यामली बसु की सलाह कुछ इस तरह है: 'इस मौके पर हम क्लाइंट्स के लिए कम जोखिम वाले हाइब्रिड फंड्स का सुझाव देते हैं। अन्य के लिए लार्ज कैप आधारित फंड्स में निवेश करना बेहतर होगा, जो वैल्यूएशन के लिहाज से बेहतर है। युवा SIP क्लाइंट्स के लिए हम लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों के मिले-जुले पोर्टफोलियो का सुझाव देते हैं।'अगर आप शेयर खरीद रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि आपके पास सेफ्टी का पर्याप्त मार्जिन है।
सार
अगला साल काफी मुश्किल भरा रहने वाला है, लेकिन यह वक्त गेम से बाहर निकलने का नहीं है। साथ ही, पिछले एक साल के जबरदस्त रिटर्न के नजरिये से ही बाजार को समझने की जरूरत नहीं है।