Traffic Challan: अगर आपके पास पुराने ट्रैफिक चालान पड़े हैं या कोई छोटा-मोटा केस फंसा है, तो आपके लिए राहत की खबर है। दिल्ली स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (DSLSA) शनिवार 13 सितंबर 2025 को नेशनल लोक अदालत का आयोजन कर रही है। इसी तरह महाराष्ट्र स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी भी मुंबई और अन्य शहरों में लोक अदालत लगाएगी।
दिल्ली में कहां लगेगी लोक अदालत?
लोक अदालत सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक होगी। ये सिर्फ दिल्ली हाईकोर्ट में ही नहीं बल्कि सभी जिला अदालतों, डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल्स, दिल्ली स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रेड्रेसल कमीशन, डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रेड्रेसल कमीशंस और परमानेंट लोक अदालतों में भी होगी। इसका मकसद है लोगों के छोटे-मोटे मामलों का जल्दी और शांतिपूर्वक समाधान करना। कोर्ट फीस भी वापस मिलती है और फैसला तुरंत मान्य होता है।
कौन-से केस सुलझ सकते हैं?
नेशनल लोक अदालत में सिविल और क्रिमिनल कंपाउंडेबल केस शामिल होते हैं। खासकर इस बार सबसे ज्यादा फोकस है दिल्ली ट्रैफिक पुलिस चालान पर।
31 मई 2025 तक के कंपाउंडेबल चालान या नोटिस शामिल होंगे।
इन्हें डाउनलोड करने के लिए लिंक खुला है: traffic.delhipolice.gov.in/notice/lokadalat
रोजाना 60,000 चालान डाउनलोड किए जा सकते हैं। कुल लिमिट 1.8 लाख चालानों की है।
चालान स्लिप पर ही कोर्ट कॉम्प्लेक्स, कोर्ट नंबर और टाइमिंग लिखी होगी।
कितना डिस्काउंट मिल सकता है?
लोक अदालत में ट्रैफिक चालान पर भारी राहत मिलती है। पिछले अनुभव बताते हैं कि चालानों में 30% से 75% तक की छूट आम है। यहां कोई तय स्लैब नहीं होता। रियायत की रकम जज के विवेक और केस के टाइप पर निर्भर करती है।
लोक अदालत का माहौल सामान्य कोर्ट जैसा नहीं होता। यहां अधिकारी और वकील समझौते की दिशा में काम करते हैं। आप अपना चालान या केस का पेपर लेकर कोर्ट जाते हैं, सामने अधिकारी केस देखते हैं और तुरंत सेटलमेंट ऑफर करते हैं। जैसे ही आप तय रकम भरते हैं, केस क्लोज मान लिया जाता है।
महाराष्ट्र में भी लोक अदालत
मुंबई और महाराष्ट्र के अन्य शहरों में भी 13 सितंबर को लोक अदालत होगी। महाराष्ट्र स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी ने पहले ही सालभर का शेड्यूल घोषित कर दिया था। इस साल लोक अदालतें 22 मार्च, 10 मई, 13 सितंबर और 13 दिसंबर को आयोजित होनी हैं।
लोक अदालत न सिर्फ कोर्ट का बोझ कम करती है बल्कि आम लोगों को राहत भी देती है। केसों का निपटारा जल्दी, सस्ता और बिना झंझट के होता है। खासतौर पर ट्रैफिक चालान जैसे मामलों में ये काफी काम आती है। अगर आपके पास पेंडिंग चालान हैं तो ये मौका उन्हें आधी-तिहाई रकम में निपटाने का है।