भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आम लोगों के लिए एक राहतभरी खबर दी है, जिससे दिसंबर में लोन की EMI में कटौती देखने को मिल सकती है। आरबीआई की हालिया मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक में स्थिति स्पष्ट हुई है कि ब्याज दरें घटने की पूरी संभावना है। इस फैसले से घर, गाड़ी या पर्सनल लोन लेने वालों को सीधा फायदा होगा और जेब पर ईएमआई का बोझ कम हो सकता है।
RBI गवर्नर ने क्यों दिए संकेत?
फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल की तरह ही अब भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने भी दिसंबर में ब्याज दरों में कटौती के संकेत दिए हैं। अक्टूबर में लगातार दूसरी बार रेटें ‘होल्ड’ रखने के बाद आरबीआई ने महंगाई के अनुमानों में नरमी के संकेत भी दिए। इससे साफ है कि दिसंबर में होने वाली अगली बैठक में रेपो दर कम हो सकती है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, RBI आगामी दिसंबर पॉलिसी में रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट (0.25%) की कटौती कर सकता है। इतना ही नहीं, फरवरी 2026 की मीटिंग में भी और कटौती की संभावना बनी रहेगी। कुल मिलाकर इसी वित्त वर्ष में रेपो दर में लगभग 50 बेसिस प्वाइंट तक की और कमी देखने को मिल सकती है। इसका सीधा असर आपकी होम लोन, ऑटो लोन या पर्सनल लोन की मासिक किश्त यानी EMI पर पढ़ेगा।
बैठक में क्या हुआ था बड़ा फैसला?
RBI की MPC की अक्टूबर बैठक का ब्योरा बताता है कि गवर्नर मल्होत्रा ने खुद कहा कि नीतिगत दर में आगे और कटौती की गुंजाइश है, लेकिन फिलहाल उसका वांछित प्रभाव नहीं दिखता, इसलिए अभी रेट स्थिर रखना ठीक रहेगा। हालांकि, आर्थिक विकास और घटती महंगाई को देखते हुए पॉलिसी रेट में अगले कुछ महीनों में कटौती तय मानी जा रही है। RBI ने अप्रैल और फरवरी 2025 की बैठकों में 25-25 बेसिस प्वाइंट की और जून में 50 बेसिस प्वाइंट की बड़ी कटौती की थी। अगस्त और अक्टूबर में इसे 5.50% पर स्थिर रखा गया है।
दिसंबर की मीटिंग अहम क्यों?
MPC की अगली बैठक 3-5 दिसंबर 2025 के बीच प्रस्तावित है, जहां संभावित कटौती पर फैसला लिया जा सकता है। बैंकिंग और वित्तीय सेक्टर के जानकारों की नजर इसी मीटिंग पर टिकी है, क्योंकि यदि यहां कटौती होती है तो EMI में सीधा राहत मिलना तय है।
आम आदमी को होगा कितना लाभ?
यदि रेपो रेट में कुल मिलाकर 50 बेसिस प्वाइंट की कमी होती है तो कई लोन धारकों पर EMI का बोझ काफी घट सकता है। जैसे 30 लाख के होम लोन पर यह कटौती सालाना 7-8 हजार रुपये की राहत दे सकती है। इससे लोन लेना आसान होगा और बाजार में कर्ज की मांग भी बढ़ सकती है।
गवर्नर मल्होत्रा ने कहा है कि दरों में बदलाव का मुख्य मकसद आर्थिक वृद्धि को सहारा देना और महंगाई को नियंत्रित रखना है। जब तक महंगाई पर लगाम नहीं लग जाती, RBI कटौती को ‘स्ट्रैटजिक टाइम’ पर लागू करेगा। साथ ही, आगामी महीनों में हालात अनुकूल मिलने पर नीतिगत दरों में कटौती के जरिए आम लोगों को राहत दी जा सकती है।