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ITR 2025: आप चाहते हैं कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का नोटिस नहीं आए तो इन गलतियों से बचें

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने सेक्शन 143(2) के तहत एसेसमेंट के लिए करीब 1.65 लाख मामलों को सेलेक्ट किया है। दरअसल, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट हर साल स्क्रूटनी के लिए कुछ इनकम टैक्स रिटर्न को सेलेक्ट करता है। इनमें आपका रिटर्न भी शामिल हो सकता है

अपडेटेड Jul 03, 2025 पर 4:08 PM
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इनकम टैक्स डिपार्टमेंट स्क्रूटनी या एसेसमेंट में किसी तरह की गड़बड़ी मिलने पर टैक्सपेयर्स को नोटिस इश्यू कर सकता है।

इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने की अंतिम तारीख अभी दूर है। लेकिन, टैक्सपेयर्स को अंतिम तारीख का इंतजार नहीं करना चाहिए। आईटीआर फाइल करने में पूरी सावधानी भी बरतना जरूरी है। टैक्सपेयर्स के आईटीआर फॉर्म में गलत जानकारी देने, इनकम का गलत कैलकुलेशन करने या किसी इनकम को छुपाने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का नोटिस आ सकता है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट स्क्रूटनी के लिए कुछ इनकम टैक्स रिटर्न को सेलेक्ट करता है। इनमें आपका रिटर्न भी शामिल हो सकता है।

स्क्रूटनी के लिए 1.65 मामलों की पहचान

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने सेक्शन 143(2) के तहत एसेसमेंट के लिए करीब 1.65 लाख मामलों को सेलेक्ट किया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि टैक्सपेयर्स को यह समझने की जरूरत है कि सिर्फ इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर देने से प्रोसेस खत्म नहीं हो जाता है। Income Tax Department स्क्रूटनी या एसेसमेंट में किसी तरह की गड़बड़ी मिलने पर टैक्सपेयर्स को नोटिस इश्यू कर सकता है। ज्यादा वैल्यू वाले ट्रांजेक्शन पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की खास नजर होती है।


TDS के डेटा मैच नहीं करने पर नोटिस

अगर फॉर्म 26एएस या एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) में दी गई TDS की जानकारी आपके आईटीआर रिटर्न में दी गई जानकारी से मैच नहीं करती है तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट नोटिस इश्यू कर सकता है। सैलरीड टैक्सपेयर्स और फ्रीलांसर्स टैक्सपेयर्स के इनकम टैक्स रिटन में इस तरह की गड़बड़ियां दिखती हैं। इसलिए रिटर्न फाइल करने में TDS के डेटा को अच्छी तरह से चेक कर लेना जरूरी है।

इनकम छुपाने पर भी आ सकता है नोटिस

कई टैक्सपेयर्स इनकम टैक्स रिटर्न में अपनी कुछ इनकम के बारे में बताना भूल जाते हैं। अगर आपके रेंट, सेविंग्स अकाउंट्स के इंटरेस्ट से इनकम हुई है या कैपिटल गेंस हुआ है तो उसके बारे में आईटीआर में बताना जरूरी है। अगर क्रिप्टोकरेंसी में निवेश या विदेश में इनवेस्टेंट से कोई इनकम हुई है तो उसके बारे में आईटीआर में बताना जरूरी है। ऐसा नहीं करने पर आपको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का नोटिस आ सकता है।

डिडक्शन क्लेम करने में फर्जीवाड़े पर नोटिस

कई टैक्सपेयर्स टैक्स घटाने के लिए डिडक्शन क्लेम करते हैं। कुछ ऐसे डिडक्शन भी क्लेम कर देते हैं, जिसके वे हकदार नहीं हैं। आम तौर पर 80सी, 80डी या एचआरए का डिडक्शन क्लेम किया जाता है। लेकिन, इसके लिए प्रूफ होना जरूरी है। अगर टैक्सपेयर्स ने ऐसा कोई डिडक्शन क्लेम किया है जिसका वह हकदार नहीं है या उसके पास उसका प्रूफ नहीं है तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट उसे नोटिस जारी कर सकता है।

गलत फॉर्म में कभी फाइल नहीं करें ITR

आईटीआर फॉर्म के सेलेक्शन में भी सावधानी जरूरी है। अगर किसी टैक्सपेयर ने गलत फॉर्म में आईटीआर फाइल किया है तो उसे नोटिस आ सकता है। इसलिए रिटर्न फाइल करने से पहले अच्छी तरह से यह समझ लेना जरूरी है कि आपके लिए कौन सा फॉर्म सही रहेगा। आईटीआर फॉर्म 1 सबसे आसान फॉर्म है, जिसे सहज भी कहा जाता है। लेकिन, इसका इस्तेमाल सिर्फ ऐसे लोग कर सकते हैं, जिनकी इनकम का स्रोत सैलरी है और सिर्फ एक प्रॉपर्टी है।

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