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Real Estate LTCG Rules: रियल एस्टेट के एलटीसीजी के नए नियमों से किसे फायदा और किसे नुकसान?

मनीकंट्रोल के विश्लेषण से पता चलता है कि अलग-अलग इलाकों की प्रॉपर्टी पर एलटीसीजी टैक्स के नियमों में बदलाव का अलग-अलग असर पड़ेगा। 2001 से पहले खरीदी गई प्रॉपर्टी के मामले में नए नियमों से फायदा होगा। हालांकि, 2001 से इनफ्लेशन काफी बढ़ गया है लेकिन प्रॉपर्टी की कीमतों में उससे भी तेज रफ्तार से वृद्धि हुई है

अपडेटेड Jul 25, 2024 पर 4:14 PM
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बजट में प्रॉपर्टी के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स को 20 फीसदी से घटाकर 12.5 फीसदी कर दिया गया है।

यूनियन बजट में रियल एस्टेट से जुड़े टैक्स के नियमों में बदलाव का ऐलान किया गया। इससे प्रॉपर्टी के मालिकों के मन में कई सवाल चल रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या घर बेचने पर उन्हें ज्यादा कैपिटल गेंस टैक्स चुकाना होगा? क्या इनकम टैक्स की नई रीजीम उनके लिए फायदेमंद है? दरअसल, बजट में रियल एस्टेट के लिए दो बड़े ऐलान किए गए हैं। पहला, प्रॉपर्टी के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स को 20 फीसदी से घटाकर 12.5 फीसदी कर दिया गया है। दूसरा, इंडेक्सेशन का बेनेफिट खत्म कर दिया गया है। मनीकंट्रोल ने टैक्स में हुए बदलाव के असर के बारे में जानने की कोशिश की है।

अलग-अलग इलाकों की प्रॉपर्टी का विश्लेषण किया गया

मनीकंट्रोल ने छह इलाकों में अलग-अलग स्थितियों के हिसाब से टैक्स के असर का पता लगाने की कोशिश की। इन छह इलाकों में तीन दक्षिण दिल्ली के हैं। इनमें ग्रेटर कैलाश, वसंत विहार और डिफेंस कॉलोनी शामिल हैं। मुंबई के बांद्रा पश्चिम और बेंगलुरु के कोरामंगला को भी विश्लेषण में शामिल किया गया। इन इलाकों में 2001, 2011, 2016 और 2022 के दौरान जो कीमतें थीं, उनका इस्तेमाल विश्लेषण के लिए किया गया।


नए नियमों का 2011 में खरीदी गई प्रॉपर्टी पर सबसे ज्यादा असर

2011 में खरीदी गई प्रॉपर्टी को अभी बेचने पर नए नियमों का सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। उदाहरण के लिए कोरामंगला में खरीदे गए 200 वर्ग यार्ड के घर को अब बेचने पर 69 फीसदी ज्यादा टैक्स चुकाना होगा। खरीद कीमत 99 लाख रुपये और बेचने की कीमत करीब 2.52 करोड़ रुपये होगी। इनकम टैक्स की पुरानी रीजीम में कुल टैक्स 11 लाख रुपये चुकाना पड़ता, जबकि नई रीजीम में 19 लाख रुपये टैक्स चुकाना होगा।

2016 में खरीदी गई प्रॉपर्टी को बेचने पर ज्यादा टैक्स लगेगा

मुंबई के बांद्रा पश्चिम में टैक्स के मामले में फर्क और भी ज्यादा है। ओल्ड रीजीम में अगर 2011 में खरीदी गई प्रॉपर्टी अब बेची जाती है तो टैक्सपेयर्स को 15 लाख रुपये का कैपिटल लॉस होगा। इसे दूसरी टैक्स लायबिलिटीज के साथ एडजस्ट किया जा सकता था। नई रीजीम में उसी टैक्सपेर को 59 लाख रुपये का एलटीसीजी चुकाना होगा। यहां तक कि 2016 में खरीदी गई प्रॉपर्टी को भी अभी बेचने पर ज्यादा टैक्स चुकाना होगा।

वसंत बिहार में प्रॉपर्टी बेचने पर कम टैक्स

उदाहरण के लिए दक्षिण दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में खरीदे गए घर पर टैक्सपेयरस को टैक्स के नियमों में बदलाव से 150 फीसदी ज्यादा टैक्स चुकाना होगा। इसकी वजह यह है कि नई रीजीम में टैक्स 20 लाख रुपये से बढ़कर 50 लाख रुपये हो जाएगा। इसी तरह अगर प्रॉपर्टी डिफेंस कॉलोनी में होती तो भी टैक्स लायबिलिट 150 फीसदी बढ़ गया होता। हालांकि, वसंत विहार में 2016 में खरीदे गए घर को अभी बेचने पर टैक्सपेयर को सिर्फ 66.7 फीसदी अतिरिक्त टैक्स चुकाना होगा। यह ग्रेटर कैलाश और डिफेंस कॉलोनी के टैक्स के मुकाबले कम है।

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2001 से पहले गई खरीदी गई प्रॉपर्टी बेचने पर नए नियम में ज्यादा फायदा

इसकी वजह यह है कि वसंत विहार में प्रॉपर्टी की कीमतें ग्रेटर कैलाश और डिफेंस कॉलोनी के मुकाबले ज्यादा बढ़ी हैं। बेंगलुरु के कोरामंगला में 2016 से प्रॉपर्टी की कीमतें सबसे तेजी से बढ़ी हैं। इसलिए कोरामंगला के टैक्सपेयर को सिर्फ 25 फीसदी ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ता। मनीकंट्रोल के विश्लेषण से पता चलता है कि 2001 से पहले खरीदी गई प्रॉपर्टी के मामले में नए नियमों से फायदा होगा। हालांकि, 2001 से इनफ्लेशन काफी बढ़ गया है लेकिन प्रॉपर्टी की कीमतों में उससे भी तेज रफ्तार से वृद्धि हुई है।

MoneyControl News

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First Published: Jul 25, 2024 3:58 PM

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