गुरुवार को कई मीडिया रिपोर्टों में यह कहा गया था कि केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को नई पेंशन स्कीम या नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) के तहत उनके अंतिम वेतन का 40-45 प्रतिशत न्यूनतम पेंशन के तौर पर देने का आश्वासन दे सकती है। हालांकि अब वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने इस मामले में एक स्पष्टीकरण जारी किया है। वित्त मंत्रालय ने कहा कि नई पेंशन स्कीम पर गठित समिति इस समय अपने विचार-विमर्श के दौर में है और अभी तक किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है।
वित्त मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा कि कई न्यूज रिपोर्टों में यह कहा गया कि सरकार ने कर्मचारियों के लिए पेंशन का एक खास प्रतिशत तय किए जाने का एक प्रस्ताव दिया है। वित्त मंत्रालय ने कहा, "ये न्यूज रिपोर्टें झूठी हैं।"
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट सत्र के दौरान पेंशन के मुद्दों पर फाइनेंस सेक्रेटरी की अध्यक्षता में एक कमिटी गठित करने का ऐलान किया था। बयान में कहा गया है कि यह कमिटी फिलहाल विचार-विमर्श और हितधारकों से परामर्श करने की प्रक्रिया में है। कमिटी अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है।
इससे पहले न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने दो सूत्रों के हवाले से एक रिपोर्ट में कहा था कि सरकार नई पेंशन स्कीम (NPS) के नियमों में बदलाव पर विचार कर रही है। यह बदलाव इस तरह होगा कर्मचारियों को पेंशन के रूप में उनके अंतिम वेतन का 40-45 प्रतिशत की राशि पक्का मिल सके।
बता दें कि नई पेंशन योजना या नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) के तहत अभी कर्मचारियों को अपने मूल वेतन का 10 प्रतिशत और सरकार को 14 प्रतिशत योगदान देना होता है। कर्मचारियों को अंतिम भुगतान उस पेंशन फंड को बाजार से मिलने वाले रिटर्न पर निर्भर होता है। पेंशन फंड अधिकतर डेट स्कीमों में निवेश करते हैं।
इसके उलट पुरानी पेंशन स्कीम में कर्मचारी को अपनी नौकरी के दौरान किसी भी तरह का योगदान नहीं देना पड़ता था और उन्हें रिटायरमेंट के बाद उनकी अंतिम सैलरी का 50 प्रतिशत पेंशन के तौर पर देने की गारंटी दी जाती थी।