फाइनेंशियल ईयर 2022-23 का इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की अंतिम तारीख नजदीक आ रही है। सैलरी से इनकम वाले टैक्सपेयर्स जिनके अकाउंट के ऑडिट की जरूरत नहीं है, उनके लिए ITR Filing की डेडलाइन 31 जुलाई है। कंपनियों ने अपने एंप्लॉयीज को फॉर्म 16 जारी करने शुरू कर दिए हैं। आम तौर पर कंपनियां जून के पहले और दूसरे हफ्ते तक एंप्लॉयीज को फॉर्म 16 जारी कर देती हैं।
इसका मतलब है कि जिन एंप्लॉयीज को फॉर्म 16 (Form 16) मिल गए हैं, वे इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकते हैं। फॉर्म 16, फॉर्म 16A और फॉर्म 16बी सभी अलग-अलग स्रोतों से कमाई पर काटे गए टैक्स (TDS) के सर्टिफिकेट्स हैं। हालांकि, इनके मकसद और इस्तेमाल अल-अलग हैं।
यह स्रोत पर की गई टैक्स कटौती (TDS) का सर्टिफिकेट है। इसे सैलरी सर्टिफिकेट भी कहा जाता है। कंपनियां अपने सभी एंप्लॉयीज को यह सर्टिफिकेट जारी करती हैं। इसमें एक फाइनेंशियल ईयर में कंपनी (एंप्लॉयर) की तरफ से काटे गए टैक्स (TDS) की डीटेल होती है। एंप्लॉयर हर महीने एंप्लॉयी को सैलरी का पेमेंट करता है। अगर एंप्लॉयी की टोटल इनकम टैक्सबेल है तो एंप्लॉयर उसके टैक्स का कैलकुलेशन करता है ओर हर महीने उसे काटने के बाद एंप्लॉयी को सैलरी का पेमेंट करता है। सैलरी से इनकम वाले लोगों के लिए फॉर्म 16 बहुत अहम डॉक्युमेंट है।
फॉर्म 16 में कई तरह की जानकारियां शामिल होती हैं। इनमें PAN, TAN और एंप्लॉयर का नाम और पता शामिल होता है। इसमें एंप्लॉयी के PAN, नाम और एड्रेस शामिल होते हैं। इसमें टीडीएस अमाउंट की डीटेल और सरकार के पास उसे जमा कराने का ब्यौरा भी होता है।
यह सैलरी को छोड़ दूसरी इनकम पर लागू होता है। उदाहरण के लिए बैंक आपको फिक्स्ड डिपॉजिट पर इंटरेस्ट के अमाउंट पर टैक्स काट सकता है। इसी तरह रेंट, इंश्योरेंस कमीशन जैसे दूसरे स्रोत से होने वाली इनकम के स्रोत पर जो टैक्स काटा जाता है, उसके लिए फॉर्म 16ए जारी किया जाता है। इसमें एंप्लॉयी का नाम और पता होता है। इसका PAN होता है। काटे और जमा किए गए टैक्स की डीटेल होती है।
फॉर्म 16बी वह सर्टिफिकेट है जो रियल एस्टेट की बिक्री पर काटे गए टैक्स (TDS) के बारे में बताता है। इसमें उस बात का उल्लेख होता है कि खरीदार के टीडीएस अमाउंट को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास जमा कर दिया गया है। अचल संपत्ति खरीदने वाले व्यक्ति को विक्रेता को चुकाए जाने वाले अमाउंट का 1 फीसदी टीडीएस डिडक्ट करना जरूरी है। खरीदार की यह जिम्मेदारी है कि वह 1 फीसदी अमाउंट इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में डिपॉजिट करेगा और विक्रेता को फॉर्म 16B उपलब्ध कराएगा।