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No Fuel for Old Vehicle: 1 जुलाई से इन गाड़ियों को नहीं मिलेगा पेट्रोल-डीजल, सरकार ने बनाई नई फ्यूल पॉलिसी

No Fuel for Old Vehicle: देश की राजधानी दिल्ली में 1 जुलाई 2025 से इन गाड़ियों को पेट्रोल और डीजल नहीं मिलेगा। सरकार नई फ्यूल पॉलिसी लेकर आई है। जानिये क्या आपकी गाड़ी पेट्रोल पंप से पेट्रोल या डीजल खरीद सकती है या नहीं

अपडेटेड Jun 24, 2025 पर 10:52 AM
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No Fuel for Old Vehicle: देश की राजधानी दिल्ली में 1 जुलाई 2025 से 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल गाड़ियों को पेट्रोल-डीजल नहीं मिलेगा।

No Fuel for Old Vehicle: देश की राजधानी दिल्ली में 1 जुलाई 2025 से 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल गाड़ियों को पेट्रोल-डीजल नहीं मिलेगा। यह फैसला Commission for Air Quality Management (CAQM) ने लिया है। ताकि, बढ़ते वायु प्रदूषण पर लगाम लगाई जा सके। लेकिन अब इस नई नीति को लेकर दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन (DPDA) ने चिंता जताई है। एसोसिएशन ने सरकार से आग्रह किया है कि इस नियम के तहत डीलरों पर लगाए गए दंडात्मक प्रावधानों को हटाया जाए।

क्या है नीति और किस पर लागू होगी?

CAQM ने साफ कहा है कि End-of-Life (EOL) यानी जिन डीजल गाड़ियों की उम्र 10 साल और पेट्रोल गाड़ियों की उम्र 15 साल से अधिक हो चुकी है, उन्हें दिल्ली के किसी भी फ्यूल स्टेशन पर डीजल और पेट्रोल नहीं मिलेगा। यह नियम न सिर्फ दिल्ली में रजिस्टर, बल्कि किसी भी राज्य के पुराने गाड़ियों पर लागू होगा।


डीलरों की आपत्ति क्या है?

DPDA ने दिल्ली के परिवहन मंत्री पंकज सिंह और परिवहन आयुक्त को एक पत्र लिखकर अपनी आपत्तियां दर्ज कराई हैं। एसोसिएशन का कहना है कि सरकार की इस नीति में अगर कोई पेट्रोल पंप कर्मचारी गलती से किसी पुराने वाहन को फ्यूल दे देता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा इसमें गिरफ्तारी का भी प्रावधान है, ये नियम व्यावहारिक नहीं है।

लेटर में बताया गया कि Essential Commodities Act के तहत कोई भी पेट्रोल पंप ग्राहक को फ्यूल देने से मना नहीं कर सकता, जबकि यह नई नीति उसी के विपरीत है। इससे कानूनी टकराव की स्थिति पैदा होती है।

पेट्रोल पंप कर्मचारियों की बढ़ी मुश्किलें?

DPDA ने यह भी कहा कि सरकार डीलरों या पंप अटेंडेंट्स से ऐसा व्यवहार करवा रही है जैसे वे प्रवर्तन अधिकारी (Enforcement Officer) हों। जबकि उनका काम फ्यूल देना है, न कि गाड़ी की उम्र चेक करना या कानून लागू करना। ऐसे में उन्हें अतिरिक्त जिम्मेदारी देने से जोखिम और तनाव दोनों बढ़ सकते हैं।

DPDA ने उदाहरण के तौर पर हाल ही में गाजियाबाद की घटना का जिक्र किया, जहां ‘हेलमेट नहीं तो फ्यूल नहीं’ नियम को लागू करने के दौरान एक पंप कर्मचारी को गोली मार दी गई थी। इस घटना से अंदेशा है कि ‘नो फ्यूल फॉर ओल्ड व्हीकल्स’ जैसे सख्त नियम से भी पंप स्टाफ की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।

पुलिस सुरक्षा और SOP की मांग

एसोसिएशन ने सरकार से मांग की है कि जब तक इस नीति को पूरी तरह से लागू नहीं किया जाता, तब तक सभी फ्यूल स्टेशनों पर पर्याप्त पुलिस बल तैनात किया जाए ताकि किसी भी घटना से बचा जा सके। साथ ही, DPDA का यह भी कहना है कि अभी तक CAQM द्वारा कोई स्पष्ट SOP (Standard Operating Procedure) शेयर नहीं किया गया है, जिससे पंप कर्मचारियों को यह न पता चल पा रहा कि उन्हें व्यवहार में कैसे यह नीति लागू करनी है।

DPDA ने सरकार से अनुरोध किया है कि पुराने गाड़ियों को ईंधन न देने की इस नीति को लागू करने से पहले सभी जरूरी दिशानिर्देश, SOP, और सुरक्षा उपायों को साफ किया जाए। साथ ही डीलरों पर किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई के प्रावधान को हटाया जाए, क्योंकि इससे आवश्यक सर्विस पर असर पड़ेगा।

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