Property tax : Tax Guru शरद कोहली से जानें प्रॉपर्टी बेचने पर टैक्स बचाने का आसान फॉर्मूला

Property tax : अगर किसी ने 24 महीने के बाद कोई प्रॉपर्टी बेची है, यानी होल्डिंग पीरियड 24 महीने से ज्यादा है तो फिर कैपिटल गेन का जादू शुरू जाएगा जिसको लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहा जाता है। एकदम से सारा का सारा बैकग्राउंड बदल जाता है। लेकिन इसमें भी आपको 1 डेट ध्यान में रखनी है। अगर आपने 2024-25 में प्रॉपर्टी बेची है तो 23 जुलाई 2024 की डेट बहुत अहम होगी

अपडेटेड Sep 12, 2025 पर 12:18 PM
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इस छूट का पूरा दायरा 3 साल का होता है। अगर आप घर खरीद नहीं रहे हैं, बल्कि घर बना रहें हैं तो भी आपको 3 साल में बनने वाले घर पर ये छूट मिलेगी

Property tax : अगर आपने कोई प्रॉपर्टी बेची है और उस पर मुनाफा कमाया है तो बड़ा खुश हो रहे होंगे। लेकिन आपको यह भी चिंता भी हो रही होगी कि क्या इस मुनाफे पर टैक्स भी बनता है ? टैक्स बनता है तो कितना टैक्स देना पड़ेगा?। लेकिन आप यह जाम लें कि टैक्स भले ही बनता हो लेकिन टैक्स आपको देना ही पड़ेगा, यह जरूरी नहीं है। क्योंकि टैक्स बचाने के बहुत सारे रास्ते हैं जो आप में से बहुत कम लोग जानते होंगे।

यहां हम आज हम आपको ये बता रहें हैं कि प्रॉपर्टी बेचने पर टैक्स की देनदारी कैसे बनती है, कितनी बनती है और उसकों बचाने के क्या-क्या तरीके हैं। ये सब बताने के लिए हमारे साथ हैं। जाने माने टैक्स एक्सपर्ट शरद कोहली। उन्होंने बताया कि प्रॉपर्टी बेचने पर लगने वाले टैक्स में होल्डिंग पीरियड का बहुत ज्यादा महत्व होता है। अगर बेची गई प्रॉपर्टी का होल्डिंग पीरियड 24 महीने से कम है तो फिर उसको शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन की कटेगरी में रखा जाएगा। यानी अगर आपने खरीदने के 2 साल से पहले प्रॉपर्टी बेच दी है तो फिर टैक्स बचाने के तरीके ना के बराबर हैं। इस बिक्री पर आपको जो भी गेन हुआ होगा वह सारा आपके स्लैब में एक आम इनकम की तरह जुड़ जाएगा।

उसको ऐसे समझें कि अगर आपकी आमदनी ₹15 लाख है और गेन हुआ ₹1 लाख रुपए का तो आपकी आमदनी ₹16 लाख हो जाएगी। फिर इस पर आप जिस स्लैब में आते हैं उसके हिसाब से टैक्स देना पड़ेगा।

वहीं, अगर किसी ने 24 महीने के बाद कोई प्रॉपर्टी बेची है, यानी होल्डिंग पीरियड 24 महीने से ज्यादा है तो फिर कैपिटल गेन का जादू शुरू जाएगा जिसको लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहा जाता है। एकदम से सारा का सारा बैकग्राउंड बदल जाता है। लेकिन इसमें भी आपको 1 डेट ध्यान में रखनी है। अगर आपने 2024-25 में प्रॉपर्टी बेची है तो 23 जुलाई 2024 की डेट बहुत अहम होगी। इसी दिन एक अंतरिम बजट में एक संशोधन लाया गया था। बता दें कि पहले इंडेक्सेशन के साथ 20 फीसदी टैक्स लगता था। लेकिन इस संशोधन के जरिए ये तय किया गया कि अब लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर बिना इंडेक्सेशन के 12.5 फीसदी टैक्स लगेगा। यानी अगर आपने 23 जुलाई 2024 के पहले कोई प्रॉपर्टी खरीदी है तो आपके पास दो विकल्प आ जाते है। आप चाहें तो इंडेक्सेशन के साथ 20 फीसदी टैक्स चुका सकते हैं। वहीं, दूसरे विकल्प के तहत बिना इंडेक्सेशन के 12.5 फीसदी टैक्स चुकाया जा सकता है।

