मई महीने में S&P ग्लोबल इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनजर्स इंडेक्स (PMI) में मामूली गिरावट देखने को मिली। यह अप्रैल के 54.7 के मुकाबले 54.6 पर आ गया है। मैन्युफैक्चरिंग PMI का 50 से ऊपर रहना इस बात का संकेत है कि देश में कारोबारी गतिविधियों का विस्तार जारी है। वहीं इसके 50 के नीचे रहने का मतलब है कि कारोबारी गतिविधियों में गिरावट आई है।
मई महीने में देश की मैन्युफैक्चरिंग PMI लगातार 11वें महीने 50 से ऊपर रही है जो इकोनॉमी की मजबूत रिकवरी का संकेत है। S&P Global की मई में आई रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि मई महीने में देश की मांग मजबूत रही है। इस अवधि में कंपनियों को मिले नए ऑर्डर में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है जो काफी हद तक अप्रैल जैसे ही रहे हैं।
नए ऑर्डर की बात करें तो मई महीने में देश में आए इंटरनेशनल ऑर्डरों की संख्या पिछले 11 साल के शिखर पर रहे हैं। नए ऑर्डरों के फ्लो में तेजी कायम रहने की वजह से मई महीने में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार भी बढ़ता नजर आया है। हालांकि यह बढ़त बहुत ज्यादा नहीं रही है।
वैसे तो मई में कंपनियों के उत्पादन में बढ़ोतरी देखने को मिली है लेकिन इन पर कच्चे माल की बढ़ी कीमतों का दबाव भी नजर आया। मई में उत्पादन लागत में बढ़ोतरी है लेकिन यह अप्रैल की तुलना में कम है। मई में लगातार 22 वें महीने उत्पादन लागत में बढ़ोतरी देखने को मिली है।
बढ़ती उत्पादन लागत से कंपनियां अपने प्रोडक्ट की कीमत बढ़ाने पर मजबूर हुई हैं। जिसके चलते अप्रैल महीने में खुदरा महंगाई (CPI) आंकड़े 7.79 फीसदी के 8 साल के हाई पर पहुंच गए हैं।