सेबी ने 12 सितंबर को बोर्ड की मीटिंग में म्यूचु्अल फंड इनवेस्टर्स के हितों की रक्षा के लिए भी कुछ बड़े फैसले लिए। सेबी का मानना है कि इससे म्यूचुअल फंड्स की स्कीम में आबादी के बड़े हिस्से की दिलचस्पी बढ़ेगी। सेबी म्यूचुअल फंड इनवेस्टर्स के हितों की सुरक्षा के लिए भी लगातर कदम उठा रहा है। सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने इन फैसलों के बारे में बताया।
अभी एग्जिट लोड की मैक्सिमम सीमा 5 फीसदी थी
SEBI ने म्यूचुअल फंड स्कीम के लिए एग्जिट लोड की मैक्सिमम लिमिट 5 फीसदी से घटाकर 3 फीसदी कर दी। इसका मतलब है कि म्यूचुअल फंड की कोई स्कीम इनवेस्टर्स से 3 फीसदी से ज्यादा एग्जिट लोड नहीं वसूल सकेगी। इस कदम से एक तरफ इनवेस्टर्स को फायदा होगा तो दूसरी तरफ कम लिक्विड सिक्योरिटीज में इनवेस्ट करने वाले स्कीमों को आसान होगी।
छोटे शहरों के निवेशकों को प्रोत्साहित करने पर इनसेंटिव
रेगुलेटर ने डिस्ट्रिब्यूटर्स के लिए एक इनसेंटिव स्ट्रक्चर पेश किया है। इसके तहत उन्हें देश के छोटे शहरों (टॉप 30 शहरों के बाद आने वाले शहर) से नए निवेशकों के म्यूचुअल फंड की स्कीम की तरफ अट्रैक्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। यह इनसेंटिव सिर्फ उन इनवेस्टमेंट के लिए मिलेगा, जो बी-30 शहरों के नए इनवेस्टर्स की तरफ से किया जाएगा। इनसेंटिव की लिमिट एकमुश्त निवेश के मामले में फर्स्ट अप्लिकेशन अमाउंट का 1 फीसदी और सिप के मामले में पहले साल के कुल निवेश अमाउंट का एक फीसदी होगी। प्रति इनवेस्टर इनसेंटिव की मैक्सिमम 2,000 रुपये की सीमा होगी।
महिला निवेशकों को निवेश के लिए प्रोत्साहित करने के लिए भी स्कीम
सेबी ने डिस्ट्रिब्यूटर्स के लिए एक अलग इनसेंटिव का भी ऐलान किया है। यह नई महिला निवेशक को म्यूचु्अल फंड की स्कीम में निवेश करना पर डिस्ट्रिब्यूटर्स को मिलेगा। इस इनसेंटिव के नियम और शर्तें भी उसी तरह से होंगी जो B-30 शहरों के इनवेस्टर्स के मामले में डिस्ट्रिब्यूटर्स के लिए रखी गई हैं। इन प्रस्तावों को सेबी के म्यूचुअल फंड एडवाजरी कमेटी को जनवरी 2023 में सौंपा गया था। इसे मई 2023 में पब्लिक कंसल्टेशन के लिए पेश किया गया था। अंतिम उपायों के बारे में इस साल जुलाई में चर्चा हुई थी।