गर्मी के मौसम में हर कोई आम का इंतजार करता है। आम को फलों का राजा भी कहा जाता है। इसके कई सारे वैराईटी होते हैं, जिसमें लगड़ा, चौसा और दशहरी जैसे कई शामिल है। ये आम हमें मार्केट में आसानी से मिल जाते हैं। लेकिन एक ऐसा आम भी है जिसकी कीमत लाखों में होती है। इसे मियाजाकी आम कहा जाता है। मार्केट में इसकी कीमत लाखों में होती है। वहीं कर्नाटक के उडुपी जिले के शंकरपुरा गांव के रहने वाले जोसेफ लोबो ने अपनी छत पर मियाजाकी आम की खेती करते है। लेकिन वह इस आम को मार्केट में नहीं बेचते हैं। आइए जानते हैं वह इन मियाजाकी आम को क्यों नहीं बेचते हैं।
जोसेफ लोबो अपनी छत पर मियाजाकी किस्म के आम उगाते हैं, जो दुनिया के सबसे महंगे आमों में गिने जाते हैं। ये दुनिया के सबसे महंगे आमों में से एक हैं और लगभग 2.5 लाख रुपये से 3 लाख रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिकते हैं।
स्टार्टअप पीडिया को दिए इंटरव्यू में शंकरपुरा गांव के किसान जोसेफ लोबो ने बताया की वह आम को क्यों नहीं बेचते हैं। जोसेफ लोबो ने कहा, "हम इस धरती पर खाली हाथ आते हैं और खाली हाथ ही जाते हैं। हमारे पीछे बस हमारा नाम ही रह जाता है। ईश्वर ने हमें नेचर का वरदान दिया है और बदले में वह चाहता है कि हम दूसरों के साथ उदारता से बांटें। मैंने मियाजाकी आमों को व्यवसाय का जरिया नहीं बनाया, बल्कि मैं चाहता था कि मेरे दोस्त और परिवार इस महंगे और पोषण से भरपूर फल का स्वाद ले सकें।"
ये आम लाखों में बिकते हैं, लेकिन जोसेफ इन्हें न तो बेचते हैं और न ही कोई कारोबार करते हैं। वे इन खास आमों को सिर्फ अपने परिवार के लिए उगाते हैं और आसपास के लोगों को भी खुशी-खुशी मुफ्त में दे देते हैं।
किसान परिवार से आते हैं जोसेफ लोबो
जोसेफ लोबो एक किसान परिवार से थे, लेकिन उनके पास ज़्यादा ज़मीन नहीं थी। ऐसे में उन्होंने 2010 में अपनी छत पर ही खेती शुरू करने का फैसला किया। शुरुआत में उन्होंने चमेली के पौधे, आलू और कुछ हरी सब्जियां उगाईं। 2015 में उन्होंने हाइड्रोपोनिक तरीके से खेती शुरू की, जिसमें पौधों को मिट्टी की बजाय पोषक पानी में उगाया जाता है। इसके साथ ही उन्होंने फलों और सब्ज़ियों के लिए ग्रो बैग का भी इस्तेमाल करना शुरू किया, जिससे कम जगह में बेहतर खेती संभव हो पाई।
इतने हजार में बेचते हैं पौधा
जोसेफ लोबो ने खेती में जैविक और आधुनिक तरीके अपनाए। वे घर की चीजों से खाद बनाते हैं और नीम तेल से कीड़ों से बचाव करते हैं। बाद में उन्होंने हाइड्रोपोनिक तकनीक से चमेली, चीकू और मियाजाकी आम जैसे फल उगाने शुरू किए। जोसेफ लोबो ने हाइड्रोपोनिक और छत पर खेती की शुरुआत 1.60 लाख रुपये से की थी। अब वे इसकी खेती सिखाते हैं और मियाजाकी आम के पौधे 3,000 रुपये में बेचते हैं।