No Cost Emi: आजकल जब आप मोबाइल फोन, फ्रिज या छुट्टियों की बुकिंग करते हैं, तो नो-कॉस्ट EMI का ऑप्शन सभी को नजर आता है। बिना ब्याज के किश्तों में पेमेंट करने की यह सुविधा लोगों को काफी आकर्षित करती है। युवाओं और पहली बार क्रेडिट लेने वालों के लिए यह एक सबसे आसान तरीका बन चुका है। क्या ये सच में नो-कॉस्ट EMI फ्री होती है? क्या ग्राहकों को इंटरेस्ट नहीं चुकाना होगा?
क्या वाकई नो-कॉस्ट EMI फ्री होती है?
नो-कॉस्ट EMI का नाम सुनकर लगता है कि इसमें कोई एक्स्ट्रा खर्च नहीं होता, लेकिन हकीकत थोड़ी अलग है। इस स्कीम में ब्याज का बोझ सीधे ग्राहक पर नहीं डाला जाता, बल्कि इसे प्रोडक्ट की कीमत में जोड़ दिया जाता है या फिर दुकानदार, मैन्युफैक्चरिंग कंपनी या फाइनेंस कंपनी इसे सब्सिडी के रूप में देती है। उदाहरण के तौर पर अगर कोई मोबाइल फोन ₹15,000 रुपये में मिल रहा है, तो नो-कॉस्ट EMI में उसकी कीमत पहले से ही ₹16,000 रुपये कर दी जाती है जिससे ब्याज की भरपाई हो सके।
क्रेडिट स्कोर बनाने में करता है मदद
अगर आप समय पर EMI चुकाते हैं, तो यह आपके क्रेडिट स्कोर को सुधारने में मदद करता है। खासकर जिन लोगों की क्रेडिट हिस्ट्री नहीं होती, उनके लिए अपने पेमेंट बिहेवियर को दिखाने का एक अच्छा ऑप्शन है।
लेकिन अगर आपने कई नो-कॉस्ट EMI स्कीम एक साथ ले रखी हैं, तो आपके क्रेडिट रिपोर्ट में यह दिखेगा कि आपके पास कई ओपन लोन अकाउंट हैं। अगर आपकी आमदनी इन सभी लोन को संभालने लायक नहीं है, तो यह आपकी क्रेडिट योग्यता पर बुरा असर डाल सकता है।
इतना ही नहीं, अगर आप एक भी EMI समय पर नहीं भरते, तो यह आपकी क्रेडिट रिपोर्ट पर खराब असर डाल सकता है। मान लीजिए किसी के पास तीन लोन हैं – मोबाइल, टीवी और होम लोन – और अगर वह मोबाइल की EMI चुकाना भूल जाता है, तो यह रिपोर्ट में 1 में से 3 लोन डिफॉल्ट के रूप में दिखेगा, जिससे क्रेडिट स्कोर गिर सकता है।
हर बार जब आप नो-कॉस्ट EMI लेते हैं, तो बैंक आपके क्रेडिट स्कोर की जांच करता है, जिसे हार्ड इन्क्वायरी कहा जाता है। बार-बार ऐसा होने पर भी स्कोर पर असर पड़ता है।
क्रेडिट से कन्जप्शन बढ़ता है और नो-कॉस्ट EMI इसमें काफी मदद करती है। अगर क्रेडिट की सुविधा न हो, तो कई लोग महंगे सामान नहीं खरीद पाते। लेकिन जरूरत से ज्यादा EMI लेना, आमदनी से ज्यादा बोझ बना सकता है। इसलिए एक अच्छा नियम यह हो सकता है कि आपकी कुल EMI का अमाउंट आपकी आमदनी के हिसाब से ही हो और समय-समय पर अपना क्रेडिट स्कोर चेक करते रहें। इससे आप फाइनेंशियल लाइफ को बैलेंस कर पाएंगे।