इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने आईटीआर-2 और आईटीआर-3 फॉर्म्स के एक्सेल-आधारित यूटिलिटीज इश्यू कर दिए हैं। अब टैक्सपेयर्स इन फॉर्म्स का इस्तेमाल कर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकते हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट फॉर्म-1 और फॉर्म-4 के यूटिलिटीज पहले ही जारी कर चुका है।
अब फॉर्म 1, फॉर्म 2, फॉर्म 3 और फॉर्म 4 के यूटिलिटीज आ चुके हैं। ये सभी इनकम टैक्स की ई-फाइलिंग वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। इस बार कई फॉर्म में बदलाव जरूरी हो गया था। इसी वजह से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को आईटीआर फाइल करने की डेडलाइन बढ़ानी पड़ी है।
ITR-2 में कई बदलाव हुए हैं। ऐसे लोग जिनकी सैलरी इनकम है या नॉन-बिजनेस या प्रोफेशनल इनकम है या जो लोग क्रिप्टो में इनवेस्ट करते हैं वे इस फॉर्म का इस्तेमाल कर सकते हैं। कैपिटल गेंस और ऐसी दूसरी तरह की इनकम वाले लोग भी इस फॉर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं।
शेयर बायबैक पर कैपिटल लॉस की रिपोर्टिंग
इस फॉर्म में एक नया रो जोड़ा गया है। इसमें शेयर बायबैक पर हुए कैपिटल लॉस की जानकारी देनी होगी। इस कैपिटल लॉस की इजाजत तब है जब डिविडेंड इनकम 'इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज' के तहत दिखाई जाती है।
डिविडेंड इनकम का डिसक्लोजर
सेक्शन 2(22)(एफ) के तहत डिविडेंड इनकम की जानकारी के लिए एक नया रो जोड़ा गया है। यह उन टैक्सपेयर्स के लिए है जिन्हें शेयरों के बायबैक से इनकम होती है।
रेजिडेंट इंडिविजुअल्स को 23 जुलाई, 2024 से पहले और इस तारीख के बाद जमीन या ब्लिडिंग के ट्रांसफर के लिए एक्विजिशन और इम्प्रूवमेंट की कॉस्ट के डिटेल जानकारी देनी होगी। इस बदलाव से ऐसे ट्रांजेक्शन पर इंडेक्सेशन का बेनेफिट मिलेगा।
एन्हैंस्ड एसेट एंड लायबिलिटी रिपोर्टिंग सीमा
ऐसे टैक्सपेयर्स जिनकी कुल इनकम 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है उन्हें अब अपने सभी एसेट्स और लायबिलिटीज की जानकारी देनी होगी। पहले इसकी सीमा 50 लाख रुपये थी।
फाइनेंस एक्ट 2024 में कैपिटल गेंस के नियमों में बदलाव हुआ है। इस ध्यान में रखते हुए फॉर्म 2 में जरूरी बदलाव किए गए हैं।
फॉर्म 2 में शिड्यूल टीडीएस के लिए एक नया कॉलम जोड़ा गया है। इसमें टैक्सपेयर को बताना होगा कि किस टैक्स के तहत टीडीएस काटा गया है।