इनकम टैक्स रिटर्न यानी ITR फाइलिंग में नहीं होंगी ये छोटी गलतियां अगर अभी से आप इनके बारे में जान लें

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इंडिविजुअल्स के इस्तेमाल वाले तीन फॉर्म जारी कर दिए हैं। इनमें ITR-1, ITR-2 और ITR-3 शामिल हैं। कुछ और फॉर्म भी इनेबल कर दिए गए हैं। टैक्सपेयर्स ऑनलाइन आईटीआर फाइलिंग के लिए इनका इस्तेमाल कर सकते हैं। ये प्री-फिल्ड डेटा फॉर्म हैं

अपडेटेड Jun 02, 2023 पर 6:04 PM
Story continues below Advertisement
फाइनेंशियल ईयर 2022-23 का इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई, 2023 है।

इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) फाइल करने की समयसीमा नजदीक आ रही है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इंडिविजुअल्स के इस्तेमाल वाले तीन फॉर्म जारी कर दिए हैं। इनमें ITR-1, ITR-2 और ITR-3 शामिल हैं। कुछ और फॉर्म भी इनेबल कर दिए गए हैं। टैक्सपेयर्स ऑनलाइन आईटीआर फाइलिंग के लिए इनका इस्तेमाल कर सकते हैं। ये प्री-फिल्ड डेटा फॉर्म हैं। अब तक कई कंपनियों ने अपने एंप्लॉयीज को फॉर्म 16 जारी कर दिए है। जिन कंपनियों ने अब तक जारी नहीं किए हैं, वे जल्द जारी कर देंगी। फाइनेंशियल ईयर 2022-23 का इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई, 2023 है।

अगर आप नौकरी करते हैं तो आपको फॉर्म 16 मिलते ही इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने का प्रोसेस शुरू कर देना चाहिए। जल्द शुरुआत करने से ऐसी कई गलतियों से बचा जा सकता है, जो जल्दबाजी में रिटर्न फाइल करने पर अक्सर हो जाती हैं। आइए रिटर्न फाइलिंग में होने वाली कुछ सामान्य गलतियों के बारे में जानते हैं:

सही आईटीआर फॉर्म का चुनाव

टैक्सपेयर को अपनी इनकम के सोर्स, कुल टैक्सेबल इनकम, ऑरिजिन ऑफ इनकम (डोमेस्टिक या फॉरेन) और एसेट्स के आधार पर अपने लिए सही फॉर्म का चुनाव करना होता है। फॉर्म 1 और फॉर्म 4 का इस्तेमाल इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स करते हैं। ऐसा सैलरीड इंडिवजुअल जिसकी इनकम FY23 में 50 लाख रुपये तक है, वह आटीआर 1 फॉर्म का इस्तेमाल करेगा। इस फॉर्म का इस्तेमाल ऐसे टैक्सपेयर्स भी कर सकते हैं, जिन्हें दूसरे स्रोत जैसे बैंक इंटरेस्ट, पोस्ट ऑफिस फिक्स्ड डिपॉजिट और एग्रीकल्चर से 5000 रुपये तक की इनकम होती है।


यह भी पढ़ें : SEBI की सख्ती से बचने के लिए एनालिस्ट्स के लाइसेंस किराए पर ले रहे Finfluencers

गलत फॉर्म के इस्तेमाल से आईटीआर डिफेक्टिव हो जाएगा। ऐसा होने पर आपको रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने के लिए नोटिस मिल सकता है। अगर आप समय पर रिवाइज्ड रिटर्न फाइल नहीं करते हैं तो आपके रिटर्न को इनवैलिड मान लिया जाएगा।

फॉर्म 16 और फॉर्म 26AS की जांच नहीं करना

आपको अपना रिटर्न फाइल करने से पहले फॉर्म 26एएस और एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) को चेक कर लेना चाहिए। दोनों को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की e-Filing portal incometax.gov.in से हासिल किया जा सकता है। आपको यह चेक करना होगा कि TDS और हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन की डिटेल सही है या नहीं। इनमें कैश डिपॉजिट, फिक्स्ड डिपॉजिट, अचल संपत्ति से जुड़ा ट्रांजेक्शन आदि शामिल हैं। अगर आपको इन डॉक्युमेंट्स किसी तरह की गलती दिखती हौ तो आपको टैक्स काटने वाले के बारे में इस बारे में बताना होगा।

अंतिम समय में रिटर्न फाइलिंग

रिटर्न फाइलिंग में देर करने का कोई फायदा नहीं है। कई बार ज्यादा देर हो जाने पर अंतिम समयसीमा भी निकल जाती है। इसकी वजह यह है कि जरूरी डॉक्युमेंट्स जुटाने में थोड़ा समय लगता है। इसकी भी संभावना है कि अंतिम समय में ज्यादा लोड होने की वजह से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट में किसी तरह की तकनीकी खराबी आ जाए। इसलिए जल्द रिटर्न फाइल करना फायदेमंद है। अगर आप तय समय के अंदर रिटर्न फाइल नहीं करते हैं तो आपको 1000 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक जुर्माना देना पड़ सकता है।

इंटरेस्ट इनकम की जानकारी नहीं देना

अगर आपको सिर्फ सैलरी से इनकम होती है तो भी आपके लिए बैंक अकाउंट से मिलने वाले इंटरेस्ट की जानकारी रिटर्न में देना जरूरी है। दरअसल, हर व्यक्ति का बैंक में अपना सेविंग अकाउंट होता है। उसमें बैलेंस पर उसके कुछ न कुछ इंटरेस्ट मिलता ही है। इसलिए इस इनकम की जानकारी रिटर्न में देना जरूरी है। कई लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं। वे अपने रिटर्न में इंटरेस्ट से होने वाली इनकम बताना भूल जाते हैं।

कैपिटल गेंस की जानकारी नहीं देना

फाइनेंशियल ईयर 2022-23 से अगर आप डेट फंड की यूनिट्स को तीन साल से पहले बेच देते हैं तो उससे होने वाले मुनाफे को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस माना जाएगा। इसे आपकी इनकम में जोड़ दिया जाएगा। फिर आपके स्लैब रेट के हिसाब से इस पर टैक्स लगेगा। अगर आपने यूनिट्स तीन साल से ज्यादा समय तक रखा है तो उस पर इंडेक्सेशन बेनेफिट के साथ 20 फीसदी रेट से टैक्स लगेगा। अब डेट फंड्स से होने वाले मुनाफे पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस खत्म कर दिया गया है।

रिटर्न फाइल करने के बाद उसे वेरिफाय नहीं करना

इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के बाद उसे वेरिफाय करना जरूरी है। अब रिटर्न फाइल करने के 30 दिन के अंदर इसे वेरिफाय करना जरूरी है। इसके इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ई-फाइलिंग पोर्टल की मदद से आधार, प्री-वैलिडेटेड बैंक अकाउंट, डीमैट अकाउंट आदि के जरिए वेरिफाय किया जा सकता है। आप आईटीआर-वी या अकनॉलेजमेंट फॉर्म को डाउनलोड भी कर सकते हैं। फिर इसे इनकम टैक्स की बेगलुरु स्थित इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर को भेज सकते हैं।

MoneyControl News

MoneyControl News

First Published: Jun 02, 2023 6:03 PM

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।