Origin of gold: कहां से आया सोना, कितना पुराना है इसका इतिहास; इंसानों ने कैसे जानी सोने की कीमत
Origin of gold: अरबों साल पहले तारों के विस्फोट से बना सोना कैसे धरती तक पहुंचा, इंसानों ने कब इसकी कीमत पहचानी और क्यों आज भी यह दुनिया की सबसे भरोसेमंद धातु मानी जाती है- जानिए इसकी पूरी कहानी।
Origin of gold: वैज्ञानिकों का अनुमान है कि सोना करीब 4 अरब साल धरती पर आया।
Origin of gold: सोना सिर्फ एक धातु नहीं है, बल्कि इंसानी सभ्यता की सबसे पुरानी लालसाओं में से एक है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये सोना आया कहां से? वैज्ञानिकों का मानना है कि सोना धरती पर पैदा नहीं हुआ, बल्कि अरबों साल पहले ब्रह्मांड में तारों की टक्कर और सुपरनोवा विस्फोटों से बना। यानी आज हमारी अंगुली में चमक रही सोने की अंगूठी कभी किसी तारे का हिस्सा रही होगी।
आइए जानते हैं कि सोने की धरती पर एंट्री कैसे हुई, इंसानों को इसकी अहमियत का अंदाजा कैसे लगा और पूरी दुनिया में कुल कितना सोना मौजूद है।
धरती पर सोने की एंट्री
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि सोना करीब 4 अरब साल धरती पर आया। उस वक्त हमारी धरती पर उल्कापिंड की बारिश हो रही थी, जिसके साथ सोना भी आ गया। ये धातु धीरे-धीरे धरती की परतों और नदियों में जमा होती गई। खास बात ये है कि सोना जंग नहीं खाता, पिघलता नहीं और अपनी चमक कभी नहीं खोता। शायद यही कारण है कि इंसानों को ये धातु पहली नजर में ही अनोखी लगी।
धरती पर मिला सारा सोना सुपरनोवा से आया है। सुपरनोवा वास्तव में उन मृत तारों का अवशेष है, जो भारी ऊर्जा छोड़ते हैं। जब पृथ्वी का निर्माण हुआ, तो लोहे और सोने जैसे भारी तत्व ग्रह के केंद्र की ओर धंस गए।
अगर इसके बाद कोई और हैरतंगेज घटना नहीं होती, तो पृथ्वी की सतह पर सोना नहीं होता। लेकिन करीब 4 अरब साल पहले पृथ्वी पर उल्कापिंडों की भारी बौछार हुई। इन टक्करों ने पृथ्वी की गहराई तक हलचल मचा दी और कुछ सोना ऊपर की परतों यानी मेंटल और क्रस्ट तक पहुंच गया।
भूकंप भी बनाते हैं सोना?
कुछ सोना चट्टानों के अयस्कों में पाया जाता है। यह छोटे-छोटे कणों के रूप में, अपने शुद्ध रूप में, या फिर चांदी के साथ प्राकृतिक मिश्र धातु 'इलेक्ट्रम' के रूप में मिल सकता है। समय के साथ कटाव (erosion) सोने को अन्य खनिजों से अलग कर देता है। चूंकि सोना भारी होता है, यह नदियों के तल, रेतीले जमाव (alluvial deposits) और समुद्र में इकट्ठा हो जाता है।
भूकंप भी सोने के बनने में अहम भूमिका निभाते हैं। जब कोई फॉल्ट लाइन अचानक खिसकती है, तो खनिजों से भरा पानी तेज़ी से ऊपर आता है और वाष्प बन जाता है। इस प्रक्रिया में क्वार्ट्ज और सोने की परतें चट्टानों पर जम जाती हैं। ज्वालामुखियों में भी यही प्रक्रिया होती है।
दुनिया में कितना सोना है?
