इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की तारीख नजदीक आ रही है। फाइनेंशियल ईयर 2022-23 का ITR 31 जुलाई, 2023 तक फाइल करना होगा। यह डेडलाइन उन टैक्सपेयर्स के लिए है, जिनके अकाउंट का ऑडिट जरूरी नहीं है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ITR Forms में बड़े बदलाव नहीं किए हैं। सिर्फ कुछ छोटे बदलाव किए गए हैं। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से पहले टैक्सपेयर्स के लिए इन बदलावों के बारे में जानना जरूरी है। इससे फाइलिंग में गलती होने की आशंका नहीं रह जाएगी। आइए इन बदलावों के बारे में जानते हैं।
वर्चुअल डिजिटल एसेट से हुई इनकम की रिपोर्टिंग
1 अप्रैल, 2022 के बाद से वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) से हुई इनकम पर टैक्स लगाने के लिए इनकम टैक्स एक्ट में कई बदलाव किए गए हैं। सेक्शन 194एस के मुताबिक, क्रिप्टोकरेंसी में ट्रांजेक्शंन से हासिल अमाउंट TDS के दायरे में आता है। इसलिए वीडीए से हुई इनकम की रिपोर्टिंग के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म में बदलाव किए गए हैं। टैक्सपेयर्स को वीडीए से इनकम की डिटेल देना जरूरी है। उन्हें यह भी बताना होगा कि यह इनकम बिजनेस इनकम और कैपिटल गेंस कैटेगरी में से किसमें आएगी।
इसका मतलब है कि अगर किसी टैक्सपेयर्स को FY23 में क्रिप्टोकरेंसी से इनकम हुई है तो उसे उसकी डिटेल रखना जरूरी है। उसे डेट ऑफ एक्विजिशन, डेट ऑफ ट्रांसफर, कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन और सेल से हुई इनकम की जानकारी रखनी होगी। इससे आईटीआर फाइलिंग के वक्त आसानी होगी। उसे Form 26AS और AIS को भी वेरिफाय करना होगा। यह चेक करना होगा कि डिजिटल एसेट से हुई इनकम पर काटे गए टैक्स की जानकारी ITR फॉर्म दी गई है या नहीं।
80G के डिडक्शन को क्लेम करने के लिए ARN की डिटेल
अगर FY23 के दौरान कोई डोनेशन सेक्शन 80जी के तहत डिडक्शन के लिए एलिजिबल है तो डोनेशन रेफरेंस नंबर देना अनिवार्य है। इसे आईटीआर फॉर्म में ARN कहा गया है। यह ऐसे डोनेशन पर लागू होता है जिसमें कुछ शर्तें पूरी करने पर 50 फीसदी डिडक्शन की इजाजत है। एआरएन एक यूनिक रेफरेंस नंबर है। यह फॉर्म 10बीई/डोनेशन लेने वाली संस्था की रसीद में मौजूद होता है।
टैक्सपेयर्स को उनकी इनकम टैक्स लायबिलिटी पर TCS को बतौर क्रेडिट क्लेम करने की इजाजत है। इसके अलावा अगर किसी टैक्सपेयर ने पिछले सालों में सेक्शन 89ए के तहत राहत का दावा किया है और बाद में वह NRI बन जाता है तो आईटीआर फॉर्म में इस तरह की रिलीफ से टैक्सेबल इनकम की डिटेल देनी होगी।
उस इनकम का डिसक्लोजर जिस पर सेक्शन 89ए के तहत रिलीफ क्लेम किया गया है
इंडियन रेजिडेंट्स को यह विकल्प उपलब्ध है कि वह विदेशी रिटायरमेंट बेनेफिट्स अकाउंट से हुए इनकम पर टैक्स को टाल सकता है। सेक्शन 89ए में उन देशों की जानकारी दी गई है जिसमें स्थित रिटायरमेंट बेनेफिट अकाउंट से हुई इनकम पर टैक्स रिलीफ दी गई है। अगर किसी व्यक्ति ने इस रिलीफ को क्लेम किया है तो उसे शिडयूल सैलरी में इसकी डिटेल बतानी होगी।
FY23 के आईटीआर फॉर्म में कई दूसरे बदलाव भी किए गए हैं। जैसे उन्हें आईटीआर 3 में बैलेंसशीट पर एडवान्स की जानकारी देनी जरूरी है। इसके अलावा टैक्सपेयर के विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) होने पर सेबी के रेजिस्ट्रेशन नंबर के बारे में जानकारी देना जरूरी है।
इंट्राडे ट्रेडिंग का डिसक्लोजर
अगर आप इंट्राडे ट्रेडिंग करते हैं तो इससे होने वाली इनकम और इसके टर्नओवर के बारे में आईटीआर फॉर्म में बताना होगा। इसे फॉर्म में 'ट्रेडिंग अकाउंट' के नए सेक्शन में बताना होगा।