स्टॉक मार्केट में लगातार दूसरे हफ्ते मुनाफावसूली देखने को मिली। इसके चलते प्रमुख सूचकांक और 3 फीसदी गिर गए। ज्यादा उतार-चढ़ाव को देखते हुए इन्वेस्टर्स सावधानी बरतने लगे हैं। अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने अपनी मौद्रिक नीति को सख्त बनाने का संकेत दिया है। क्रूड ऑयल की कीमतें 90 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई हैं। उधर, रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ता तनाव स्टॉक मार्केट्स की चिंता बढ़ा रहा है। इस वजह से शेयर बाजारों पर दबाव बना हुआ है।
28 जनवरी को खत्म हफ्ते में बीएसई सेंसेक्स 1,836.95 अंक (3.11 फीसदी) गिर गया। निफ्टी 50 में भी 515 (2.92 फीसदी) की गिरावट आई। हालांकि यह अब भी 17,000 अंक से नीचे नहीं गया है। सबसे ज्यादा गिरावट निफ्टी आईटी इंडेक्स में आई। यह करीब 6 फीसदी तक गिर गया। निफ्टी रियल्टी इंडेक्स भी 5 फीसदी गिर गया। निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स में 7 फीसदी की मजबूती आई। बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्श और मिडकैप इंडेक्स में भी 3 फीसदी की कमजोरी आई।
खास बात यह है कि बाजार के दबाव में होने के बावजूद 9 स्मॉलकैप शेयरों में तेजी देखने को मिली। इनमें शारदा क्रॉपकेम, ओरिएंट बेल, पीएसपी प्रोजेक्ट्स, खेतान केमिकल्स और फर्टिलाइजर्स, एची मीडिया, गुजरात अंबुजा एक्सपोर्ट्स, गुजरात मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन, एमएमटीसी और टीवी18 ब्रॉडकास्ट शामिल थे।
दूसरी तरफ, 43 शेयरों में 10-23 फीसदी की गिरावट आई। इनमें लक्स इंडस्ट्रीज, इंडियामार्ट इंटरमेष, टाटा टेलीसर्विसेज (महाराष्ट्र), विकास लाइफकेयर, ऊर्जा ग्लोबल, महिंद्रा लॉजिस्टिक्स, कीर्ति इंडस्ट्रीज (इंडिया), एपीएल अपोलो ट्यूब्स और बटरफ्लाई गांधीमठी एप्लायंसेज शामिल हैं। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा, "फेडरल रिजर्व ने अपनी पॉलिसी के बारे में बता दिया है। वह बॉन्ड खरीदने का अपना प्रोग्राम बंद करने जा रहा है। मार्च में ब्याज दर बढ़ाने का भी संकेत दिया है।"
5पैसा डॉट कॉम के लीड रिसर्च रूचित जैन ने कहा, "हाल में 18,350 अंक के निफ्टी के उच्च स्तर को देखते हुए यह बाजार में नॉर्मल करेक्शन था। अगर हम डेटा को देखें तो इस करेक्शन की वजह ग्लोबल मार्केट्स में दबाव और घरेलू बाजार में विदेशी फंडों की बिकवाली है। अब फेडरल रिजर्व का प्लान सामने आ चुका है तो तो आगे मार्केट का रुख बजट 2022 पर निर्भर करेगा। बजट से स्टॉक मार्केट को शॉर्ट टर्म में डायरेक्शन मिलने की उम्मीद है।"