धरती से निकाला गया सोना, उसके कुल द्रव्यमान का बहुत छोटा हिस्सा है। 2016 में संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) ने अनुमान लगाया कि अब तक मानव सभ्यता की शुरुआत से करीब 7.8 करोड़ ट्रॉय औंस या 2,44,000 टन सोना निकाला जा चुका है।
सोने का घनत्व बहुत अधिक (19.32 ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर) होता है। इसके कारण यह द्रव्यमान के हिसाब से बहुत कम जगह घेरता है। आप जानकर हैरानी होगी कि अगर अब तक निकाला गया सारा सोना पिघलाकर एक साथ रखा जाए, तो वह करीब 70 फीट लंबा-चौड़ा-ऊंचा घन बनेगा।
इसके बावजूद पृथ्वी की क्रस्ट में सोने की मात्रा कुछ अरबवें हिस्से के बराबर है। अनुमान है कि पृथ्वी की ऊपरी एक किलोमीटर सतह में करीब 10 लाख टन सोना मौजूद है। लेकिन, इसका ज्यादातर हिस्सा निकालना आर्थिक रूप से मुमकिन नहीं है। मेंटल और कोर में सोने की मात्रा तो इससे कहीं ज्यादा है, लेकिन वहां तक पहुंचना ही नामुमकिन है।
इंसानों ने कब पहचाना इसकी कीमत?
पुरातत्वविदों का कहना है कि सोने का इस्तेमाल 6,000 साल पहले से हो रहा है। मिस्र की सभ्यता ने इसे सबसे पहले गहनों और धार्मिक प्रतीकों में इस्तेमाल किया। फराओ यानी मिस्र के शासकों की कब्रों में मिले सोने के मास्क और गहने बताते हैं कि तब भी सोना ताकत और अमरता का प्रतीक माना जाता था।
भारत में भी सोने का इतिहास बेहद पुराना है। सिंधु घाटी सभ्यता में सोने के आभूषण मिले हैं। वेदों और पुराणों में सोने का उल्लेख 'हिरण्य' शब्द से हुआ है। यहां सोना सिर्फ धातु नहीं बल्कि समृद्धि और पवित्रता का प्रतीक था।
व्यापार और साम्राज्य की रीढ़
सोना सिर्फ गहनों तक सीमित नहीं रहा। समय के साथ यह व्यापार और अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन गया। सिक्कों में सबसे पहले सोने का इस्तेमाल लिडिया (आधुनिक तुर्की) में करीब 600 ईसा पूर्व हुआ। भारत, रोम, चीन और अरब- सभी सभ्यताओं ने सोने के सिक्कों को सत्ता और संपन्नता की निशानी माना।
मध्ययुग में सोने की खोज ने तो दुनिया के नक्शे तक बदल दिए। अमेरिका की खोज के पीछे भी यूरोपियों की लालसा सोना ही था। यही वजह थी कि सोने को 'gold rush' का कारण माना जाता है।
सोना और आधुनिक दुनिया
आज भले ही हमारे पास डिजिटल करेंसी और पेपर मनी है, लेकिन सोने की अहमियत कम नहीं हुई। अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में सोना अब भी 'safe haven' यानी सुरक्षित निवेश माना जाता है। यही कारण है कि जब भी आर्थिक संकट आता है, लोग सोने की ओर भागते हैं। अगर आज सोने का दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर है, तो उसकी एक बड़ी वजह यही है।
भारत समेत दुनियाभर के केंद्रीय बैंक लगातार सोना खरीद रहे हैं। इसका मकसद डॉलर जैसे पेपर मनी पर निर्भरता घटाना है। इससे जाहिर होता है कि सोना आज भी ग्लोबल करेंसी है, भले ही उससे व्यापार करने का तरीका बदल गया हो।
सोने का इंसानों से रिश्ता
सोना ब्रह्मांड से आया, लेकिन इंसान की जिंदगी और सभ्यता में रच-बस गया। इसकी चमक ने साम्राज्य उठाए, युद्ध कराए और संस्कृतियों को जोड़ने का काम किया। शायद यही वजह है कि आज भी सोना सिर्फ धातु नहीं, बल्कि इंसानी इतिहास का सबसे चमकदार अध्याय है।
सदियां बीत गईं, लेकिन आज भी चमक और मूल्य वैसे ही बरकरार है। इसके आगे भी इसी तरह बरकरार रहने की उम्मीद है। आखिर तभी तो सोना सस्ता नहीं हो रहा।