अब बिना इनके नहीं होगा उत्तर प्रदेश में शादी का रजिस्ट्रेशन, यूपी सरकार ने बदले नियम

Marriage Registration New Rules: उत्तर प्रदेश में शादी के रजिस्ट्रेशन को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़ा बदलाव किया है। अब से शादी के रजिस्ट्रेशन के समय कम से कम दूल्हा-दुल्हन के परिवार का कोई एक सदस्य मौजूद रहना जरूरी होगा

अपडेटेड Jun 11, 2025 पर 12:14 PM
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Marriage Registration New Rules: उत्तर प्रदेश में शादी के रजिस्ट्रेशन को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़ा बदलाव किया है।

Marriage Registration New Rules: उत्तर प्रदेश में शादी के रजिस्ट्रेशन को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़ा बदलाव किया है। अब से शादी के रजिस्ट्रेशन के समय कम से कम दूल्हा-दुल्हन के परिवार का कोई एक सदस्य मौजूद रहना जरूरी होगा। यह फैसला हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देशों के बाद लिया गया है।

राज्य के इंस्पेक्टर जनरल ऑफ स्टांप्स ने इस नए नियम को लेकर सर्कुलर जारी कर दिया है और यह तुरंत प्रभाव से लागू कर दिया गया है। सरकार का कहना है कि इसका मकसद फर्जी शादियों पर रोक लगाना और प्रोसेस में पारदर्शिता लाना है।

कौन हो सकता है मौजूद?


नए नियम के मुताबिक, शादी रजिस्ट्रेशन के समय माता-पिता, भाई-बहन, दादा-दादी, नाना-नानी या फिर वयस्क बच्चे में से कोई एक व्यक्ति को मौजूद रहना जरूरी है। अगर शादी में परिवार शामिल नहीं है, तो शादी कराने वाले पंडित, मौलवी या पादरी को खुद आकर रजिस्ट्रेशन को वैरिफाई करना होगा।

शादी का वीडियो और हलफनामा भी जरूरी

अब शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए पूरा वीडियो रिकॉर्डिंग देना जरूरी होगा, जिसे पेन ड्राइव में जमा करना होगा। साथ ही एक शपथ पत्र (affidavit) देना भी अनिवार्य होगा, जिसमें शादी की जानकारी और सहमति की जानकारी देनी होती है।

कहां करवा सकते हैं रजिस्ट्रेशन?

गाजियाबाद के सब-रजिस्ट्रार के मुताबिक अब शादी का रजिस्ट्रेशन सिर्फ वहीं हो सकेगा जहां दूल्हा या दुल्हन के परिवार का स्थायी पता है। इसका मतलब है कि अब कोई भी कहीं भी जाकर शादी रजिस्टर नहीं करवा सकता।

फर्जी संस्थानों पर शिकंजा

यह कदम इसलिए भी जरूरी माना जा रहा है क्योंकि हाल ही में कई मामले सामने आए थे, जहां कुछ आर्य समाज मंदिर ट्रस्ट जैसे संस्थानों ने फर्जी डॉक्यूमेंट से शादी करवा दी थी। गाजियाबाद में ही पिछले साल पांच FIR दर्ज हुई थीं, जिनमें ऐसे मामलों की शिकायत की गई थी।

कोर्ट का बड़ा फैसला

इस बदलाव की मुख्य वजह शनि देव बनाम उत्तर प्रदेश सरकार वाला केस रहा। इस केस में करीब 150 मामलों में घर से भागकर संदिग्ध परिस्थितियों में शादी की। शादी के ऐसे रजिस्ट्रेशन मामलों में न परिवार की जानकारी थी, न ही कोई कानूनी जांच की गई। कोर्ट ने चिंता जताई थी कि इन शादियों का गलत इस्तेमाल तस्करी या शोषण के लिए हो सकता है। इसी के बाद सरकार ने यह कड़ा फैसला लिया।

खास मुहर लगेगी

अगर परिवार की सहमति के बिना शादी होती है, तो रजिस्ट्रार की जांच के बाद शादी प्रमाणपत्र पर एक विशेष मुहर लगाई जाएगी, जिससे पता चलेगा कि यह शादी नए नियमों के तहत स्पेशल जांच के बाद रजिस्टर हुई है।

क्या बदलेगा इससे?

सरकार का मानना है कि इस कदम से न केवल शादी का प्रोसेस ज्यादा पारदर्शी और सेफ होगा, बल्कि फर्जी शादियों और जबरदस्ती के मामलों पर भी रोक लगेगी। गाजियाबाद के सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में इस नई व्यवस्था का नोटिस सार्वजनिक रूप से चिपका दिया गया है, और ऐसे मामलों के लिए एक अलग रजिस्टर भी बनाया गया है। अब साफ है कि उत्तर प्रदेश में शादी केवल दो लोगों का निजी मामला नहीं रहा, बल्कि अब इसमें सरकार और परिवार दोनों की भूमिका जरूरी हो गई है।

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First Published: Jun 11, 2025 12:14 PM

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