UP में शादीशुदा बेटियों को मिलेगा एग्रीकल्चल लैंड में बराबरी का हक, सरकार बदलने वाली है नियम

Married Daughters Right in Agriculture Land: भारत में बेटियों के जमीन-जायदाद में हक को लेकर लंबे समय से बहस चलती रही है। हालांकि, बेटियों का पिता की संपत्ति पर बराबरी का हक होता है लेकिन एग्रीकल्चर लैंड पर शादीशुदा बेटियों को हक नहीं मिलता। देश के ज्यादातर राज्यों में यह नियम है कि सिर्फ अविवाहित बेटी को ही एग्रीकल्चर लैंड पर अधिकार मिलेगा

अपडेटेड Sep 08, 2025 पर 6:15 PM
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Married Daughters Right in Agriculture Land: भारत में बेटियों के जमीन-जायदाद में हक को लेकर लंबे समय से बहस चलती रही है।

Married Daughters Right in Agriculture Land: भारत में बेटियों के जमीन-जायदाद में हक को लेकर लंबे समय से बहस चलती रही है। हालांकि, बेटियों का पिता की संपत्ति पर बराबरी का हक होता है लेकिन एग्रीकल्चर लैंड पर शादीशुदा बेटियों को हक नहीं मिलता। देश के ज्यादातर राज्यों में यह नियम है कि सिर्फ अविवाहित बेटी को ही एग्रीकल्चर लैंड पर अधिकार मिलेगा। शादीशुदा बेटियों को खेती की जमीन पर हक नहीं मिलता। अब इस दिशा में यूपी सरकार एक अहम कदम उठाने जा रही है।

साल 2005 में हिंदू उत्तराधिकार (रिवीजन) कानून ने बेटियों को पिता की संपत्ति में बराबरी का अधिकार दिया था। लेकिन कई राज्यों में एग्रीकल्चर लैंड के मामले में अलग नियम चलते रहे, जिनमें अक्सर शादीशुदा बेटियों को वारिस मानने में भेदभाव किया जाता है।

उत्तर प्रदेश में भी अब तक यही स्थिति थी। UP Revenue Code, 2006 की धारा 108(2) के मुताबिक, अगर किसी पुरुष किसान की मृत्यु हो जाती है तो उसकी जमीन का ट्रांसफर पत्नी, बेटों और अविवाहित बेटियों के नाम होता है। शादीशुदा बेटियों को वारिस तभी माना जाता है जब इनमें से कोई भी उत्तराधिकारी न हो।


अब यूपी राजस्व परिषद ने इस भेदभाव को खत्म करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। खबर है कि एक नया प्रस्ताव तैयार किया गया है, जिसमें अविवाहित शब्द को हटाने की सिफारिश की गई है। यानी अगर ये रिवीजन लागू हो गया तो शादीशुदा बेटियों को भी खेत-खलिहान यानी एग्रीकल्चर लैंड पर बेटों और अविवाहित बेटियों जितना ही अधिकार मिलेगा।

अगर यह बदलाव पास हो जाता है, तो उत्तर प्रदेश देश का तीसरा राज्य बन जाएगा जो शादीशुदा बेटियों को एग्रीकल्चर लैंड में बराबरी का हक देगा। इससे पहले मध्य प्रदेश और राजस्थान पहले ही इस तरह का सुधार कर चुके हैं।

कानूनी जानकारों का कहना है कि यह सुधार ग्रामीण इलाकों में लैंगिक समानता और आर्थिक सुरक्षा की दिशा में बड़ी पहल साबित होगा। क्योंकि गांवों में जमीन सिर्फ संपत्ति नहीं, बल्कि रोजगार और सम्मान का भी बड़ा सोर्स माना जाता है। फिलहाल यह प्रस्ताव कैबिनेट और विधानसभा की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। लेकिन इतना तय है कि अगर यह कानून बन गया, तो यूपी की बेटियां भी अपने पैतृक खेतों की असली हिस्सेदार कहलाएंगी।

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Sheetal

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First Published: Sep 08, 2025 6:15 PM

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