Leave Encashment tax rules :नौकरी करने वाले लोगों को मुख्य रूप से तीन तरह की छुट्टियां मिलती हैं। इनमें कैजुएल लीव (Casual Leave), सीक लीव (Sick Leave) और अर्न्ड लीव शामिल हैं। अर्न्ड लीव (Earned Leave) को प्रिविलेज लीव (Privilege leave) भी कहा जाता है। EL को पेड लीव कहा जाता है। इसकी वजह यह है कि अगर एंप्लॉयी इस लीव का इस्तेमाल नहीं करता है तो उसके बदले में कंपनी उसे पेमेंट करती है।
EL या PL ऐसी लीव हैं, जो कैरी-फॉरवर्ड होती हैं। इसका मतलब यह है कि अगर एक साल में किसी एंप्लॉयी को 25 ईएल मिलती है और वह इनमें से 10 का ही इस्तेमाल करता है तो बाकी 15 उसके अगले साल के ईएल में जुड़ जाएंगी। कुछ कंपनियों में इसकी सीमा होती है। ईएल की संख्या एक सीमा से ज्यादा होने पर कंपनी एंप्लॉयी को उसके बदले पेमेंट कर देती है। फिर, वह लीव खत्म हो जाती है।
आम तौर पर एंप्लॉयी के रिटायरम होने या नौकरी से इस्तीफा देने पर उसके अकाउंट में जमा कुल ईएल का पेमेंट कंपनी उसे कर देती है। केंद्र और राज्य सरकार के एंप्लॉयीज के मामले में नियम कुछ अलग हैं। केंद्र और राज्य सरकार के एंप्लॉयी के लीव इनकैशमेंट पर मिलने वाला पूरा अमाउंट टैक्स फ्री होता है।
प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले एंप्लॉयीज के लीव इनकैशमेंट पर टैक्स के नियम थोड़े अलग हैं। एंप्लॉयी के लीव कैशमेंट अमाउंट पर टैक्स से छूट के लिए 10 महीने की सीमा तय है। एंप्लॉयी ने चाहे जितने साल नौकरी की हो, उस पर 10 महीने की यह सीमा लागू होगी। इसका अलावा मॉनेटरी टर्म में भी इसकी सीमा तय की गई है। लीव इनकैशमेंट का अमाउंट 3 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होना चाहिए। अगर अमाउंट इस सीमा से ज्यादा है तो फिर वह टैक्स के दायरे में आएगा।
यह ध्यान में रखना होगा कि यह लिमिट या सीमा सिर्फ टैक्स के लिहाज से है। लीव इनकैश कराने के एंप्लॉयी के अधिकार से इसका कोई संबंध नहीं है। इसका मतलब है कि अगर कोई एंप्लॉयी नौकरी से इस्तीफा या रिटायरमेंट पर लीव इनकैशमेंट से टैक्स छूट की सीमा से ज्यादा अमाउंट पाता है तो उसे अतिरिक्त अमाउंट पर टैक्स देना होगा।
कुछ कंपनियां अपने एंप्लॉयीज को एक सीमा से ज्यादा EL इकट्ठा करने की सुविधा नहीं देती हैं। वे ईएल की संख्या लिमिट से ज्यादा होते ही उसका इनकैशमेंट कर देती हैं। यह पैसा अगले महीने की सैलरी में जोड़कर एंप्लॉयी को दे दिया जाता है। इस पैसे पर टैक्स के नियम अलग हैं। इनकम टैक्स का नियम कहता है कि अगर कोई एंप्लॉयी नौकरी में रहते लीव इनकैशमेंट की सुविधा पाता है तो इस पूरे अमाउंट पर उसे टैक्स देना होगा।