वहीं, अगर किसी ने 23 जुलाई 2024 को या उसके बाद कोई पॉपर्टी खरीदी है तो दो साल बाद बिक्री करने पर उसके लिए इंडेक्सेशन की सुविधा नहीं रहेगी और 12.5 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना होगा। 23 जुलाई 2024 के पहले खरीदी गई प्रॉपर्टी पर ही इंडेक्सेशन का फायदा मिलेगा।


शरद कोहली ने आगे बताया कि जिन दिन आपने प्रॉपर्टी बेची अगर उसी दिन 2 साल की होल्डिंग पूरी हो जाती है तो आपको लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन का फायदा मिलना शुरू हो जाएगा।

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन को बचाने के तरीके बताते हुए शरद कोहली ने कहा कि इसके लिए पहला विकल्प है घर बेच कर घर खरीदना। इसके लिए आपको सेक्शन 54 के तहत सारा मुनाफा घर खरीदने में लगाना होगा। यानी पूरे पैसे को नहीं सिर्फ प्रॉपर्टी बेचने से हुए मुनाफे को ही घर खरीदने में लगाने से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स से छूट मिल जाएगी। इसके लिए शर्त ये है कि आपका गेन 10 करोड़ रुपए से ज्यादा नहीं होना चाहिए। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन 10 करोड़ रुपए से ज्यादा होने पर आपको ये सुविधा नहीं मिलेगी। सेक्शन 54 के तहत मिलने वाला ये फायदा घर बेचने के 1 साल पहले की गई किसी घर खरीद और बेचने के 2 साल बाद की गई किसी भी घर खरीद पर लागू होगी।

इस छूट का पूरा दायरा 3 साल का होता है। अगर आप घर खरीद नहीं रहे हैं, बल्कि घर बना रहें हैं तो भी आपको 3 साल में बनने वाले घर पर ये छूट मिलेगी। इस अवधि की गणना घर के रजिस्ट्रेशन की तिथि से होती है। वहीं, अगर आपने बिल्डर से घर खरीदा है तो एलॉटमेंट की तिथि से इस अवधि की गणना शुरू होती है। अगर आपने किसी बिल्डर से घर खरीदा है तो रजिस्ट्रेशन और एलॉटमेंट की तिथि दोनों ही वैध होगी। लेकिन इसमें से जो पहले आएगी वही मान्य होगी।

कई बार ऐसा होता है कि हमने कोई नॉन रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीद ली और उसमें बहुत मजा नहीं आ रहा है। फिर उसको बेच के हमें घर खरीदना है तो हम नॉन रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी बेच कर भी घर खरीद सकते हैं। मान लीजिए आपने कोई प्लॉट लिया और अब आपका घर बनाने का मन नहीं है। प्लॉट की कीमत भी कीमत बढ़ गई। आपको लगता है कि प्रॉफिट बुक कर लेना चाहिए। तो उससे जो कैपिटल गेन हुआ है उस पैसे से अगर आप दूसरा रेजिडेंशियल हाउस खरीद लेते हैं तो यहां पर आपको बिक्री से मिली पूरा पैसा लगाना पड़ेगा, सिर्फ गेन ही नहीं। तभी आपको टैक्स स छूट का फायदा मिलेगा। बाकी नियम वैसे के वैसे रहते हैं।

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First Published: Sep 12, 2025 12:08 PM

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