ITR Filing 2025: असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने का प्रक्रिया शुरू हो गई है। टैक्सपेयर्स जरूरी दस्तावेज जुटाने में लगे हैं, ताकि रिटर्न दाखिल करने में कोई गड़बड़ी न हो। अगर आप नौकरीपेशा हैं, तो आपको अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। इससे आप टैक्स सेविंग करने के साथ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नोटिस से भी बच सकेंगे।
अगर आप सैलरीड टैक्सपेयर हैं और आपने स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग से कैपिटल गेन कमाया है, तो आपको ITR-1 की जगह ITR-2 फॉर्म भरना होगा। सिर्फ सैलरी, एक हाउस प्रॉपर्टी और सेविंग/FD पर इंटरेस्ट इनकम है तो ITR-1 सही है। लेकिन एक से अधिक प्रॉपर्टी या शेयर बाजार से कमाई होने पर ITR-2 जरूरी हो जाता है।
2. टैक्स रीजीम सोच-समझकर चुनें
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से पहले आपको तय करना होता है कि आप पुराना टैक्स रीजीम चुनना चाहते हैं या नया। अगर आप पुराना टैक्स रीजीम लेना चाहते हैं, तो इसकी जानकारी पहले ही अपने एंप्लॉयर को देनी होती है। नहीं देने पर नए टैक्स रेजीम को डिफॉल्ट मान लिया जाएगा। आपका इन्वेस्टमेंट पैटर्न और इनकम लेवल यह तय करने में मदद कर सकता है कि आपके लिए कौन-सा रीजीम फायदेमंद रहेगा।
3. फॉर्म 16 जरूरी दस्तावेज
सैलरीड टैक्सपेयर्स को अपने एंप्लॉयर से फॉर्म 16 जरूर लेना चाहिए। यह डॉक्युमेंट यह बताता है कि एंप्लॉयर ने आपकी सैलरी से कितना TDS काटा और टैक्स डिपॉजिट किया। यह ITR फाइल करने के लिए सबसे Duc और अनिवार्य डॉक्युमेंट्स में से एक है।
4. फॉर्म 26AS से क्रॉस वेरिफाई करें
आपके TDS और टैक्स डिपॉजिट की जानकारी फॉर्म 16 के अलावा फॉर्म 26AS में भी होती है। यह एक स्टेटमेंट होता है जिसमें सभी स्रोतों से काटे गए टैक्स की जानकारी होती है- जैसे सैलरी, बैंक इंटरेस्ट या FD का ब्याज। रिटर्न भरने से पहले फॉर्म 16 की डिटेल को 26AS से क्रॉस वेरिफाई करना जरूरी है ताकि कोई गलती या मिसमैच न हो।
अगर आप किराए पर रहते हैं और HRA पा रहे हैं, तो पुराना टैक्स रीजीम आपके लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इसमें HRA की छूट मिलती है। अगर HRA क्लेम करने का ऑप्शन नहीं है या आप घर के मालिक हैं, तो नया टैक्स रीजीम ज्यादा बेहतर साबित हो सकता है। रीजीम चुनते समय यह समझना जरूरी है कि आपकी टैक्सेबल इनकम किन फैक्टर्स से प्रभावित हो रही है।
6. निवेश की अहमियत टैक्स से ज्यादा
अगर आप नए टैक्स रीजीम में जा रहे हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप PPF, SSY, KVP, NSC जैसे निवेश करना बंद कर दें। हो सकता है कि इन पर टैक्स छूट न मिले, लेकिन वेल्थ क्रिएशन और लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल सेफ्टी के लिहाज से ये अब भी महत्वपूर्ण हैं। यानी टैक्स सेविंग से परे भी फाइनेंशियल डिसिप्लिन बनाए रखना जरूरी है।
7. स्टॉक्स में इन्वेस्टमेंट का असर
अगर आप नौकरीपेशा हैं लेकिन आपने शेयरों में निवेश कर रखा है और उससे शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कमाया है, तो ITR-1 आपके लिए उपयुक्त नहीं रहेगा। ऐसी स्थिति में आपको ITR-2 फाइल करना होता है ताकि इनकम और टैक्सेशन की सही रिपोर्टिंग हो सके। खासकर, अगर आपका रिटर्न टैक्स छूट की लिमिट से अधिक है।