वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने यूनियन बजट में इक्विटी म्यूचुअल फंडों के लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस बढ़ाने का ऐलान किया। इससे म्यूचुअल फंड की इक्विटी स्कीमों में निवेश करने वाले लोगों को झटका लगा है। इसका किस तरह आपके निवेश पर असर पड़ेगा, टैक्स के रूप में जाने वाला अमाउंट कितना बढ़ जाएगा? आइए इन सवालों का जवाब जानते हैं।
कितना बढ़ाया गया है टैक्स?
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स को 10 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दिया गया है। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स को 15 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया गया है। एक साल के बाद बेचने पर हुए गेंस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगता है। एक साल से पहले बेचने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लागू होता है। पहले एक वित्त वर्ष में एक लाख रुपये तक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस को टैक्स से छूट हासिल था। अब इसे बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये कर दिया गया है। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स बढ़ने से अब टैक्स ज्यादा लगेगा। इक्विटी फंड में हर महीने 50,000 रुपये के SIP को 5 साल बाद बेचने पर अब 94,095 रुपये का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स चुकाना होगा। टैक्स बढ़ने से पहले कुल 77,456 रुपये टैक्स चुकाना पड़ता।
SIP के जरिए इक्विटी फंड में होने वाले हर निवेश को टैक्स के लिहाज से एक अलग निवेश माना जाता है। उदाहरण के लिए अगर आप सिप के जरिए इक्विटी फंड में हर महीने 10,000 रुपये का निवेश करते हैं तो इस निवेश को होल्डिंग पीरियड और टैक्स रेट के लिहाज से एक अलग निवेश माना जाएगा। यह ध्यान में रखना जरूरी है कि टैक्स के लिहाज से म्यूचुअल फंड में निवेश पर FIFO का सिद्धांत लागू होता है। FIFO का मतलब फर्स्ट इन फर्स्ट आउट से है।
1.25 लाख रुपये से ज्यादा के एलटीसीजी पर लगेगा टैक्स
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स यानी LTCG 10 से बढ़कर 12.5 फीसदी हो जाने से निवेशकों को थोड़ा ज्यादा टैक्स चुकाना होगा। लेकिन, एग्जेम्प्शन लिमिट एक लाख से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये कर देने से उन्हें थोड़ा फायदा होगा। वित्तमंत्री ने शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स भी 15 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया है। इसका मतलब है कि अगर आप एक साल से पहले इक्विटी म्यूचुअल फंड्स की यूनिट्स बेचते हैं तो आपको अब 20 फीसदी टैक्स चुकाना होगा।
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इन फंडों के टैक्स रेट में कमी
बजट में गोल्ड फंड या गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF), ओवरसीज फंड्स और फंड्स ऑफ फंड्स पर कैपिटल गेंस टैक्स घटाया गया है, लेकिन डेट म्यूचुअल फंड के टैक्स के नियमों में बदलाव नहीं किया गया है। इस पर नॉर्मल इनकम टैक्स रेट के हिसाब से टैक्स लगेगा।