
जिंदगी की असली आजादी नौकरी नहीं देती लेकिन आपका पैसा दे सकता है, वह भी तब जब आपका पैसा आपके लिए कमाने का काम करे। आज के दौर में ज्यादातर प्रोफेशनल लोग प्रमोशन, बढ़ी हुई सैलरी और बड़े टाइटल के पीछे भागते हैं। यही दौड़ धीरे-धीरे उन्हें रैट रेस में फंसा देती है। यानी, रोजाना की भागदौड़ वाली जिंदगी में फंसा देती है जिसमें वह नौकरी सिर्फ होम-कार लोन की EMI चुकाना, बच्चों की फीस भरने से लेकर एलआईसी भरने के लिए करते हैं। फिर लालच होता है कि अच्छा काम करे प्रमोशन मिल जाए और सैलरी बढ़ जाए। आप फिर नौकरी-पैसा-ईएमआई के लूप में फंस जाते हैं। हम भूल जाते हैं कि असली आजादी ऐसी कमाई से मिलती है जो तब भी जारी रहे जब आप काम नहीं करते।
चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन कौशिक (FCA, LLB) का कहना है कि प्रमोशन या टाइटल टेंपरेरी उपलब्धी है। ये उपलब्धी नौकरी छोड़ते ही खत्म हो जाती है। टाइटल तब तक है जब तक आप नौकरी में हैं, लेकिन आपका रिज्यूमे आपको आजादी नहीं दे सकता। कौशिक के मुताबिकलोग अपने शुरुआती सालों में डिग्रियां और प्रमोशन पाने में ही उलझ जाते हैं, जबकि उन्हें शुरुआत से ही ऐसे एसेट्स बनाने चाहिए जो खुद ही पैसे कमाएं। यही फाइनेंशियल फ्रीडम है। जब आप पैसे के लिए नहीं, बल्कि पैसा आपके लिए काम करे।
ये तीन बना सकते हैं वेल्थ
1. रियल एस्टेट: किराया कभी छुट्टी नहीं लेता। यानी संपत्ति से मिलने वाली आमदनी लगातार चलती रहती है।
2. बिजनेस ओनरशिप: किसी कारोबार को शुरू करना या उसमें निवेश करना सैलरी से कहीं तेज मुनाफा देता है।
3. कैश फ्लो: हाथ में कैश या लिक्विड फंड होना हर स्थिति में मददगार साबित होता है। उन्होंने कहा कि एसेट्स आपको आजादी दिलाते हैं, जबकि स्टेटस सिर्फ दिखावा देता है। प्रमोशन से सम्मान मिलता है, लेकिन एसेट्स से सुकून और आजादी देता है कि आप बिना कमाए भी अपनी लाइफ आराम से जी सकें। इसलिए नौकरी के साथ-साथ ऐसा निवेश शुरू करें जो आपको सोते हुए भी कमाई कराए। यही है असली फाइनेंशियल फ्रीडम।
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