प्रदूषण से जुड़े हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम्स में बड़ा उछाल, बच्चों सबसे ज्यादा प्रभावित; इलाज का खर्च भी बढ़ा

Policybazaar की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में प्रदूषण से जुड़ी हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम्स में तेज बढ़ोतरी हुई है। इनमें 43% बच्चे शामिल हैं। सांस और दिल की बीमारियों का इलाज महंगा हुआ है और खर्च 11% बढ़ा है। जानिए डिटेल।

अपडेटेड Nov 12, 2025 पर 2:43 PM
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10 साल से कम उम्र के बच्चे प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित पाए गए।

भारत में प्रदूषण के नए सीजन के बीच एक ताजा रिपोर्ट ने चिंता बढ़ा दी है। Policybazaar के नए डेटा के मुताबिक, वायु प्रदूषण न केवल लोगों के स्वास्थ्य पर बल्कि घरेलू बजट पर भी असर डाल रहा है। रिपोर्ट में पाया गया कि प्रदूषण से जुड़ी हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम्स में करीब 43% बच्चे शामिल हैं। यानी बच्चे इस संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित समूह हैं। वहीं, सांस और दिल से जुड़ी बीमारियों के इलाज का खर्च पिछले एक साल में 11% बढ़ गया है।

अस्पताल में भर्ती का बड़ा कारण बन रहा प्रदूषण

रिपोर्ट के मुताबिक, अब प्रदूषण से जुड़ी बीमारियां कुल अस्पताल भर्ती मामलों का 8% हिस्सा बन चुकी हैं। यह डेटा पिछले चार सालों के आंकड़ों के एनालिसिस पर आधारित है। दीवाली के बाद यह बढ़ोतरी और ज्यादा दिखती है, जब पराली जलाने, पटाखों और ठंडी हवा के कारण एयर क्वालिटी 'मॉडरेट' से 'सीवियर' स्तर तक गिर जाती है।


दीवाली के बाद हेल्थ क्लेम्स में 14% उछाल

दीवाली के बाद वाले समय में हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम्स में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 2022 में प्रदूषण से जुड़े क्लेम्स 6.4% थे, जो 2025 में बढ़कर 9% हो गए यानी 14% की वृद्धि। सिर्फ सितंबर 2025 में ही करीब 9% अस्पताल भर्ती प्रदूषण वाली बीमारियों से जुड़ी थीं। इनमें सांस की तकलीफ, हार्ट की समस्या, आंखों और त्वचा की एलर्जी जैसी दिक्कतें शामिल थीं।

प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर

10 साल से कम उम्र के बच्चे प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित पाए गए। इस आयु वर्ग में 43% क्लेम्स दर्ज हुए, जो किसी भी अन्य समूह से पांच गुना अधिक हैं। 31-40 साल के वयस्कों के क्लेम्स 14% और 60 साल से ऊपर के लोगों के 7% रहे। डेटा बताता है कि युवा और ज्यादा आउटडोर एक्टिव लोग खराब हवा के सीधे असर में हैं।

दिल्ली से आगे बढ़ा प्रदूषण का संकट

दिल्ली अब भी प्रदूषण से जुड़े सबसे ज्यादा क्लेम्स (38%) दर्ज करने वाला शहर है, लेकिन अब यह ट्रेंड पूरे देश में फैल रहा है। हैदराबाद (8.34%) और बेंगलुरु (8.23%) में अब दिल्ली से भी ज्यादा अनुपात दर्ज किया गया है। पुणे (7.82%) और मुंबई (5.94%) में भी केस बढ़े हैं, जबकि जयपुर, लखनऊ, इंदौर और नागपुर जैसे टियर-2 शहरों में भी प्रदूषण से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं।

सिर्फ फेफड़ों नहीं, कई अंगों पर असर

रिपोर्ट बताती है कि प्रदूषण का असर अब सिर्फ फेफड़ों तक सीमित नहीं है। कार्डियक बीमारियां, हाई ब्लड प्रेशर, स्किन और आंखों की दिक्कतें भी बढ़ी हैं। अस्थमा, COPD, एरिदमिया, एक्जिमा और कंजक्टिवाइटिस जैसी बीमारियां अब आम हो चुकी हैं।

प्रदूषण वाली बीमारियों के इलाज का खर्च भी बढ़ा

प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों के लिए औसत क्लेम ₹55,000 का रहा। वहीं, अस्पताल में भर्ती का औसत खर्च ₹19,000 प्रति दिन है। सांस की बीमारियों के इलाज का खर्च FY2023 से FY2024 के बीच 11% बढ़ा। हार्ट से जुड़ी जटिलताओं में 6% की बढ़ोतरी हुई। इसका कारण ऑक्सीजन थेरेपी और नेबुलाइजेशन जैसी गहन चिकित्सा की जरूरतें बताई गई हैं।

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