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रेपो रेट कटौती के बाद निवेशकों की उलझन, एफडी से पैसा निकालें या बॉन्ड में लगाएं?

आरबीआई की रेपो रेट कटौती से एफडी पर ब्याज दरें घटने का दबाव बढ़ा है। ऐसे में निवेशकों के सामने बॉन्ड्स लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न और विविधता का विकल्प बनकर उभर रहे हैं।

Shradha Tulsyanअपडेटेड Dec 12, 2025 पर 9:47 PM
रेपो रेट कटौती के बाद निवेशकों की उलझन, एफडी से पैसा निकालें या बॉन्ड में लगाएं?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में रेपो रेट में कटौती का बड़ा फैसला लिया है। इस कदम से लोन लेने वालों के लिए राहत की खबर आई है क्योंकि EMI घटेगी, लेकिन दूसरी ओर सुरक्षित निवेश पसंद करने वाले एफडी (Fixed Deposit) निवेशकों के लिए यह चिंता का विषय बन गया है। दरअसल, रेपो रेट घटने का सीधा असर बैंकों की जमा योजनाओं पर पड़ता है और एफडी पर मिलने वाला ब्याज धीरे-धीरे कम होने लगता है।

एफडी निवेशकों की स्थिति

जो लोग स्थिर और सुरक्षित रिटर्न चाहते हैं, उनके लिए एफडी हमेशा से भरोसेमंद विकल्प रहा है। लेकिन रेपो रेट कटौती के बाद बैंकों ने एफडी पर ब्याज दरें घटानी शुरू कर दी हैं। उदाहरण के तौर पर, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने हाल ही में अपनी कुछ एफडी योजनाओं पर ब्याज दरों में 10 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है। इसका मतलब है कि आने वाले समय में एफडी से मिलने वाला रिटर्न और कम हो सकता है।

बॉन्ड्स का विकल्प

ऐसे माहौल में निवेशकों के सामने बॉन्ड्स एक आकर्षक विकल्प के रूप में उभर रहे हैं। बॉन्ड्स, खासकर सरकारी और कॉरपोरेट बॉन्ड्स, लंबी अवधि में बेहतर यील्ड दे सकते हैं। रेपो रेट घटने से बॉन्ड की कीमतें बढ़ती हैं और निवेशकों को पूंजीगत लाभ का मौका मिलता है। हालांकि, बॉन्ड्स में एफडी जैसी गारंटी नहीं होती और इनमें मार्केट रिस्क जुड़ा रहता है।

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